HomeDaily Newsबड़ी खबर: सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट में...

बड़ी खबर: सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, Adani Properties के सौदे पर टिकी सबकी निगाहें

  • सुप्रीम कोर्ट आज सहारा समूह की संपत्तियों को Adani Properties को बेचने की याचिका पर दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा।
  • याचिका में एम्बी वैली (महाराष्ट्र) और लखनऊ का सहारा शहर बेचे जाने की अनुमति मांगी गई है।
  • समूह ने SEBI-सहारा ‘रिफंड’ खाते में 24,030 करोड़ जमा करने का लक्ष्य बताया है, जिसमें से 16,000 करोड़ संपत्तियों की बिक्री से जुटे हैं।
  • सहारा ने कोर्ट से यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया है कि केवल कोर्ट अनुमोदन मिलने पर ही सौदा आगे बढ़े।
  • कोर्ट फैसला करेगी कि क्या यह संपत्तियों की बिक्री निवेशकों और कर्जदाताओं के हितों के अनुरूप होगी।

नई दिल्ली/लखनऊ, True News UP। सहारा समूह की विवादों से जुड़ी संपत्तियों को Adani Properties Private Limited को बेचने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज (14 अक्टूबर) दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा। यह सुनवाई सहारा समूह के निवेशकों, कर्मचारियों और रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

एम्बी वैली और सहारा शहर की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट से अनुमति की मांग

सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड (SICCL) ने अधिवक्ता गौतम अवस्थी के माध्यम से दाखिल अंतरिम याचिका में सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र स्थित एम्बी वैली और उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित सहारा शहर जैसी प्रमुख संपत्तियों को Adani Properties Private Limited को बेचने की अनुमति मांगी है।

याचिका में उल्लेख किया गया है कि 6 सितंबर 2025 को दोनों पक्षों के बीच ‘टर्म शीट’ पर सहमति बनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना यह सौदा आगे नहीं बढ़ सकता। समूह ने बताया है कि SEBI-सहारा ‘रिफंड’ खाते में 24,030 करोड़ रुपये जमा करने का लक्ष्य निर्धारित है, जिसमें से लगभग 16,000 करोड़ रुपये संपत्तियों की बिक्री से प्राप्त हो चुके हैं। शेष राशि जुटाने में SEBI की अक्षमता और बाजार की स्थिति बाधा बन रही है।

सुब्रत रॉय के निधन के बाद नई रणनीति और पारिवारिक निर्णय

नवंबर 2023 में सहारा समूह के संस्थापक सुब्रत रॉय सहारा के निधन के बाद समूह के भीतर निर्णय प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया। याचिका में कहा गया है कि अब परिवार ने निवेशकों के हितों की सुरक्षा और न्यायालय के आदेशों के अनुपालन के लिए यह तय किया है कि संपत्तियों को अधिकतम बाजार मूल्य पर शीघ्र बेचा जाए। इस निर्णय का उद्देश्य समूह के ऊपर लंबित दायित्वों का निपटान और चल रही अवमानना कार्यवाही का समापन करना है।

कर्मचारियों का बकाया वेतन और SEBI दस्तावेज़ों पर भी सुनवाई की मांग

मुख्य याचिका से पहले सोमवार को एक अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर सहारा कम्युनिकेशंस के कर्मचारियों के 2014 से लंबित वेतन भुगतान के लिए तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया। इसके अतिरिक्त, एक अन्य याचिका में खरीदार पक्ष ने कोर्ट से SEBI को निर्देश देने की मांग की है कि वह बिक्री से संबंधित आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराए। दोनों याचिकाएं सहारा समूह से जुड़े लंबित मामलों का हिस्सा हैं।

लखनऊ का सहारा शहर विवाद: नगर निगम का कब्जा और हाईकोर्ट में चुनौती

6 और 7 अक्टूबर को लखनऊ नगर निगम (LMC) ने गोमतीनगर स्थित सहारा शहर पर दावा ठोंकते हुए कब्जा कर लिया और पूरे परिसर को सील कर दिया। 130 से 170 एकड़ में फैली यह संपत्ति लगभग 30 वर्ष से सहारा समूह के नियंत्रण में थी। नगर निगम का कहना है कि सहारा ने 1997 में ली गई लीज की शर्तों का उल्लंघन करते हुए आवासीय क्षेत्र को व्यावसायिक उपयोग में परिवर्तित कर दिया था।

सहारा प्रबंधन ने इस कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट, लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। 8 अक्टूबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार और नगर निगम से विस्तृत जवाब मांगा है। सहारा का पक्ष है कि यह कार्रवाई मनमानी और अवैधानिक है, जो समूह की वैध व्यावसायिक गतिविधियों को बाधित करती है।

संभावित परिणाम और प्रभाव

यदि हाईकोर्ट सहारा के पक्ष में निर्णय देता है, तो लीज को बहाल किया जा सकता है या नई शर्तों पर विस्तार दिया जा सकता है। इससे सुप्रीम कोर्ट में चल रही Adani Properties वाली बिक्री याचिका पर भी प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।

यदि नगर निगम का पक्ष मजबूत रहा, तो जमीन निगम के नियंत्रण में रहेगी और उसे आवासीय या सार्वजनिक उपयोग में बदला जा सकता है।

इस स्थिति में सहारा के निवेशकों को रिफंड प्रक्रिया और कर्मचारियों के रोजगार दोनों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

सहारा-SEBI विवाद की पृष्ठभूमि

वर्ष 2012 से चल रहे सहारा–SEBI विवाद में समूह को निवेशकों को रिफंड करने का आदेश दिया गया था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई बार निर्देश जारी किए, लेकिन संपत्तियों की बिक्री में देरी से प्रक्रिया ठप पड़ गई।
अब Adani Properties के साथ संभावित सौदे से सहारा समूह को आर्थिक राहत मिल सकती है। हालांकि, इस दिशा में कोई भी कदम उठाने से पहले सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी आवश्यक है।

विशेषज्ञों की राय: निवेशकों और रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अहम फैसला

कानूनी और आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल सहारा समूह की वित्तीय स्थिति को दिशा देगा, बल्कि Adani Group के रियल एस्टेट विस्तार पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
इस सुनवाई का परिणाम आने वाले महीनों में निवेशकों, कर्मचारियों और सरकार – तीनों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments