
लखनऊ: सनातन धर्म के अनुयायियों पर सदियों से अत्याचार होते आए हैं, चाहे वह मुगल काल हो या अंग्रेजों का शासन। इतिहास साक्षी है कि कभी भी किसी हिंदू ने दूसरे धर्म को नष्ट करने का प्रयास नहीं किया। हम हिंदू गुरु गोबिंद सिंह के मासूम बेटों फतेह सिंह और जोरावर सिंह के बलिदान को नहीं भूले, जिन्हें इस्लाम न अपनाने पर दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। इसी तरह, हम टीपू सुल्तान के अत्याचारों को भी याद रखते हैं, जिसने लाखों हिंदुओं का नरसंहार किया था।
विभाजन और उसका दर्द
1947 में भारत का विभाजन दुनिया का पहला और अंतिम विभाजन था जो मजहब के आधार पर हुआ। इस विभाजन के दौरान हजारों महिलाओं को बलात्कार, हत्या और धर्मांतरण का सामना करना पड़ा। कई महिलाओं ने खुदकुशी कर अपनी जान बचाई, और उनकी लाशों से कुएं भर गए। विभाजन के समय कुछ जिलों में हिंदू और सिख आबादी 30% से घटकर मात्र 1% रह गई। यह जिहाद नहीं तो और क्या था?
सदियों से हिंदुत्व पर आघात
विदेशी आक्रमणकारियों ने हजारों साल पहले हिंदुत्व को खत्म करने के इरादे से हिंदुस्तान की जमीन पर कदम रखा था। बाबर से लेकर अंग्रेजों तक, हिंदू मंदिरों का विध्वंस और निर्दोष हिंदुओं की हत्या एक क्रमिक जिहाद का हिस्सा रही है। विभाजन के बाद भी यह जहर खत्म नहीं हुआ, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति पर लगातार सवाल खड़े होते रहे।
कश्मीरी पंडितों का विस्थापन
1990 के दशक में कश्मीरी पंडितों को अपने पूर्वजों की भूमि से विस्थापित होना पड़ा। आज तक संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। आखिर हर बार हिंदू ही क्यों पीड़ित होते हैं? क्या यह उनकी सहनशीलता की सजा है?
लव जिहाद और छद्म षड्यंत्र
आज के युग में, मुस्लिम युवक हिंदू नाम रखकर हिंदू युवतियों को प्रेम जाल में फंसा रहे हैं। इसे लव जिहाद कहा जाता है, और इसके लिए उन्हें मौलवियों से धनराशि भी मिलती है। सनातन धर्म को इन विभिन्न प्रकार के जिहादों से लड़ते हुए हजारों साल हो गए हैं, और अब समय आ गया है कि हम एक संगठित होकर इसका सामना करें।
धर्म युद्ध का आह्वान
रीना एन सिंह ने यह भी लिखा कि हमें यह समझना होगा कि अब धर्म की रक्षा के लिए हमें धर्म युद्ध का संकल्प लेना होगा। हमारा सनातन धर्म शास्त्र के साथ शस्त्र की भी शिक्षा देता है। हमें यह दिखाना होगा कि हम न केवल माला जप सकते हैं, बल्कि तलवार भी चला सकते हैं। अगर हमें अपनी पहचान की रक्षा करनी है, तो हमें इस जिहाद के खिलाफ खड़ा होना ही होगा।
उन्होंने लिखा कि भगवान कृष्ण के समय महाभारत का युद्ध हुआ था, और आज हमें भी एक नए धर्म युद्ध के लिए तैयार होना होगा। हमें संकल्प लेना होगा कि किसी भी हाल में हमारी पहचान और संस्कृति पर कोई आघात न हो।
ध्यान दें: यह लेख सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति की सुरक्षा के संदर्भ में लिखा गया है। इसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और आत्मरक्षा की भावना को जागृत करना है।


































