
- धनतेरस का त्योहार धन, समृद्धि और आरोग्य की कामना से मनाया जाता है और यह दिवाली का पहला दिन होता है।
- इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी, लक्ष्मी पूजन, और दीप जलाना जैसे रिवाज निभाए जाते हैं।
- समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत और आयुर्वेद के ज्ञान के साथ प्रकट हुए थे।
- घर की सफाई, दान, और रंगोली बनाना इस दिन की प्रमुख परंपराएं हैं।
- इस दिन सोना, चांदी, वाहन, और बर्तन खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

लखनऊ: धनतेरस, जिसे ‘धन त्रयोदशी’ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो दिवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरहवीं तिथि को मनाया जाता है। ‘धन’ का अर्थ है संपत्ति और ‘तेरस’ का मतलब तेरहवीं तिथि, जिससे यह नाम बना है। इस दिन को शुभ माना जाता है, विशेषकर धन, समृद्धि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में।
धनतेरस का पर्व दो विशेष घटनाओं से जुड़ा है। सबसे पहले, समुद्र मंथन की कथा, जिसमें भगवान धन्वंतरि, जो स्वास्थ्य और आरोग्य के देवता हैं, अमृत कलश और आयुर्वेद के ज्ञान के साथ प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि का प्रकट होना हमें यह संदेश देता है कि धन और स्वास्थ्य दोनों ही मानव जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। दूसरी कथा राजा हेम की है, जिनके पुत्र की अकाल मृत्यु का योग था। कथा के अनुसार, राजा हेम के पुत्र को बचाने के लिए उनकी पत्नी ने दीपक जलाए और कीमती गहने रखे, जिससे मृत्यु के देवता यमराज का ध्यान भटक गया और उनके पुत्र की मृत्यु नहीं हुई।
इस प्रकार, धनतेरस का पर्व उन परंपराओं और विश्वासों का प्रतीक है, जिनसे जुड़े धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को आज भी लोग मानते हैं।
धनतेरस की परंपराएं और रीति-रिवाज
धनतेरस का पर्व भारतीय समाज में कई परंपराओं और रिवाजों से जुड़ा हुआ है, जो इस दिन को विशेष बनाते हैं। इस दिन का महत्व और इसकी खासियत नीचे विस्तार से दी गई है:
1. धन और आभूषण की खरीदारी
इस दिन सोना, चांदी, बर्तन और नए कपड़े खरीदना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं घर में सकारात्मकता और समृद्धि लेकर आती हैं। विशेष रूप से, सोना और चांदी जैसी वस्तुओं को मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, लोग इलेक्ट्रॉनिक आइटम, वाहन, और अन्य कीमती सामान भी खरीदते हैं ताकि उनके घर में सुख-समृद्धि बढ़े।
2. लक्ष्मी पूजा और दीप जलाना
इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा की जाती है, ताकि घर में धन-धान्य का वास हो और कभी किसी चीज की कमी न हो। घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाना और रातभर इसे जलाए रखना भी शुभ माना जाता है। दीप जलाने की परंपरा का महत्व यह है कि यह घर के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बनाता है और बुरी शक्तियों को दूर रखता है।
3. भगवान धन्वंतरि की पूजा
स्वास्थ्य और आरोग्य के देवता, भगवान धन्वंतरि की पूजा धनतेरस का मुख्य आकर्षण है। धन्वंतरि जयंती पर लोग स्वास्थ्य और आरोग्य की कामना करते हैं, ताकि उनका परिवार हमेशा खुशहाल और निरोग रहे। इस दिन आयुर्वेद के महत्व को भी समझा जाता है, और लोग अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए संकल्प लेते हैं।
4. यम दीपदान
धनतेरस पर यम दीपदान की परंपरा भी है, जो विशेष रूप से मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी है। इस दिन रात को एक दीपक जलाकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है। यह दीपक अकाल मृत्यु के भय को दूर करने के लिए जलाया जाता है और मान्यता है कि इससे परिवार के सदस्यों पर यमराज की कृपा बनी रहती है।
5. घर की सजावट और रंगोली
इस दिन घरों को साफ-सुथरा करके उन्हें रंग-बिरंगे रंगोली से सजाया जाता है। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना और उसे फूलों, दीयों और आभूषणों से सजाना मां लक्ष्मी के स्वागत का प्रतीक माना जाता है। रंगोली की रंगीन सजावट सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और घर में शांति का वातावरण बनाती है।
धनतेरस के दिन करने योग्य कार्य
धनतेरस का दिन सिर्फ पूजा-पाठ और खरीदारी के लिए नहीं है, बल्कि इस दिन कुछ विशेष कार्य करने से भी अत्यधिक लाभ मिलता है। आइए जानें इस दिन कौन-कौन से कार्य करना शुभ माना जाता है:
1. सफाई और सजावट
धनतेरस के दिन अपने घर की सफाई करना और उसे सजाना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग इस दिन घर के हर कोने को साफ करते हैं और उसे दीपों और रंगोलियों से सजाते हैं ताकि मां लक्ष्मी का वास हो।
2. धन और आभूषण की खरीदारी
इस दिन सोना, चांदी, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स या बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। यह मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी से आने वाले पूरे वर्ष में आर्थिक स्थिति में स्थिरता और वृद्धि होती है। खासतौर पर सोना-चांदी की खरीदारी समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।
3. लक्ष्मी पूजा और दीप जलाना
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। लक्ष्मी पूजन के दौरान खासतौर पर दीप जलाना आवश्यक माना जाता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।
4. यम दीपदान
अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति पाने के लिए यमराज को दीपदान करना आवश्यक है। इसे यमराज के प्रति सम्मान और आभार के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह दीपदान घर के बाहर दक्षिण दिशा में रखा जाता है ताकि यमराज का आशीर्वाद प्राप्त हो।
5. दान और पुण्य कार्य
इस दिन जरूरतमंदों को दान करना और उन्हें भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएं देना बहुत शुभ माना जाता है। इससे पुण्य मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। इस दिन गायों को भी अन्न खिलाना और पक्षियों को पानी देना पुण्य कार्य माने जाते हैं।
धनतेरस का पर्व सिर्फ आर्थिक समृद्धि की कामना के लिए नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी दर्शाता है। यह पर्व हमें धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का महत्व सिखाता है और हमें सकारात्मकता के साथ अपने घर और जीवन में खुशियों का स्वागत करने के लिए प्रेरित करता है। धनतेरस की खरीदारी, पूजा-पाठ, दीपदान और दान-पुण्य के जरिए लोग न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने का प्रयास करते हैं बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।


































