
- दीपोत्सव 2025 में पांच देशों के कलाकार अयोध्या में रामकथा को देंगे वैश्विक स्वरूप।
- रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकार पेश करेंगे श्रीराम की लीला।
- पहली बार नेपाल और श्रीलंका के कलाकार दिखाएंगे लक्ष्मण शक्ति और रावणेश्वरा के दृश्य।
- लाखों दीपों की रोशनी में अयोध्या बनेगी अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक राजधानी।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से दीपोत्सव हुआ वैश्विक सांस्कृतिक महोत्सव में परिवर्तित।

अयोध्या/लखनऊ, 14 अक्टूबर | True News UP Desk: अयोध्या इस वर्ष दीपोत्सव 2025 के अवसर पर विश्व मंच पर अपनी सांस्कृतिक पहचान दर्ज कराने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और निर्देशन में आयोजित हो रहे इस भव्य उत्सव में रूस, थाईलैंड, इंडोनेशिया, नेपाल और श्रीलंका के कलाकार भगवान श्रीराम की जीवनगाथा पर आधारित अंतरराष्ट्रीय रामलीला का मंचन करेंगे।

यह आयोजन 17 से 20 अक्टूबर तक चलेगा और इसमें कुल 90 विदेशी कलाकार शामिल होंगे, जो अपनी पारंपरिक कलाओं और वेशभूषा के साथ भारतीय संस्कृति के इस महोत्सव को नई ऊंचाई देंगे।
रूस से स्वयंवर का अद्भुत दृश्य

रूस से आए 15 कलाकार रामलीला में स्वयंवर प्रसंग का मंचन करेंगे। यह प्रस्तुति रूस की पारंपरिक रंगमंचीय तकनीक और भारतीय कथा के अद्भुत मिश्रण के रूप में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी।
कलाकारों ने महीनों की तैयारी के बाद इस मंचन को तैयार किया है, जिसमें वे श्रीराम और सीता के दिव्य मिलन की झलक दिखाएंगे।
थाईलैंड : धर्म और अधर्म के तीन निर्णायक युद्ध
थाईलैंड के 10 कलाकारों की टीम इस रामलीला में तीन मुख्य युद्धों का मंचन करेगी –
शूर्पणखा प्रसंग, मारीच वध और राम-रावण युद्ध।
यह प्रस्तुति थाईलैंड की पारंपरिक नृत्य-नाट्य शैली में होगी, जिसमें युद्ध के दृश्यों के माध्यम से धर्म और अधर्म के संघर्ष की भावना को प्रस्तुत किया जाएगा।
इंडोनेशिया : लंका दहन और अयोध्या वापसी के दृश्य
इंडोनेशिया से आए 10 कलाकार हनुमान द्वारा लंका दहन और राम की अयोध्या वापसी के दृश्य प्रस्तुत करेंगे। इंडोनेशियाई कलाकारों की पारंपरिक जावानीज़ नृत्य शैली और लाइटिंग इफेक्ट दर्शकों को आध्यात्मिक और दृश्यात्मक अनुभव प्रदान करेंगे।
नेपाल : लक्ष्मण शक्ति की पहली प्रस्तुति
नेपाल की 33 सदस्यीय टीम इस वर्ष पहली बार लक्ष्मण शक्ति प्रसंग का मंचन करेगी। अब तक नेपाल की रामलीला मुख्य रूप से सीता चरित्र पर केंद्रित रही है, लेकिन इस बार लक्ष्मण की वीरता और भगवान श्रीराम की धर्मनिष्ठा को नए दृष्टिकोण से दिखाया जाएगा।
श्रीलंका : रावणेश्वरा का मंचन
श्रीलंका से आए 22 कलाकारों में से दो पहले ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। यह दल रावणेश्वरा प्रसंग का मंचन करेगा, जिसमें श्रीलंका की मान्यता के अनुसार रावण को ईश्वर के रूप में दिखाया जाएगा। यह दृश्य भारतीय और लंकेश परंपरा के सांस्कृतिक सेतु का प्रतीक बनेगा।
अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की भूमिका
इस आयोजन की रूपरेखा अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या द्वारा तैयार की गई है। संस्थान के सलाहकार आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि इसका उद्देश्य रामलीला की परंपरा को वैश्विक मंच पर पुनर्जीवित करना और भारतीय संस्कृति को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करना है।
अयोध्या : लाखों दीपों से जगमगाएगी नगरी
दीपोत्सव के दौरान अयोध्या के 56 घाटों और सैकड़ों मंदिरों पर लाखों दीपों की रोशनी जगमगाएगी।
रंग-बिरंगी सजावट, पारंपरिक संगीत, लेजर शो और विदेशी कलाकारों की उपस्थिति अयोध्या को एक विश्व स्तरीय सांस्कृतिक केंद्र बना देगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दृष्टि : “अयोध्या से विश्व में पहुंचे भारत की संस्कृति की ज्योति”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि दीपोत्सव अब केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का वैश्विक उत्सव बन चुका है। उनके नेतृत्व में अयोध्या में न केवल भव्य कार्यक्रम हो रहे हैं, बल्कि हर वर्ष यह आयोजन देश और दुनिया के सांस्कृतिक कैलेंडर में विशेष स्थान प्राप्त कर रहा है।
दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण
- अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति
- पारंपरिक भारतीय परिधान, संगीत और नृत्य
- आधुनिक लाइटिंग और 3D सेट डिज़ाइन
- घाटों पर दीपों का समुद्र और आतिशबाज़ी
- देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए विशेष इंतज़ाम
True News UP का विश्लेषण
दीपोत्सव 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह “सांस्कृतिक कूटनीति” का प्रतीक भी बन रहा है।
भारत की सॉफ्ट पावर के रूप में अयोध्या की यह प्रस्तुति बताती है कि भगवान श्रीराम की कथा विश्वभर में लोक-संस्कृति और नैतिकता का साझा सूत्र बन चुकी है।
📍लेखक: शिवसागर सिंह चौहान
मुख्य सम्पादक, True News UP
वेबसाइट: www.truenewsup.com