
वाराणसी, 26 सितम्बर 2024: सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में आज 42वां दीक्षान्त समारोह सम्पन्न हुआ। इस भव्य समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने की। समारोह में राज्यपाल ने कुल 13,733 विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर, और पीएचडी की उपाधियाँ वितरित कीं। इसके साथ ही उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए 31 छात्रों को 56 स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।
संस्कृत भाषा की महत्ता पर राज्यपाल का जोर

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा, “संस्कृति की विरासत संस्कृत भाषा में संचित और संरक्षित है। संस्कृत न केवल देववाणी है, बल्कि देशवाणी भी है।” उन्होंने विश्वविद्यालय को प्राचीन ग्रंथों का हिन्दी में अनुवाद कराने का निर्देश देते हुए कहा कि इन ग्रंथों में समाहित आदर्श जीवन शैली का लाभ समाज के हर वर्ग को मिलना चाहिए।
120 आंगनवाड़ी किटों का वितरण

समारोह के दौरान, राज्यपाल ने 120 आंगनवाड़ी किटों का वितरण किया और आंगनवाड़ी केन्द्रों को बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “8 वर्ष तक के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने से उनके भविष्य की नींव मजबूत होगी।”
प्राचीन पांडुलिपियों का संरक्षण और डिजिटलीकरण

राज्यपाल ने सरस्वती भवन पुस्तकालय में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए कम्प्यूटरीकरण और डिजिटलीकरण पर जोर दिया। उन्होंने पांडुलिपियों के व्यापक प्रचार-प्रसार और प्रकाशन की भी आवश्यकता जताई, ताकि इनकी अमूल्य ज्ञानराशि से समाज लाभान्वित हो सके।
संस्कृत शिक्षा और आधुनिकता का समन्वय: मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे

समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने संस्कृत परंपराओं और आधुनिक शिक्षा प्रणाली के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान का सदुपयोग समाज और राष्ट्र के विकास में करें।
विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र उपाध्याय का वक्तव्य
विशिष्ट अतिथि श्री योगेन्द्र उपाध्याय ने संस्कृत को भारतीय इतिहास और संस्कृति की आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा से भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिलेगी और उत्तर प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा में सुधार के लिए प्रयासरत है।
महिलाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान
सारस्वत अतिथि रजनी तिवारी ने महिलाओं की शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि संस्कृत शिक्षा महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है। उन्होंने विश्वविद्यालय की नारी शिक्षा में अग्रणी भूमिका की सराहना की।
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का योगदान एवं उपस्थित गणमान्य
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने विश्वविद्यालय के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि यह संस्थान संस्कृत भाषा और भारतीय शास्त्रीय परंपराओं के संरक्षण के प्रति समर्पित है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान का उपयोग मानवता की सेवा में करें। समारोह में आयुष राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र, जिलाधिकारी चंदौली निखिल टीफू, मुख्य विकास अधिकारी संतोष कुमार श्रीवास्तव और विभिन्न विद्यालयों से आए बच्चे, शिक्षकगण, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियां सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे।


































