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तीन आयोगों की साझा पहल : किसानों तक योजनाओं की पहुँच बढ़ाने के लिए चलेगा विशेष जागरूकता अभियान, “गांव-गांव तक पहुँचेगा विकास का संदेश, किसानों में जगेगा भरोसा”

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार किसानों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से ठोस कदम उठा रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग और बागवानी विकास मिशन के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण अंतरविभागीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का मुख्य उद्देश्य था – राज्य सरकार की योजनाओं को सामान्य किसानों तक प्रभावी और समेकित रूप से पहुँचाना।

बैठक की मुख्य रूपरेखा

बैठक में तय किया गया कि किसानों के हितों की रक्षा और योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामीण स्तर तक पहुँचाने के लिए एक व्यापक विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान को विकास खंड स्तर तक विस्तारित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक किसान सरकारी प्रयासों से अवगत होकर लाभान्वित हो सकें।

सशक्त नेतृत्व और सहभागिता

यह बैठक उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्ता के सक्रिय प्रयासों से आयोजित की गई। उन्होंने विभिन्न विभागों एवं आयोगों को एक साझा मंच पर लाकर किसानों के हित में ठोस योजना तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाई।

कार्यक्रम में अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री बैजनाथ रावत और उपाध्यक्ष श्री बेचन राम ने भी सहभागिता की और प्रदेशभर से आई टीमों के साथ कार्यनीति पर गहन चर्चा की।

बागवानी विकास मिशन, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उत्तर प्रदेश के सदस्य श्री अजीत प्रताप सिंह ने विभागीय योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों, संगठनों और जनप्रतिनिधियों से इन योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने हेतु समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया।

प्रस्तावित प्रमुख उद्देश्य

  1. किसानों में योजनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना।
  2. विकास खंड स्तर तक सूचना और संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करना।
  3. किसानों को योजनाओं का समुचित लाभ दिलाकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
  4. राज्य की कृषि नीति को जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से लागू करना।
  5. स्थायी कृषि विकास और आत्मनिर्भर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।

उत्तर प्रदेश सरकार की यह संयुक्त पहल न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में एक प्रभावी कदम है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में नीति और क्रियान्वयन के बीच की दूरी को पाटने का भी प्रयास है। यदि यह मॉडल सही ढंग से लागू होता है, तो यह न केवल प्रदेश के कृषि क्षेत्र को सशक्त करेगा, बल्कि किसानों के जीवन स्तर को भी उल्लेखनीय रूप से ऊपर उठाएगा।


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