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तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान क्या संगठन है और इसके चलते अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर क्यों बढ़ा तनाव?

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रविवार को फिर से झड़पें भड़क उठीं हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे को स्थिति बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने दावा किया है कि उसकी सेनाओं ने इन ताजा झड़पों में पाकिस्तान के कुल 58 सैनिकों को मार गिराया. दोनों देशों के बीच झड़पों की शुरुआत तब हुई जब हाल ही में पाकिस्तान ने काबुल के बाहरी इलाकों में कथित आतंकी ठिकानों पर बमबारी की थी.

पाकिस्तान ने दावा किया इस बमबारी में 200 से ज्यादा तालिबान लड़ाके मारे गए, जबकि उनके 23 सैनिकों की मौत हुई है. वहीं, तालिबान के प्रवक्ता ने रविवार (12 अक्टूबर, 2025) की झड़पों को अफगानिस्तान की सीमा और हवाई क्षेत्र के बार-बार उल्लंघन के जवाब में की गई कार्रवाई बताया.

अफगान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के पीछे का क्या है मुख्य कारण?

दरअसल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सेनाओं के बीच डूरंड लाइन पर बढ़ते तनाव का मुख्य कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) है. यह संगठन लंबे समय से पाकिस्तान में सक्रिय है और इसका लक्ष्य पाकिस्तान में शरीयत कानून लागू करना और सरकार को अस्थिर करना है.

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है. यह एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन और उग्रवादी समूह है, जो अफगान-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में सक्रिय है. यह वही संगठन है, जो वर्तमान में सीमा पर भड़की हिंसा का मुख्य कारण बना हुआ है. इस संघर्ष में दोनों पक्षों को भारी जनहानि झेलनी पड़ी है.

पाकिस्तान लगा रहा आरोप, अफगानी मंत्री ने आरोपों को किया खारिज

पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता आ रहा है कि अफगान तालिबान टीटीपी के सदस्यों को पनाह दे रहा है, जो पाकिस्तान की धरती पर हमले करते हैं. हालांकि, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने रविवार (12 अक्टूबर, 2025) को अपने भारत दौरे के दौरान एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस के दौरान पाक के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि उनके देश की जमीन पर टीटीपी का एक भी सदस्य सक्रिय नहीं है.

2007 में बना था टीटीपी

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का गठन साल 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद के नेतृत्व में किया गया था. यह संगठन कई उग्रवादी समूहों का एक गठबंधन था, जो एक हद तक स्वतंत्र रूप से काम करते हैं. जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की जनजातीय इलाके में सेना के खिलाफ लड़ाई छेड़ना था. बेतुल्लाह महसूद की मौत के बाद इस संगठन का नेतृत्व वर्तमान में नूर वली मेहसूद कर रहे हैं, जो टीटीपी के आमिर हैं.

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