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उद्यान विभाग: तकनीकी सलाहकार समिति बैठक में औद्यानिक योजनाओं के सफल संचालन हेतु लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

तकनीकी सलाहकार समिति बैठक में औद्यानिक योजनाओं के सफल संचालन हेतु लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय
  • उच्च गुणवत्ता के F1 बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
  • किसानों के बीच रासायनिक कीटनाशकों के संतुलित उपयोग के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएंगे।
  • एनबीआरआई के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर कर फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
  • सब्जी उत्पादन में कीट और रोगों से बचाव के उपायों के लिए कृषि विश्वविद्यालयों से परामर्श लिया जाएगा।

लखनऊ, 30 दिसंबर 2024: उत्तर प्रदेश में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न औद्यानिक योजनाओं और कार्यक्रमों के सफल संचालन, आधुनिक तकनीकों के उपयोग और देश-विदेश में हो रहे अनुसंधान एवं नवाचारों के लाभ किसानों तक पहुँचाने के उद्देश्य से तकनीकी सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। यह बैठक कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस. गर्ग की अध्यक्षता में हुई। बैठक में प्रदेश में औद्यानिक फसलों के क्षेत्र विस्तार, रासायनिक कीटनाशकों के नियंत्रित उपयोग, फूलों की खेती को बढ़ावा देने, और किसानों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन सहित कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई।

संकर बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी

बैठक में सर्वप्रथम प्रदेश में औद्यानिक फसलों के क्षेत्र विस्तार पर चर्चा की गई। इसके अंतर्गत निर्णय लिया गया कि प्रदेश में उच्च गुणवत्ता वाले संकर (F1) बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। यह बीज विशेष रूप से प्रदेश की जलवायु और मृदा के अनुरूप होंगे, जिससे किसानों को बेहतर उपज मिल सके। इसके लिए वाराणसी स्थित भारतीय शाकभाजी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), अयोध्या के नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एएनडीयूएटी) और लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) से उन्नत प्रजातियों की सूची और बीजों की उपलब्धता की जानकारी प्राप्त की जाएगी। इन संस्थानों से विभाग को आवश्यकतानुसार बीजों की मांग प्रेषित करने का निर्देश दिया गया।

संकर बीजों के उपयोग से किसानों को बेहतर पैदावार मिल सकेगी, जो उनकी आय में वृद्धि करेगा और प्रदेश में औद्यानिक उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

रासायनिक कीटनाशकों के नियंत्रित उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा

बैठक में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि रासायनिक कीटनाशकों के संतुलित और नियंत्रित उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए लखनऊ के आरसीआईपीएमसी (Regional Centre for Integrated Pest Management in Crops) के संयुक्त निदेशक डॉ. जी.पी. सिंह को दिशा-निर्देश तैयार करने का निर्देश दिया गया। ये दिशा-निर्देश किसानों को प्रभावी ढंग से बताए जाएंगे ताकि रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग जरूरत के हिसाब से और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जा सके। इससे न केवल कृषि उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि पर्यावरण की रक्षा भी होगी।

रासायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक और अव्यवस्थित उपयोग से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस कदम से किसानों को कीटनाशकों का उचित उपयोग करने के तरीके बताए जाएंगे, जिससे कृषि में स्थिरता और पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहेगा।

फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एनबीआरआई के साथ समझौता

बैठक में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कदम उठाने की बात भी सामने आई। एनबीआरआई, लखनऊ के निदेशक डॉ. ए.के. शासने ने जानकारी दी कि संस्थान द्वारा प्रदेश में 12 विभिन्न क्लस्टरों में फूलों की खेती की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत गुलाब, गेंदा और ग्लैडियोलस जैसी फूलों की उन्नत किस्मों की खेती की जाएगी।

बैठक में एनबीआरआई के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया। इस समझौते से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री प्राप्त होगी, जिससे उनके उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही, किसानों के आय स्रोतों में भी सुधार होगा। फूलों की खेती को बढ़ावा देने से न केवल स्थानीय बाजार में फूलों की आपूर्ति बढ़ेगी, बल्कि निर्यात के अवसर भी सृजित होंगे।

उन्नत सब्जी उत्पादन तकनीकों और आम के निर्यात को बढ़ावा

बैठक में सब्जी उत्पादन की उन्नत तकनीकों को किसानों तक पहुँचाने की योजना भी बनाई गई। इसके लिए आईआईवीआर, वाराणसी और सीआईएसएच, लखनऊ के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा, ताकि किसानों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जा सके। इसके अलावा, प्रदेश में आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

बदलते मौसम और कीटों के बढ़ते खतरे को देखते हुए, कृषि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से कीटों और रोगों की रोकथाम के उपायों पर परामर्श प्राप्त किया जाएगा। इसके जरिए किसानों को मौसम की अनियमितताओं और कीटों के हमले से बचाव के उपाय बताए जाएंगे, जिससे उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी और उनकी उत्पादकता पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

बैठक में शामिल विशेषज्ञ और अधिकारी

इस बैठक में अनेक प्रमुख अधिकारी और विशेषज्ञ भी शामिल हुए, जिनमें सचिव कृषि श्री अनुराग यादव, विशेष सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग श्री ओ.पी. वर्मा, निदेशक डॉ. वी.बी. द्विवेदी, निदेशक कृषि डॉ. जितेन्द्र कुमार तोमर, सीआईएसएच के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुशील शुक्ला, आईआईवीआर वाराणसी के डॉ. अनंत बहादुर सिंह और अन्य अधिकारी शामिल थे। इन अधिकारियों ने औद्यानिक परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अपने सुझाव दिए और किसानों के लाभ के लिए विभिन्न योजनाओं पर विचार-विमर्श किया।

यह बैठक प्रदेश में औद्यानिक योजनाओं के क्रियान्वयन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। उच्च गुणवत्ता वाले संकर बीजों की उपलब्धता, रासायनिक कीटनाशकों का नियंत्रित उपयोग, फूलों की खेती को बढ़ावा देना, और सब्जी उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकों का प्रचार सभी मिलकर प्रदेश के किसानों की आय को बढ़ाने में मदद करेंगे।

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