अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान फिर दावा किया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. इससे पहले उन्होंने बुधवार (15 अक्टूबर 2025) कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस बारे में आश्वासन दिया है. ट्रंप ने कहा कि उन्होंने पहले ही आयात कम कर दिया है. यह एक बड़ा कदम है.
ट्रंप ने यह भी कहा कि अब वे चीन पर भी इसी तरह का दबाव डालेंगे ताकि वह रूस से कच्चा तेल न खरीदे. ट्रंप के बयान से पहले गुरुवार (16 अक्टूबर 2025) को भारत के विदेश मंत्रालय ने तेल खरीद से जुड़े दावे को सिरे से खारिज कर दिया था. प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत या टेलीफोन कॉल की कोई जानकारी नहीं है. विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि दोनों नेताओं के बीच हाल में किसी भी तरह की बातचीत नहीं हुई, इसलिए तेल खरीद पर आश्वासन का सवाल ही नहीं उठता.
क्यों रूसी तेल खरीद पर भड़के हुए हैं ट्रंप?
अमेरिका का मानना है कि भारत की तरफ से रूस से तेल खरीद जारी रखने से मॉस्को को यूक्रेन युद्ध के वित्त पोषण में मदद मिलती है. हालांकि, भारत ने बार-बार कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर निर्णय लेता है. भारत अब भी रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदता है, लेकिन इस आयात में पिछले महीनों में कुछ कमी आई है.
हंगरी पर नरम, भारत पर सख्त क्यों?
जब पत्रकारों ने हंगरी के रूसी तेल आयात पर सवाल पूछा तो ट्रंप ने नरम रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि हंगरी एक तरह से फंसा हुआ है क्योंकि उनके पास समुद्र नहीं है और तेल लाने के लिए केवल पाइपलाइन पर निर्भर हैं. वे तनाव कम कर रहे हैं और अब लगभग रुक चुके हैं. उन्होंने हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन को एक महान नेता बताया और कहा कि आने वाले हफ्तों में वह उनसे मुलाकात करेंगे.
रूस से तेल खरीदने की रफ्तार बढ़ी
डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी के बावजूद रूस से भारत का कच्चा तेल आयात अक्टूबर के पहले पखवाड़े में मजबूत हुआ, जिससे जुलाई-सितंबर के दौरान आवक में तीन महीने की गिरावट थम गई. त्योहारी मांग को पूरा करने के लिए रिफाइनरियां पूरी तरह से काम पर लौट आई हैं. रूस से आयात जून में 20 लाख बैरल प्रतिदिन से घटकर सितंबर में 16 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया था. अक्टूबर के शुरुआत में हालांकि आंकड़ों से सुधार का संकेत मिलता है.