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डॉ. राजेश्वर सिंह का अभिनव प्रस्ताव: जनकल्याणकारी योजनाओं में ब्लॉकचेन और AI तकनीक का समावेश जरूरी

  • डॉ. राजेश्वर सिंह ने पीएम आवास योजना में ब्लॉकचेन-AI तकनीक के समावेश का प्रस्ताव दिया
  • लाभार्थियों को पारदर्शी और समयबद्ध सेवा देने की दिशा में तकनीकी समाधान सुझाए
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स, AI डैशबोर्ड और ब्लॉकचेन स्वीकृति से भ्रष्टाचार पर लगाम
  • राज्य सरकार को तीन चरणों में पायलट से लेकर राज्यव्यापी विस्तार की रणनीति दी गई
  • यह मॉडल यूपी को डिजिटल वेलफेयर गवर्नेंस में राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदान कर सकता है

लखनऊ : उत्तर प्रदेश अब जनकल्याणकारी योजनाओं में तकनीकी क्रांति की दहलीज़ पर खड़ा है। सरोजनीनगर क्षेत्र के विधायक एवं पूर्व आईआरएस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक दृष्टिकोणपरक और नवोन्मेषी प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) समेत विभिन्न सामाजिक-आर्थिक योजनाओं में ब्लॉकचेन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग की संस्तुति की गई है।

डॉ. सिंह का यह कदम न केवल डिजिटल इंडिया अभियान के अनुरूप है, बल्कि विकसित भारत @2047 के दृष्टिकोण को भी धरातल पर उतारने की दिशा में निर्णायक सिद्ध हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि इन तकनीकों को योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल किया गया, तो न केवल शासन अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगा, बल्कि जनता को मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता में भी ऐतिहासिक सुधार होगा।

तकनीक की आवश्यकता क्यों? – पृष्ठभूमि और तर्क

उत्तर प्रदेश में लाखों लाभार्थियों तक पहुंचने वाली योजनाएं जैसे पीएम आवास योजना, उज्ज्वला, पेंशन, शौचालय निर्माण आदि में भ्रष्टाचार, देरी, और फील्ड स्तर पर अनियमितता जैसी समस्याएं लगातार सामने आती रही हैं। डॉ. सिंह के अनुसार इन चुनौतियों का स्थायी समाधान उच्च तकनीक पर आधारित समाधान ही हो सकता है, जो निम्नलिखित समस्याओं से निपटने में मदद करेगा:

मुख्य चुनौतियाँ:

  • योजना स्वीकृति के बाद दस्तावेजों में फेरबदल
  • लाभार्थियों की दोहरी प्रविष्टि या गलत जानकारी
  • राशि वितरण में विलंब
  • निर्माण की प्रगति की अपारदर्शी निगरानी
  • शिकायतों का निष्क्रिय समाधान और स्थानीय स्तर पर लीकेज

डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा सुझाए गए समाधान – तकनीक आधारित शासन की दिशा में ठोस प्रस्ताव

डॉ. सिंह का प्रस्ताव एक समग्र तकनीकी मॉडल प्रस्तुत करता है, जो योजना की स्वीकृति से लेकर अंतिम क्रियान्वयन तक को डिजिटल और पारदर्शी बनाता है।

प्रमुख समाधान बिंदु:

  1. ब्लॉकचेन पर योजना स्वीकृति आदेश:
    योजना की स्वीकृति यदि ब्लॉकचेन नेटवर्क पर दर्ज की जाए, तो कोई भी व्यक्ति या अधिकारी उसमें फेरबदल नहीं कर सकेगा। यह व्यवस्था लाभार्थी को मूल अधिकार सुनिश्चित करेगी।
  2. AI आधारित जियो-टैग्ड मॉनिटरिंग:
    आवास या अन्य निर्माण परियोजनाओं की भौगोलिक स्थिति, निर्माण की गति और गुणवत्ता की वास्तविक समय पर निगरानी संभव हो सकेगी। इसके आधार पर ही अगली किस्तें स्वतः जारी होंगी।
  3. स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स:
    योजनाओं के तहत मिलने वाली वित्तीय सहायता (जैसे DBT) स्वचालित रूप से लाभार्थी के खाते में तब जारी होगी, जब AI द्वारा सत्यापित हो कि निर्माण कार्य तय मापदंडों पर है।
  4. AI डैशबोर्ड:
    नागरिकों और अधिकारियों दोनों के लिए एक साझा डैशबोर्ड जिससे योजना की प्रगति, लंबित मामलों और शिकायतों की स्थिति रीयल-टाइम में देखी जा सके।
  5. शिकायत और अनियमितता पहचान प्रणाली:
    शिकायतें केवल फॉर्मेलिटी नहीं रहेंगी, बल्कि AI तकनीक उन्हें प्राथमिकता के आधार पर वर्गीकृत करेगी और अनियमितता के संकेतों पर स्वतः सतर्क करेगी।
  6. यूनिफाइड ब्लॉकचेन ID:
    प्रत्येक लाभार्थी की एक विशेष ब्लॉकचेन-आधारित पहचान होगी, जिससे वह राज्य या केंद्र की किसी भी योजना के लिए पात्रता रखता है या नहीं – यह स्वतः पता चलेगा।

तीन-चरणीय कार्यान्वयन योजना – एक व्यवस्थित दृष्टिकोण

इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए डॉ. सिंह ने एक तीन चरणों वाली रणनीति सुझाई है:

1. पायलट चरण (1-2 जिले):

  • पीएम आवास योजना का डेटा ब्लॉकचेन पर ट्रांसफर
  • सीमित AI मॉनिटरिंग और शिकायत डैशबोर्ड

2. जिला स्तर पर विस्तार:

  • MIS सिस्टम के साथ समन्वय
  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स का इंटीग्रेशन
  • चैटबॉट आधारित शिकायत निवारण प्रणाली

3. राज्यव्यापी क्रियान्वयन:

  • सभी योजनाओं का लाभार्थी डेटा एक प्लेटफॉर्म पर
  • AI आधारित नीति निर्माण और ऑडिट प्रक्रिया
  • तकनीकी रूप से सक्षम ग्रामीण और शहरी निकायों का सशक्तीकरण

उत्तर प्रदेश को बनाया जा सकता है राष्ट्रीय मॉडल स्टेट

डॉ. राजेश्वर सिंह का मानना है कि उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक क्षमता और इच्छाशक्ति पहले ही प्रमाणित हो चुकी है। अब आवश्यकता है तकनीक के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं की निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करने की। उनके अनुसार यदि यह मॉडल सफल होता है, तो उत्तर प्रदेश डिजिटल वेलफेयर गवर्नेंस का अग्रदूत बन सकता है, जिसकी नकल अन्य राज्य भी करेंगे।

मुख्यमंत्री से विशेष आग्रह

डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि इस प्रस्ताव को ग्रामीण विकास, शहरी आवास और सूचना प्रौद्योगिकी विभागों के माध्यम से समन्वित करते हुए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में क्रियान्वित किया जाए। उन्होंने कहा:

“यह तकनीकी मॉडल उत्तर प्रदेश को नागरिक-प्रथम शासन की दिशा में एक नई पहचान देगा। इससे ना केवल योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि आम जनता का भरोसा भी शासन तंत्र में और मजबूत होगा।” – डॉ. राजेश्वर सिंह

डॉ. राजेश्वर सिंह का यह प्रस्ताव प्रशासनिक नवाचार और डिजिटल गवर्नेंस का अनूठा उदाहरण है। यदि इसे कार्यान्वित किया जाता है, तो यह न केवल योजनाओं की गुणवत्ता में सुधार लाएगा, बल्कि शासन में जवाबदेही, पारदर्शिता और समयबद्ध सेवा वितरण की दिशा में भी एक क्रांतिकारी परिवर्तन साबित होगा।

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