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“गाजा में कफन तक मयस्सर नहीं, इजरायली हमलों में मारे गए लोगों को कंबलों में लपेटकर दफनाने की मजबूरी”

गाजा में हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि अब मारे गए लोगों को दफनाने के लिए कफन तक मयस्सर नहीं है. लगातार इजरायली हमलों और भूख से मरने वालों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि सफेद कफन की जगह अब शवों को मोटे कंबलों में लपेटकर दफनाया जा रहा है. श्मशान और अस्पताल दोनों भर चुके हैं.

इजरायली फायरिंग और एयरस्ट्राइक्स में सोमवार (04 अगस्त,2025) को कम से कम 40 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई. इनमें 10 लोग वे थे जो अमेरिकी समर्थित ‘गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन’ (GHF) के राहत केंद्रों पर मदद लेने पहुंचे थे. इसके अलावा 5 लोगों की भूख और कुपोषण के चलते मौत हो गई.

राहत केंद्रों पर गोलीबारी, शरणार्थियों की हुई मौत
स्थानीय डॉक्टरों ने बताया कि ये 10 मौतें मध्य और दक्षिण गाजा में दो अलग-अलग घटनाओं में हुईं. वहीं, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने जानकारी दी कि रविवार को उत्तरी गाजा में ज़िकिम क्रॉसिंग पर राहत ट्रक का इंतजार कर रहे 13 लोगों को भी गोली मार दी गई.

या तो आटा मिलता है या शव बनकर लौटते हैं लोग!
40 वर्षीय फिलिस्तीनी बिलाल थारी ने बताया, ‘जो भी मदद लेने जाता है, वह या तो आटे की बोरी लेकर लौटता है या फिर लाश बनकर. कोई सुरक्षित नहीं लौटता.’ उन्होंने सोमवार को अल शिफा अस्पताल में अपने परिजनों की लाशें लेने पहुंचे लोगों के साथ दुख साझा किया.

कफन भी नहीं बचे, कम्बलों में लपेटे शव
गाजा में इसरायली सीमाई प्रतिबंधों और मौतों की बढ़ती संख्या के कारण सफेद कफन की भारी कमी हो गई है. इसलिए शवों को रंगीन मोटे कम्बलों में लपेटा जा रहा है, जिससे इस्लामिक परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार में बाधा आ रही है.

“हमें युद्ध नहीं, शांति चाहिए”
बिलाल थारी ने कहा, ‘हम युद्ध नहीं चाहते. हम शांति चाहते हैं. महिलाएं सड़कों पर हैं, हम सब भूखे हैं. हमारे पास एक सामान्य जीवन जीने की कोई सुविधा नहीं है. ये जीवन नहीं है.’

इजरायल की सफाई और रणनीति
इजरायली सेना ने सोमवार की घटना पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं दी, लेकिन कहा कि दक्षिण गाजा में जिस राहत केंद्र के पास लोग मारे गए, वहां उन्होंने सोमवार को गोली नहीं चलाई. इजरायल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वह अपनी सुरक्षा कैबिनेट के साथ इस हफ्ते रणनीति पर चर्चा करेंगे.

भूख से अब तक 180 की मौत, 93 बच्चे शामिल
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, बीते 24 घंटों में पांच और लोग भूख से मर गए हैं. युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 180 लोगों की भूख से मौत हो चुकी है, जिनमें 93 बच्चे शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि खाने की एयरड्रॉप पर्याप्त नहीं हैं, ज़मीन के रास्ते तत्काल अधिक राहत भेजी जानी चाहिए.

इजरायल ने कितनी मदद भेजी?
COGAT (इजरायली सैन्य एजेंसी) ने बताया कि पिछले सप्ताह 1,200 ट्रकों में 23,000 टन से अधिक मानवीय सहायता गाजा भेजी गई. हालांकि इनमें से सैकड़ों ट्रक अब भी वितरण केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए हैं. इजरायली सेना ने बताया कि छह देशों के सहयोग से सोमवार को 120 फूड पैकेट एयरड्रॉप किए गए.

हमास शासित गाजा मीडिया कार्यालय ने बताया कि जुलाई के अंत से जबसे इजरायल ने सीमित राहत देने की अनुमति दी है, अब तक 600 राहत ट्रक पहुंचे हैं. लेकिन गवाहों और हमास के सूत्रों का कहना है कि इनमें से कई ट्रक रास्ते में ही लूट लिए गए. संयुक्त राष्ट्र और फिलिस्तीनी अधिकारियों के मुताबिक, गाजा को हर दिन कम से कम 600 राहत ट्रकों की ज़रूरत है, जो युद्ध से पहले इजरायल द्वारा अनुमत संख्या थी.

यह युद्ध 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ था, जब हमास ने दक्षिणी इजरायल पर हमला कर 1,200 लोगों को मार डाला और 251 को बंधक बना लिया. इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर हमला शुरू कर दिया. अब तक इजरायल के हमलों में 60,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है. इजरायली आंकड़ों के मुताबिक, अब भी गाजा में 50 बंधक हैं, जिनमें से सिर्फ 20 के जीवित होने की संभावना है.

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