इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर खुद को इसका उम्मीदवार बताया है. व्हाइट हाउस में फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब के साथ बातचीत में ट्रंप ने दावा किया कि इतिहास में किसी ने भी वो उपलब्धि हासिल नहीं की, जो उन्होंने हासिल की है. एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 8 युद्ध सिर्फ़ नौ महीनों में समाप्त हो गए. ट्रंप के इस बड़े दावे के बीच ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल समिति के सदस्य कथित तौर खुद को इस बात के लिए तैयार कर रहे हैं कि अगर ट्रंप को एक बार फिर नजरअंदाज किया गया तो क्या होगा.
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पहले ही अपना निर्णय ले लिया है और 10 अक्टूबर 2025 को पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाएगी. ये घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति के इजरायल-हमास युद्ध विराम के ऐलान के बाद होगी.
‘इतिहास में किसी ने भी 9 महीनों में 8 युद्ध नहीं रुकवाए’
व्हाइट हाउस में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, “मैं जानता हूं कि इतिहास में किसी ने भी 9 महीनों में 8 युद्ध नहीं रुकवाए हैं और मैंने 8 युद्ध रोके हैं, इसलिए ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. उन्हें वही करना होगा जो वे करते हैं, वे जो भी करते हैं, ठीक है. मैंने ऐसा इसलिए नहीं किया. मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैंने बहुत सी जानें बचाईं.” उन्होंने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि हर सप्ताह 7,000 सैनिक मारे जाते हैं. ट्रंप ने वादा किया कि वह इस समस्या का भी समाधान निकाल लेंगे.
कौन से हैं वो 8 देश, जिन्हें लेकर ट्रंप कर रहे दावा
ट्रंप के अनुसार दुनिया उनकी कर्जदार है, क्योंकि उन्होंने अपने दम 8 युद्ध रुकवाए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति की इस लिस्ट में इज़राइल-ईरान, भारत और पाकिस्तान, कांगो और रवांडा, कंबोडिया-थाईलैंड, आर्मेनिया और अज़रबैजान इसके अलावा नील नदी पर बांध को लेकर मिस्र और इथियोपिया का विवाद और सर्बिया-कोसोवो से जुड़े विवाद या युद्धविराम के प्रयास शामिल हैं. उनका दावा है कि आठवां संघर्ष गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष विराम है, जिसे उन्होंने चिरस्थायी शांति के रूप में पेश किया है.
ट्रंप की पीस लिस्ट में शामिल देशों में से एक भारत ने नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मध्यस्थता के उनके दावे को बार-बार खारिज किया है. भारत ने स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे पूरी तरह से द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कभी आवश्यकता नहीं है.


































