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उत्तर प्रदेश एसटीएफ की बड़ी कामयाबी: बांदा से 80 लाख रुपये का गांजा बरामद, दो तस्कर गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश एसटीएफ की बड़ी कामयाबी: 80 लाख रुपये का गांजा बरामद, दो तस्कर गिरफ्तार
  • बरामदगी: 2.10 क्विंटल गांजा, महिंद्रा पिकअप वाहन और एक मोबाइल फोन।
  • गिरफ्तार आरोपी: मनोज मिश्रा (बहराइच) और असलम (बरेली)।
  • गांजा की कीमत: बाजार में 80 लाख रुपये।
  • तस्करी का तरीका: वाहनों में विशेष कैविटी बनाकर गांजे को छिपाया जाता था।
  • मुकदमा दर्ज: एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत मामला पंजीकृत।

    लखनऊ, 23 दिसम्बर 2024: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह के दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। 23 दिसंबर 2024 को बांदा जिले के नवाबगंज टैंक तिराहे के पास एक महिंद्रा पिकअप वाहन से 2.10 क्विंटल गांजा बरामद किया गया। इस गांजे की बाजार में अनुमानित कीमत लगभग 80 लाख रुपये बताई जा रही है।

    गिरफ्तारी का विवरण

    गिरफ्तार किए गए तस्करों की पहचान मनोज कुमार मिश्रा (चंद्रावा, थाना विशेष्वरगंज, जनपद बहराइच) और असलम (देवचरा, तहसील आंवला, थाना भमौरा, जनपद बरेली) के रूप में हुई है। इनके पास से एक महिंद्रा पिकअप वाहन (नंबर UP-46-T-1797), 2.10 क्विंटल गांजा और एक मोबाइल फोन बरामद हुआ।

    कार्रवाई कैसे हुई?

    एसटीएफ को काफी समय से जानकारी मिल रही थी कि उड़ीसा से अवैध मादक पदार्थ लाकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में सप्लाई करने वाले गिरोह सक्रिय हैं। एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों ने टीमों को इस पर काम करने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में डीएसपी शैलेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में निरीक्षक जय प्रकाश राय और उनकी टीम ने बांदा जिले में अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखी।

    23 दिसंबर की सुबह एसटीएफ टीम को सूचना मिली कि एक महिंद्रा पिकअप वाहन, जिसमें गांजा लदा हुआ है, बांदा से होते हुए बरेली की ओर जा रहा है। सूचना पाकर टीम ने बांदा जिले के नवाबगंज टैंक तिराहे के पास वाहन को रोका। वाहन की तलाशी में पिकअप के केबिन के पीछे बनी विशेष कैविटी में गांजा छिपा हुआ मिला। मौके पर ही दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया गया।

    पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे

    गिरफ्तार तस्करों ने पूछताछ में बताया कि वे उड़ीसा के उमरकोट इलाके से गांजा लाकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। तस्करी के लिए उनके गिरोह ने वाहनों में विशेष कैविटी बनवा रखी थी, ताकि मादक पदार्थों को छिपाया जा सके। इस गिरोह में अन्य सदस्य भी शामिल हैं, जिनमें हरीश कुमार गुप्ता उर्फ मोनू और यूसुफ अंसारी प्रमुख हैं।

    तस्करों ने यह भी स्वीकार किया कि वे हर सफल डिलीवरी पर 15-15 हजार रुपये का इनाम लेते हैं। मुनाफे को आपस में बांटने के बाद इसे अन्य कार्यों में लगाया जाता है। गिरफ्तार आरोपियों ने यह भी बताया कि वे कई वर्षों से उड़ीसा से गांजे की तस्करी कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश के जिलों में सप्लाई करते आ रहे हैं।

    तस्करी का नेटवर्क

    गिरोह उड़ीसा के उमरकोट क्षेत्र से गांजा लाकर प्रयागराज और बरेली जैसे बड़े शहरों में पहुंचाता था। गांजे को विशेष रूप से तैयार वाहनों में छिपाकर लाया जाता था। गिरोह के सदस्य इस कारोबार से भारी मुनाफा कमा रहे थे।

    आगे की कार्रवाई

    गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ बांदा जिले के कोतवाली नगर थाने में एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। स्थानीय पुलिस अब इस गिरोह से जुड़े अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है। साथ ही इस नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए एसटीएफ और स्थानीय पुलिस मिलकर काम कर रही है।

    एसटीएफ की यह कार्रवाई मादक पदार्थों की तस्करी पर एक बड़ी चोट है। इस ऑपरेशन से न केवल तस्करी के नेटवर्क का खुलासा हुआ है, बल्कि इसके पीछे के संगठित गिरोह को बेनकाब करने में भी मदद मिली है। एसटीएफ और पुलिस की यह संयुक्त कार्रवाई समाज में नशा तस्करों के खिलाफ सख्त संदेश है।

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