HomeDaily Newsउत्तरप्रदेश: शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु उत्तर प्रदेश में डायट को सेंटर...

उत्तरप्रदेश: शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु उत्तर प्रदेश में डायट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की दिशा में “SCERT और यूनिसेफ” के सहयोग से तीन दिवसीय शोध लेखन कार्यशाला का आयोजन, सराहनीय कदम

true news up

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य में परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) को ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। इसी क्रम में, SCERT (उत्तर प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) ने यूनिसेफ के सहयोग से एक तीन दिवसीय शोध लेखन कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य डायट के प्रवक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करना और शिक्षा सुधार के नए आयामों को खोजना था। कार्यशाला का आयोजन लखनऊ में किया गया जिसमें प्रदेश के 15 जिलों के डायट प्रवक्ताओं ने भाग लिया। यह जिलों का चयन ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ प्रथम चरण के तहत किया गया था। कार्यशाला का समापन गुरुवार को हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को शोध रिपोर्ट लेखन और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने पर गहन प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य और अनुसंधान की भूमिका

SCERT के संयुक्त निदेशक, डॉ. पवन कुमार, ने कहा, “इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को प्रभावी शोध रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम बनाना है ताकि उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जा सके। इसके साथ ही, यह शोध शैक्षिक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने में सहायक सिद्ध होगा।”
डॉ. पवन कुमार ने बताया कि इससे पूर्व दिसम्बर 2023 में 15 जिलों के डायट प्रवक्ताओं का एक 10 दिवसीय प्रशिक्षण महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, गुजरात में आयोजित किया गया था, जहाँ उन्हें शोध के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद, प्रवक्ताओं ने अपने-अपने शोध विषयों का चयन किया, और अब वे अपने शोध के अंतिम चरण में हैं।

शोध लेखन कार्यशाला के विशेषज्ञ और मार्गदर्शक

कार्यशाला में महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बड़ौदा के शिक्षा और मनोविज्ञान संकाय के डीन, प्रो. आशुतोष बिस्वाल, ने प्रतिभागियों को उनके शोध रिपोर्ट को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन दिया।
यूनिसेफ के शिक्षा अधिकारी, श्री रवि राज दयाल, ने बताया कि एक समन्वित ‘शोध मॉड्यूल’ तैयार किया जा रहा है जो भविष्य में डायट प्रवक्ताओं के लिए एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगा। इससे प्रवक्ता शोध तकनीकों को सरलता से समझ पाएंगे और अन्य शिक्षकों को भी प्रभावी प्रशिक्षण दे सकेंगे।

डायट का ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बनने की दिशा में रोडमैप

2022 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर, डायट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए थे। इस अध्ययन ने डायट के पाठ्यक्रम में बदलाव लाने और नेतृत्व विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता पर जोर दिया था।
यूनिसेफ ने डायट को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें पुस्तकालय, प्रयोगशाला, डिजिटल उपकरणों का उपयोग, और स्थानीय संदर्भों के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना और संचालित करना शामिल है। इसके साथ ही, शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए डायट को एक संसाधन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

चयनित जिलों की सूची

उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में जो डायट ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ प्रथम चरण में चुने गए हैं, उनमें निम्नलिखित जिले शामिल हैं:

  1. आगरा
  2. अलीगढ़
  3. बाराबंकी
  4. बरेली
  5. ग़ाज़ीपुर
  6. गोरखपुर
  7. जौनपुर
  8. कानपुर देहात
  9. कुशीनगर
  10. मेरठ
  11. मुरादाबाद
  12. मुज़फ्फरनगर
  13. प्रयागराज
  14. रामपुर
  15. वाराणसी

SCERT और यूनिसेफ का सहयोग

यूनिसेफ के शिक्षा अधिकारी, श्री रवि राज दयाल, ने डायट प्रवक्ताओं के लिए एक मास्टर प्रशिक्षक समूह बनाने के लिए SCERT के साथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने बताया कि यूनिसेफ की यह पहल शिक्षकों और प्रवक्ताओं को न केवल बेहतर शोध करने के लिए प्रेरित करेगी बल्कि उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण देने में भी सहायक सिद्ध होगी।

कार्यशाला के माध्यम से शिक्षा सुधार की दिशा में पहल

यह कार्यशाला शिक्षा क्षेत्र में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। इससे न केवल परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि शिक्षकों को अपने शोध को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने का अवसर भी मिलेगा। इसके अलावा, इस पहल से शिक्षकों और प्रवक्ताओं को उनके विषयों में नवाचार करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। शोध लेखन कार्यशाला के सफल आयोजन से प्रदेश के विभिन्न जिलों के डायट प्रवक्ताओं को अपने शोध के बेहतर प्रस्तुतीकरण में सहायता मिली है। SCERT और यूनिसेफ के सहयोग से यह पहल शिक्षकों को नवाचार और शोध के नए आयामों में कदम रखने के लिए प्रेरित करेगी, जिससे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नया रूप मिलेगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments