
डिजिटल युग में मोबाइल और टैबलेट का उपयोग न केवल वयस्कों बल्कि छोटे बच्चों के लिए भी सामान्य हो गया है। 0-5 वर्ष की आयु के बच्चों में मोबाइल और स्क्रीन के प्रति बढ़ती लत ने माता-पिता और विशेषज्ञों के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। यह आयु बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास का सबसे महत्वपूर्ण चरण होती है। ऐसे में डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग उनके विकास को बाधित कर सकता है।
भारत में 0-5 वर्ष के बच्चों का स्क्रीन उपयोग: एक चिंताजनक आंकड़ा
1. चलन और आदतें:
- मोबाइल को खिलौने की तरह उपयोग करना:
- बच्चे मोबाइल और टैबलेट को खिलौने की तरह देखते हैं और इसमें उपलब्ध रंगीन कार्टून, गाने और वीडियो उनके लिए बहुत आकर्षक होते हैं।
- शांत करने का उपकरण:
- माता-पिता अक्सर बच्चों को शांत करने या व्यस्त रखने के लिए मोबाइल का उपयोग करते हैं, विशेषकर खाने या सोने के समय।
2. आंकड़े और तथ्य:
- एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 0-5 वर्ष के 70% बच्चे किसी न किसी रूप में स्क्रीन का उपयोग करते हैं।
- 50% माता-पिता स्वीकार करते हैं कि उनके बच्चे प्रतिदिन कम से कम 2 घंटे मोबाइल देखते हैं।
- यूट्यूब और कार्टून: इस आयु वर्ग के बच्चों के बीच सबसे लोकप्रिय कंटेंट हैं।
मोबाइल और स्क्रीन लत के कारण और प्रभाव
कारण:
- माता-पिता की व्यस्तता:
- कामकाजी माता-पिता के पास बच्चों के साथ पर्याप्त समय बिताने का समय नहीं होता, जिससे वे मोबाइल का उपयोग एक आसान उपाय के रूप में करते हैं।
- सुविधा और उपलब्धता:
- सस्ते डेटा प्लान और स्मार्टफोन की आसान उपलब्धता ने इस समस्या को बढ़ा दिया है।
- शिक्षा और मनोरंजन का भ्रम:
- माता-पिता यह मानते हैं कि मोबाइल और टैबलेट से बच्चे कुछ सीख रहे हैं, लेकिन यह अक्सर केवल मनोरंजन तक ही सीमित रहता है।
प्रभाव:
1. मानसिक और संज्ञानात्मक विकास पर प्रभाव:
- भाषा और संवाद कौशल में कमी:
- स्क्रीन पर निर्भरता के कारण बच्चे बोलने और संवाद करने में देरी का अनुभव करते हैं।
- ध्यान केंद्रित करने में समस्या:
- लगातार मोबाइल का उपयोग बच्चों की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को कमजोर करता है।
2. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- दृष्टि समस्याएं:
- मोबाइल स्क्रीन पर लंबे समय तक देखने से बच्चों की आंखों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- मोटापा:
- स्क्रीन टाइम में वृद्धि के कारण शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, जिससे मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
- नींद की गड़बड़ी:
- रात में मोबाइल देखने से बच्चों के स्लीप साइकल पर असर पड़ता है।
3. सामाजिक और भावनात्मक विकास पर प्रभाव:
- सामाजिक अलगाव:
- मोबाइल पर समय बिताने के कारण बच्चे परिवार और दोस्तों के साथ कम बातचीत करते हैं।
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा:
- मोबाइल से दूर करने पर बच्चे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो सकते हैं।
4. व्यसनी व्यवहार:
- आदत बनने का खतरा:
- इस उम्र में डिजिटल उपकरणों की लत आगे चलकर अन्य प्रकार के व्यसनों की प्रवृत्ति को जन्म दे सकती है।
0-5 वर्ष के बच्चों में मोबाइल लत के प्रति विशेषज्ञों की राय
डॉ. प्रियंका शर्मा (बाल रोग विशेषज्ञ):
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका शर्मा के मुताबिक “बच्चों के दिमाग का विकास शुरुआती वर्षों में बहुत तेजी से होता है। यदि इस समय स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग किया जाए, तो उनके मस्तिष्क की संरचना और कार्य प्रभावित हो सकते हैं।”
डॉ. मोनिका गुप्ता (बाल मनोवैज्ञानिक):
बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. मोनिका गुप्ता के मुताबिक “बच्चों के लिए मोबाइल एक आसान मनोरंजन साधन बन गया है, लेकिन यह उनकी रचनात्मकता और समस्या समाधान की क्षमता को कम करता है। माता-पिता को इस आदत को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।”
डॉ. संजीव सिंह (शिशु स्वास्थ्य विशेषज्ञ):
शिशु स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. संजीव सिंह के मुताबिक “मोबाइल का उपयोग सीमित करने और बच्चों को अधिक शारीरिक और सामाजिक गतिविधियों में शामिल करने से उनकी लत को रोका जा सकता है।”
समस्या का समाधान: बच्चों को स्क्रीन लत से बचाने के उपाय
1. स्क्रीन टाइम पर नियंत्रण:
- आयु के अनुसार समय सीमा:
- 0-2 वर्ष: स्क्रीन उपयोग पूरी तरह से बंद हो।
- 3-5 वर्ष: स्क्रीन उपयोग 1 घंटे प्रतिदिन से अधिक न हो।
2. वैकल्पिक गतिविधियों को बढ़ावा दें:
- रचनात्मक खेल:
- बच्चों को शारीरिक खेल, ड्रॉइंग, और अन्य रचनात्मक गतिविधियों में शामिल करें।
- पढ़ाई और कहानी सुनाना:
- बच्चों को किताबें पढ़ने और कहानियां सुनाने की आदत डालें।
3. माता-पिता की भूमिका:
- रोल मॉडल बनें:
- माता-पिता को खुद भी मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए ताकि बच्चे उनसे प्रेरणा लें।
- गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं:
- बच्चों के साथ खेलने और बात करने में अधिक समय लगाएं।
4. तकनीकी समाधान:
- पैरेंटल कंट्रोल ऐप्स:
- बच्चों की स्क्रीन उपयोग पर निगरानी रखने के लिए पैरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर का उपयोग करें।
- ऑफलाइन मोड:
- बच्चों को बिना इंटरनेट वाले ऐप्स और सामग्री तक सीमित रखें।
5. स्क्रीन-फ्री जोन बनाएं:
- घर के कुछ हिस्सों, जैसे डाइनिंग टेबल और बेडरूम, को स्क्रीन-फ्री जोन घोषित करें।
0-5 वर्ष की आयु बच्चों के जीवन का सबसे संवेदनशील और विकासशील समय होता है। इस दौरान मोबाइल और स्क्रीन के अत्यधिक उपयोग से उनकी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक वृद्धि पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
माता-पिता और समाज को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। बच्चों को स्वस्थ और रचनात्मक गतिविधियों की ओर प्रेरित करना, स्क्रीन समय को नियंत्रित करना, और डिजिटल उपकरणों का उपयोग केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए करना इस समस्या को हल करने में मदद कर सकता है।
यदि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह न केवल बच्चों के भविष्य को बल्कि समाज के समग्र स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।