
- 2030 तक विश्व के हर दसवें मोटे बच्चे में से एक भारत से होगा।
- भारत में 1990 से 2022 तक बच्चों में मोटापे की दर में 31 गुना वृद्धि हुई।
- मोटापे के मुख्य कारणों में मीठे पेय, जंक फूड और शारीरिक निष्क्रियता शामिल हैं।
- सरोजनीनगर में खेल लीग, ओपन जिम, और युवा क्लबों के जरिए खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- डॉ. राजेश्वर सिंह का मानना है कि सामुदायिक प्रयासों और नीतिगत सुधारों से मोटापे की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
लखनऊ (सरोजनीनगर), 30 नवम्बर 2024: बच्चों में मोटापा (ओबेसिटी) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है, जो न केवल भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए चुनौती है, बल्कि देश के भविष्य को भी खतरे में डाल सकती है। सरोजनीनगर के लोकप्रिय विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए समाधान के लिए कारगर कदम उठाने की अपील की है।
डॉ. सिंह ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और इससे जुड़े महत्वपूर्ण आँकड़ों को साझा किया। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो 2030 तक वैश्विक मोटापे से ग्रस्त बच्चों में से हर दसवां बच्चा भारत से होगा।
बच्चों में मोटापे के चौंकाने वाले आँकड़े
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बच्चों में मोटापे से जुड़ी निम्नलिखित गंभीर स्थितियों को उजागर किया:
- वैश्विक स्तर पर भारत का योगदान: 2030 तक दुनिया भर में हर दसवें मोटे बच्चे में से एक भारत से होगा, जो देश में बढ़ते मोटापे के संकट को दर्शाता है।
- तीन दशकों में 31 गुना वृद्धि: 1990 में भारत में 0.4 मिलियन मोटे बच्चे थे, लेकिन 2022 तक यह संख्या 12.5 मिलियन हो गई, जो 31 गुना बढ़ोतरी को दर्शाता है।
- शहरी और ग्रामीण असमानता: भारत में शहरी क्षेत्रों में मोटापे की दर 9.2% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 4.2% है।
- मीठे पेय पदार्थ और जंक फूड: भारत में 42% बच्चे मीठे पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड्स का अत्यधिक सेवन करते हैं।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: मोटापा बच्चों में टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग, और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जो भविष्य में देश की स्वास्थ्य प्रणाली पर भारी दबाव डालेगा।
- शारीरिक निष्क्रियता का संकट: भारत में 42% बच्चे दैनिक शारीरिक गतिविधियों के मानकों को पूरा नहीं करते हैं, जो मोटापे का एक बड़ा कारण है।
मोटापे की समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम
डॉ. राजेश्वर सिंह ने बच्चों में बढ़ती मोटापे की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए कई प्रभावी कदम सुझाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सामूहिक प्रयासों और सरकारी नीतियों के जरिए ही इस समस्या को हल किया जा सकता है।
1. खेल और शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना
डॉ. सिंह ने कहा कि स्कूलों में खेल, योग, और शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। अधिक से अधिक पार्क, खेल मैदान और सामुदायिक खेल कार्यक्रमों का निर्माण शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में किया जाना चाहिए।
2. स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना
स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, जिनमें बच्चों और उनके अभिभावकों को संतुलित आहार के महत्व को समझाया जा सके। स्कूलों को जंक फूड की बिक्री पर रोक लगानी चाहिए और स्वस्थ भोजन विकल्पों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
3. अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विपणन पर नियंत्रण
बच्चों को लक्षित करके बेचे जाने वाले अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के विज्ञापनों पर सख्त नियंत्रण लगाना चाहिए। उत्पादों पर पोषण से संबंधित स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि अभिभावक सही निर्णय ले सकें।
4. व्यापक जागरूकता अभियान
सरकार, स्वास्थ्य संस्थान और स्कूलों को मिलकर बच्चों के मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व पर जागरूकता फैलानी चाहिए।
5. स्वास्थ्य नीति में सुधार
सरकार को बच्चों के मोटापे को कम करने के लिए एक ठोस और प्रभावी स्वास्थ्य नीति तैयार करनी चाहिए, जिसमें खेल और शारीरिक गतिविधि को प्रोत्साहित किया जाए।
सरोजनीनगर: खेल और युवा विकास की दिशा में सक्रिय प्रयास
डॉ. सिंह ने बताया कि सरोजनीनगर में खेलों और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में बच्चों और युवाओं को फिट और सक्रिय रखने के लिए बुनियादी ढांचा विकसित किया जा रहा है।
1. खेल लीग का आयोजन
सरोजनीनगर में नियमित रूप से खेल लीग का आयोजन किया जाता है। ये लीग बच्चों और युवाओं को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने का अवसर प्रदान करती हैं।
2. ओपन जिम और खेल मैदानों का निर्माण
डॉ. सिंह ने बताया कि नए खेल मैदानों का निर्माण और पार्कों में ओपन जिम की स्थापना की जा रही है, जिससे बच्चों और युवाओं को शारीरिक रूप से सक्रिय रहने में मदद मिल रही है।
3. युवा क्लबों का समर्थन
सरोजनीनगर में अब तक 150 से अधिक खेल क्लब स्थापित किए जा चुके हैं। इन क्लबों को वित्तीय सहायता और खेल उपकरण प्रदान किए जा रहे हैं, ताकि युवा विभिन्न खेलों में अपनी प्रतिभा दिखा सकें।
4. खेल संस्कृति को बढ़ावा देना
डॉ. सिंह ने कहा कि क्षेत्र में खेलों को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि शारीरिक गतिविधियां न केवल मनोरंजन का माध्यम हैं, बल्कि एक स्वस्थ जीवन की कुंजी भी हैं।
सरोजनीनगर: एक स्वस्थ भविष्य की ओर प्रयास
डॉ. राजेश्वर सिंह के नेतृत्व में सरोजनीनगर में खेलों और शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं, वे देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं। उनके प्रयासों से न केवल बच्चों के मोटापे को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि एक स्वस्थ और सक्रिय समाज के निर्माण में भी योगदान होगा।