
- किसानों के दिल्ली कूच से डीएनडी और चिल्ला बॉर्डर पर जाम।
- नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर सघन पुलिस चेकिंग।
- 5,000 पुलिसकर्मी और 1,000 PAC जवान तैनात।
- किसान 64.7% ज्यादा मुआवजा और पुनर्वास की मांग कर रहे।
- संसद सत्र के कारण किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं।
नई दिल्ली/नोएडा/लखनऊ, 02 दिसम्बर 2024: उत्तर प्रदेश के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच का ऐलान किया है, जिससे दिल्ली-एनसीआर के कई प्रमुख मार्गों पर यातायात व्यवस्था चरमरा गई है। किसानों की इस रैली को लेकर प्रशासन और सुरक्षाबल सतर्क हो गए हैं। दिल्ली बॉर्डर पर जहां चिल्ला और डीएनडी फ्लाईवे पर ट्रैफिक जाम का नजारा है, वहीं दूसरी ओर पुलिस चेकिंग के कारण वाहन चालकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली कूच के चलते यातायात प्रभावित
किसानों की रैली के कारण सोमवार सुबह से ही दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाले मार्गों पर ट्रैफिक बाधित हुआ।
- डीएनडी फ्लाईवे:
यहां भारी संख्या में वाहन फंसे नजर आए। नोएडा और दिल्ली के बीच यात्रा कर रहे लोगों को घंटों जाम में फंसे रहना पड़ा। - चिल्ला बॉर्डर:
यह क्षेत्र पूरी तरह अव्यवस्थित रहा। चिल्ला बॉर्डर के माध्यम से दिल्ली जाने वाले मार्गों पर वाहनों की लंबी कतारें देखी गईं। - सेक्टर 15ए और कालिंदी कुंज मार्ग:
इन मार्गों पर यातायात धीमी गति से संचालित हो रहा था।
दिल्ली यातायात पुलिस और गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तुरंत कदम उठाए। ट्रैफिक को सुचारू बनाने के लिए रेड लाइट्स को ग्रीन कर दिया गया और वाहनों की आवाजाही को प्राथमिकता के आधार पर प्रबंधित किया गया।
सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
किसानों के इस आंदोलन के चलते प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई चूक न होने देने का निर्णय लिया है।
- तीन स्तरीय सुरक्षा प्रणाली:
संयुक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) शिवहरि मीना ने बताया कि किसानों के प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के लिए त्रिस्तरीय योजना बनाई गई है।- करीब 5,000 पुलिसकर्मी विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं।
- 1,000 पीएसी जवान सुरक्षा में जुटे हैं।
- वाटर कैनन, टियर गैस स्क्वाड और अन्य बलों को भी अलर्ट पर रखा गया है।
- चेकिंग और निगरानी:
बॉर्डर पर जगह-जगह सघन चेकिंग की जा रही है। नोएडा और दिल्ली की पुलिस संयुक्त रूप से काम कर रही है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। - किसानों से संवाद जारी:
एसपी शिवहरि मीना ने बताया कि प्रशासन किसानों के साथ संवाद कर रहा है। उन्होंने कहा, “कल तीन घंटे किसानों के साथ बातचीत की गई। हम उनकी समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं।”
दिल्ली पुलिस का सख्त रुख
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि संसद सत्र चलने के कारण किसानों को राजधानी में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है।
- पूर्वी दिल्ली की डीसीपी अपूर्व गुप्ता ने कहा, “किसानों के प्रदर्शन की जानकारी पहले से थी। हम नोएडा पुलिस के साथ समन्वय कर रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कानून-व्यवस्था प्रभावित न हो। दिल्ली और यूपी के सभी प्रमुख स्थानों पर सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है।”
किसानों की मुख्य मांगें क्या हैं?
किसान अपने अधिकारों और मुआवजे को लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं।
- मुआवजा और भूमि अधिग्रहण कानून:
- किसानों ने 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार 64.7 प्रतिशत अधिक मुआवजा और बाजार दर का चार गुना मुआवजा देने की मांग की है।
- आबादी भूखंड:
- किसानों को 10 प्रतिशत आबादी भूखंड और 20 प्रतिशत प्लॉट दिए जाने की मांग की गई है।
- रोजगार और पुनर्वास:
- भूमिधर और भूमिहीन किसानों के सभी बच्चों को रोजगार और पुनर्वास के लाभ दिए जाएं।
- आबादियों का उचित प्रबंधन:
- ग्रामीण क्षेत्रों के आबादी वाले हिस्सों का निस्तारण और उचित बंदोबस्त किया जाए।
- शासनादेश जारी किया जाए:
- किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर तत्काल शासनादेश जारी करने की मांग की गई है।
किसानों ने अपनी रैली में रोजगार, पुनर्वास और भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों को प्रमुखता दी है।
प्रदर्शन के पीछे बढ़ती नाराजगी का कारण
किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है। बढ़ते मुआवजे की मांग और पुनर्वास की प्रक्रिया में हो रही देरी के कारण किसान नाराज हैं। सरकार की ओर से उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई न होने की वजह से यह प्रदर्शन हो रहा है।
यातायात और सुरक्षा पर प्रशासन का संदेश
यातायात पुलिस ने यात्रियों से अपील की है कि वे डीएनडी फ्लाईवे, चिल्ला बॉर्डर और अन्य प्रभावित मार्गों से बचें। वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने कहा है कि स्थिति पर नियंत्रण है और यातायात जल्द ही सामान्य हो जाएगा।
किसानों का यह दिल्ली कूच सरकार पर दबाव बनाने की एक बड़ी कोशिश है। उनकी मांगें स्पष्ट और ठोस हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देना आवश्यक है। हालांकि, संसद सत्र और दिल्ली की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने आंदोलन को नियंत्रित करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। आने वाले दिनों में किसानों और सरकार के बीच होने वाली वार्ता इस स्थिति को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकती है।