प्रदेश में कुल 58,270 एक्टिव कोरोना मरीज
27 दिन के भीतर मरीजों की संख्या में हुई 81.6% फीसदी गिरावट
24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,278 नए केस, 6995 डिस्चार्ज
24 घंटों में टेस्ट पॉजिटिविटी दर मात्र 01 फीसदी रही
लखनऊ: कोविड महामारी की गति प्रदेश में दिनों-दिन मंद पड़ती जा रही है। टेस्ट, ट्रेस और ट्रीट के मंत्र के अनुरूप कोरोना के खिलाफ हमारी रणनीति कारगर सिद्ध हो रही है। वर्तमान में प्रदेश की रिकवरी दर 95.4% फीसदी हो गई है। वर्तमान में प्रदेश में कुल 58,270 एक्टिव कोरोना मरीज हैं। एक्टिव केस में यह कमी संतोषप्रद है। 30 अप्रैल की 3,10,783 मरीजों की कोविड पीक की स्थिति के सापेक्ष 27 दिन के भीतर मरीजों की संख्या में 81.6% फीसदी गिरावट हुई है।
अब तक 16,06,895 प्रदेशवासी कोविड को हराकर स्वस्थ हो चुके हैं। विगत 24 घंटों में कोविड संक्रमण के 3,278 केस सामने आए हैं, जबकि इसी अवधि में 6,995 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज भी हुए हैं। यह संतोषप्रद है कि प्रदेश में कोरोना महामारी की आक्रामकता न्यूनतम हो गई है, लेकिन थोड़ी सी भी लापरवाही अब तक के सभी प्रयासों को निरर्थक बना सकती है। हमें लगातार सतर्क और सावधान रहना होगा।
कोविड टेस्टिंग में उत्तर प्रदेश ने शुरुआत से ही एग्रेसिव नीति अपनाई है। प्रदेश में अब तक 04 करोड़ 80 लाख 68 हजार 329 कोविड टेस्ट हो चुके हैं। बीते 24 घंटे में 03 लाख 47 हजार 821 टेस्ट किए गए हैं। इसमें 01 लाख 59 हजार सैम्पल आरटीपीसीआर के लिए जिलों से भेजे गए हैं। विगत 24 घंटों में टेस्ट पॉजिटिविटी दर मात्र 01 फीसदी रही।
ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के संबंध में सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। संक्रमित मरीजों के उपचार में उपयोगी माने जा रहे एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन के अतिरिक्त विशेषज्ञों ने दो टैबलेट को भी कारगर पाया है। चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श करते हुए इन टैबलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर, वाराणसी सहित जहां कहीं भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज हो रहा है, स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग यहां के सभी अस्पतालों के सतत सम्पर्क में रहें, कहीं भी उपयोगी दवाओं का अभाव न हो।
प्रदेश के सभी जनपदों की सीएचसी और पीएचसी में उपकरणों की मरम्मत, क्रियाशीलता, परिसर की रंगाई-पुताई, स्वच्छता और मैन पावर की पर्याप्त उपलब्धता के संबंध में इस संबंध विशेष कार्यवाही तेज की जाए। इसके लिए एक विशेष टीम गठित हो, जो इसकी सतत मॉनीटरिंग करे। बेसिक शिक्षा विभाग में ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ की तर्ज पर स्वास्थ्य और मेडिकल एजुकेशन विभाग में भी अभियान चला कर व्यवस्था सुदृढ़ की जाए। आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं सतत जारी रखी जाए।
सभी जिलों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए गए हैं। वेंटिलेटर संचालन के लिए एनेस्थेटिक और तकनीशियन की तैनाती भी की गई है। इस संबंध में अभी और मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी। ऐसे में आईटीआई व अन्य कौशल विकास केंद्रों से प्रशिक्षित युवाओं को इन उपकरणों के संचालन का प्रशिक्षण देकर उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं। इस संबंध में यथासंभव शीघ्रता से कार्यवाही की जाए।
प्रदेश में कुल 34,805 लोग होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं। इन मरीजों की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाए। इनसे लगातार संवाद बनाए रखा जाए। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए।
लगातार प्रयासों से ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बन गई है। तेजी से सामान्य होती स्थितियों के बीच ऑक्सीजन की मांग में कमी भी आई है। ऑक्सीजन ऑडिट से वेस्टेज रोकने में बहुत सहायता मिली है। विगत 24 घंटे में 572 एमटी ऑक्सीजन वितरित की गई, इसमें 326 एमटी रीफिलर को उपलब्ध कराई गई। ऑक्सीजन उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों को उनके उपयोग के लिए ऑक्सीजन उपयोग की अनुमति दी जाए। औद्योगिक गतिविधियां सामान्य रूप से क्रियाशील रखी जाएं।
विशेषज्ञों के आकलन के दृष्टिगत कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में प्रो-एक्टिव नीति अपनाई जा रही है। सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जाए। यह कार्य शीर्ष प्राथमिकता के साथ किया जाए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री के स्तर से इसकी दैनिक मॉनीटरिंग कराई जाए।
सीएम हेल्पलाइन और आइसीसीसी के माध्यम से कोरोना मरीजों/परिजनों से संवाद बना कर उनकी जरूरतों की पूर्ति कराई जा रही है। अब इसी प्रकार पोस्ट कोविड मरीजों और ब्लैक फंगस की समस्या से ग्रस्त मरीजों/परिजनों से हर दिन संवाद किया जाए। उनकी सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाए।
कोविड वैक्सीनेशन संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवर है। अब तक प्रदेश में 1,70,75,158 कोविड वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं। इसमें 1,36,81,405 लोगों को पहली और 33,93,753 लोगों को दोनों डोज लागाई जा चुकी है। 18 से 44 आयु वर्ग का टीकाकरण तेजी से चल रहा है। बीते 24 घंटों में 1,51,574 लोगों को टीका-कवर प्राप्त हुआ। इस तरह अब तक इस आयु वर्ग के 15,13,293 लोगों को टीका कवर मिल चुका है। एक जून से सभी 75 जिलों में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के कोविड टीकाकरण का कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहा है। न्यायिक सेवा के लोगों, मीडिया प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षकों व कर्मचारियों के टीकाकरण हेतु 02-02 केंद्र सभी जिलों में बनाये जाएं। शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, बैंक कर्मी आदि का टीकाकरण शीघ्रता से कराया जाना चाहिए। जनजागरूकता के लिए जनप्रतिनिधियों के सहयोग लें।
जिन अभिभावकों के बच्चे 12 वर्ष से कम आयु के हैं, उनका टीकाकरण प्राथमिकता के साथ किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में विधिवत कार्ययोजना बनाई जानी चाहिए। हर जिले में ‘अभिभावक स्पेशल’ बूथ बनाये जाएंगे। अभिभावकों से संपर्क कर उन्हें टीकाकरण के लिए आमंत्रित करें। यह अभिभावक के साथ-साथ बच्चों की सुरक्षा के लिए उपयोगी होगा। इसे अभियान के रूप में संचालित किया जाना चाहिए।
भविष्य की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापना अभियान स्वरूप में की जा रही है। अब तक विभिन्न जिलों में 400 से अधिक ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किये गए हैं, इनमें से 55 क्रियाशील हो चुके हैं। जिला प्रशासन इन प्लांट्स के स्थापना कार्य की सतत मॉनीटरिंग करे। रॉ मैटेरियल की उपलब्धता हो अथवा सिविल वर्क समय से पूरे किए जाएं। उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन के पैमाने पर आत्मनिर्भर होगा।
सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से जरूरतमंद लोगों को फूड पैकेट उपलब्ध कराया जाए। अभी तक 485 सामुदायिक भोजनालय क्रियाशील हैं। इनकी संख्या और बढ़ाई जाए। कंटेनमेंट ज़ोन में डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था को सुदृढ़ रखा जाए, जिससे आम जनता को आवश्यक सामग्री की सुचारु आपूर्ति होती रहे।
बहुत ही अच्छी जानकारी के साथ चौहान जी जागरूकता को फैला रहे हैं ऐसे ही प्रयास करते रहिए जिससे समाज में सुधार हो सके