
- दो अभियुक्त गिरफ्तार: एसटीएफ ने प्रश्नपत्र लीक मामले में रजनीश कुमार और धर्मेंद्र सेठ को पकड़ा।
- भोपाल में षड्यंत्र: अभियुक्तों ने होटल में प्रश्नपत्र हल करवाकर अभ्यर्थियों को दिए।
- 12-15 लाख का सौदा: प्रश्नपत्र लीक के लिए बड़ी रकम का लेन-देन हुआ।
- मुख्य संचालक पहले गिरफ्तार: गिरोह के मुखिया संदीप पांडे को जून 2024 में गिरफ्तार किया जा चुका है।
- कानूनी कार्रवाई जारी: अभियुक्तों पर आईपीसी और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज।
लखनऊ, 23 दिसंबर 2024: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) परीक्षा-2023 के प्रश्नपत्र लीक मामले में दो अभियुक्तों को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। यह परीक्षा 11 फरवरी 2024 को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा आयोजित की गई थी। शिकायत मिलने पर प्रश्नपत्र लीक मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई थी, जिसमें रजनीश कुमार और धर्मेंद्र सेठ को गिरफ्तार किया गया।
अभियुक्तों का विवरण
गिरफ्तार अभियुक्तों में रजनीश कुमार पुत्र राजनाथ राम, निवासी ग्राम बीबीपुर कदीम, थाना तहबरपुर, जनपद आजमगढ़, और धर्मेंद्र सेठ पुत्र राम अचल सेठ, निवासी मोहल्ला रमकियान, कस्बा सिरसा, थाना मेजा, जनपद प्रयागराज शामिल हैं। इन दोनों पर परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल करने का आरोप है।
गिरफ्तारी और बरामदगी
धर्मेंद्र सेठ को कानपुर नगर के वजरिया थाना क्षेत्र में हरसहाय जगदंबा इंटर कॉलेज के पास से 22 दिसंबर 2024 को शाम 4:45 बजे गिरफ्तार किया गया, जबकि रजनीश कुमार को उसी दिन गोरखपुर एसटीएफ कार्यालय के पास दोपहर 3:45 बजे पकड़ा गया। गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से दो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं, जिनका उपयोग प्रश्नपत्र के लीक होने में किया गया था।
प्रश्नपत्र लीक का पूरा षड्यंत्र
एसटीएफ की जांच के अनुसार, परीक्षा के पहले प्रश्नपत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने परीक्षा को रद्द कर एसटीएफ को जांच सौंपी। पूछताछ में खुलासा हुआ कि अभियुक्तों ने भोपाल के आनंद नगर स्थित होटल कमल पैलेस में प्रश्नपत्र लीक का षड्यंत्र रचा था।
धर्मेंद्र और रजनीश 8 फरवरी 2024 की रात प्रयागराज से भोपाल पहुंचे थे। होटल के कमरे में संदीप पांडे और उसके सहयोगियों ने उन्हें समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा का सामान्य अध्ययन और हिंदी का प्रश्नपत्र दिया। यह प्रश्नपत्र गूगल के माध्यम से हल करवाया गया और अभियुक्तों को याद करने के लिए उत्तर दिए गए। शाम को सभी प्रश्नपत्र वापस ले लिए गए और परीक्षा देने के निर्देश दिए गए।
अभियुक्तों ने यह भी बताया कि प्रश्नपत्र के लिए 12-15 लाख रुपये की डील हुई थी। इस गिरोह के मुख्य संचालक संदीप पांडे और अन्य सदस्यों को पहले ही 23 जून 2024 को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
कानूनी कार्यवाही
गिरफ्तार अभियुक्तों के खिलाफ प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने में मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ आईपीसी की धाराएं 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 465, 467, 468, 471 (जालसाजी), 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 34 (साझा मंशा) और 201 (सबूत नष्ट करना) के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम 1998 की धाराएं 3/4/9/10 और आईटी एक्ट की धारा 66 लगाई गई हैं। मामले की जांच एसटीएफ अधिकारी निरीक्षक अंजनी कुमार पांडे द्वारा की जा रही है।
एसटीएफ की बड़ी सफलता
एसटीएफ के अधिकारियों ने कहा कि यह गिरफ्तारी परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने और भविष्य में ऐसे अपराधों पर रोक लगाने के प्रयासों का हिस्सा है। जांच टीम ने अभियुक्तों को पकड़ने के लिए गहन अभिसूचना और प्रभावी कार्य योजना का उपयोग किया।
यह मामला प्रशासनिक परीक्षा प्रणाली में सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।