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जातिवाद नहीं राष्ट्रवाद चाहिए: डॉ. राजेश्वर सिंह ने सपा की जातीय राजनीति पर किया प्रहार, बोले- जब जाति राजनीति का हथियार बन जाए, तो समाज रणभूमि बन जाता है”

लखनऊ, 19 जुलाई 2025 | विशेषʻ रिपोर्ट – True News UP : सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और भारतीय जनता पार्टी के तेजस्वी नेता डॉ. राजेश्वर सिंह ने शनिवार को समाजवादी पार्टी की जातीय राजनीति के विरुद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा:

“जब जाति राजनीति का हथियार बन जाए, तो समाज रणभूमि बन जाता है!”

डॉ. सिंह का यह बयान ऐसे समय आया है जब समाजवादी पार्टी द्वारा जातिगत जनगणना, ‘PDA’ फार्मूला और धार्मिक प्रतीकों पर विवादित बयानबाज़ी लगातार सुर्खियों में रही है।

डॉ. सिंह का राष्ट्रवादी संदेश: जातिवाद नहीं, एकता चाहिए

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट कहा कि सच्चा समाजवाद वह है जो जाति तोड़ता है, न्याय देता है, लेकिन समाजवादी पार्टी का एजेंडा है – जाति जोड़ो, वोट लो। उन्होंने समाजवादी पार्टी को लोहिया के नाम पर राजनीति करने के बजाय उनके विचारों का सम्मान करने की नसीहत दी।

उन्होंने यह भी कहा कि “सपा की राजनीति समाज को जोड़ने की नहीं, बाँटने की है। यह विचार भारत की एकता के खिलाफ है और नवभारत के निर्माण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा है।”

  • जातीय ध्रुवीकरण के 4 प्रमुख उदाहरण: डॉ. सिंह का आरोप
  1. रामचरितमानस का अपमान और सपा की चुप्पी

स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा जातिवाद नहीं राष्ट्रवाद चाहिए: डॉ. राजेश्वर सिंह ने सपा की जातीय राजनीति पर किया प्रहारस पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों का सपा प्रमुख ने न तो विरोध किया, न ही पार्टी से अलग किया, बल्कि उन्हें पिछड़ों की आवाज़ बताकर उनका समर्थन किया।

  1. वीर राणा सांगा के अपमान पर मौन

सपा सांसद लालजी सुमन द्वारा वीर राणा सांगा पर की गई अपमानजनक टिप्पणी को लेकर भी सपा नेतृत्व की चुप्पी ने पार्टी की सोच को उजागर कर दिया।

  1. इटावा की आपराधिक घटना को जातीय रंग देना

एक सामान्य आपराधिक घटना को समाजवादी पार्टी ने जातीय संघर्ष में बदलने की कोशिश की, जबकि प्रशासन ने समय रहते कार्रवाई की थी।

  1. महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन पर दुष्प्रचार

प्रयागराज महाकुंभ जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने दुष्प्रचार फैलाया और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुँचाने की कोशिश की।

2012–17 सपा शासन: जातीय पक्षपात के उदाहरण

डॉ. राजेश्वर सिंह ने सपा के पूर्व कार्यकाल को लेकर कहा कि उनकी सरकार में:

भर्तियों में जातिगत पक्षपात किया गया

प्रशासनिक पदों पर एक ही परिवार का कब्ज़ा रहा

योजनाएं सैफई और खास वर्गों तक सीमित रहीं

विकास में क्षेत्रीय असमानता रही

छात्रवृत्तियों में भी जातिगत प्राथमिकता दी गई

दंगों में पुलिस कार्रवाई पक्षपातपूर्ण रही

समाजवाद बनाम जातिवाद: वैचारिक तुलना

डॉ. सिंह ने डॉ. राममनोहर लोहिया और जॉर्ज फर्नांडिस के विचारों का हवाला देते हुए कहा:

“जहां जातिवाद है, वहां समाजवाद नहीं हो सकता।” – जॉर्ज फर्नांडिस

“जातिवाद समाज की एकता का दुश्मन है।” – डॉ. लोहिया

उन्होंने कहा कि सपा ने इन विचारों का उपयोग केवल चुनावी नारे के तौर पर किया है, असल में उनकी नीतियां इन सिद्धांतों के विपरीत हैं।

समाजवादी पार्टी के लिए सुझाव: एक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण

डॉ. सिंह ने सपा को सुझाव दिए:
  1. जाति नहीं, भारत की एकता की बात करें
  2. युवाओं को जाति में न बाँटें, उन्हें अवसरों से जोड़ें
  3. समाज को मजबूत करें, विभाजित नहीं
  4. विकास की राजनीति करें, नारेबाज़ी नहीं

भारत जातियों से नहीं, एकता से बनेगा महान

डॉ. सिंह ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के इस वाक्य को दोहराया: “जातियों में बंटा समाज कभी महान राष्ट्र नहीं बन सकता।”

उन्होंने कहा कि “हम सबसे पहले भारतीय हैं, यही हमारी असली पहचान है। जातिवादी राजनीति हमें बांटती है, लेकिन राष्ट्रवाद हमें जोड़ता है।” डॉ. राजेश्वर सिंह का यह बयान आज के राजनीतिक परिदृश्य में एक स्पष्ट और विचारोत्तेजक राष्ट्रवादी स्वरूप प्रस्तुत करता है।

Chair Exercises for Seniors: बुजुर्गों के लिए फिट रहने का सरल उपाय, कुर्सी पर बैठकर भी कर सकते हैं एक्सरसाइज

 उम्र चाहे कितनी भी हो, स्वस्थ और सक्रिय रहना हर किसी की जरूरत है. लेकिन जैसे-जैसे शरीर बुजुर्ग अवस्था की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे हड्डियों की मजबूती, मांसपेशियों की ताकत और शरीर की लचीलापन धीरे-धीरे कम होने लगती है. ऐसे में कई लोग सोचते हैं कि अब व्यायाम करना उनके बस की बात नहीं रही. लेकिन आप इसे कुर्सी पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं.

डॉ. रामेश्वर कुमार बताते हैं कि, यह तरीका खासतौर पर उन बुजुर्गों के लिए बेहद उपयोगी है जो घुटनों के दर्द, कमर की कमजोरी या बैलेंस की समस्या के कारण खड़े होकर व्यायाम नहीं कर सकते. चलिए जानते हैं कि बुजुर्गों के लिए कुर्सी पर बैठकर किए जाने वाले कौन-कौन से व्यायाम असरदार हैं और इन्हें करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

शुरू करने से पहले ध्यान रखने बातें

    • मजबूत और बिना पहियों वाली कुर्सी का चुनाव करें
    • व्यायाम के दौरान पैरों को फर्श पर टिकाकर रखें
    • कोई भी मूवमेंट करते समय गहरी सांस लें और आराम से करें
    • दर्द महसूस हो तो व्यायाम तुरंत रोक दें

आर्म रेज

दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर उठाएं और फिर नीचे लाएं. यह कंधों की ताकत और मूवमेंट बढ़ाने में सहायक है.

लेग लिफ्ट

एक पैर को सीधा करके धीरे-धीरे ऊपर उठाएं, कुछ सेकेंड होल्ड करें और फिर नीचे रखें. यह पैरों की मांसपेशियों को सक्रिय करता है.

नेक रोटेशन

गर्दन को धीरे-धीरे दाएं और बाएं घुमाएं. इससे गर्दन की जकड़न और तनाव में राहत मिलती है.

एंकल रोटेशन

टखनों को घड़ी की सुई की दिशा और विपरीत दिशा में घुमाएं. इससे पैरों का रक्त संचार बेहतर होता है.

डीप ब्रीदिंग

गहरी सांस लें, कुछ सेकेंड रोकें और फिर छोड़ें. यह मन को शांत रखने और ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में मदद करता है.

बुजुर्गों के लिए फिट रहना अब मुश्किल नहीं रहा. कुर्सी पर बैठकर किया जाने वाला यह व्यायाम न केवल आसान है बल्कि नियमित रूप से अपनाने पर यह जीवन में नई ऊर्जा भर देता है. उम्र चाहे कोई भी हो, फिट रहना हर किसी का हक है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Health Tips: नमक से लेकर चीनी तक, ये सफेद चीजें बन सकती हैं आपकी सेहत के लिए ज़हर

आपको शायद अंदाजा भी न हो कि हमारी रोजमर्रा की डाइट में शामिल कुछ सफेद खाद्य पदार्थ, जैसे कि मैदा, चीनी और नमक, आपकी सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं. इनका जरूरत से ज्यादा सेवन, तो आपकी मौत का कारण भी बन सकता है.

किस वजह से हो रही दिक्कत?

आजकल की बदलती लाइफस्टाइल और खराब फूड हैबिट्स के कारण भोजन में पोषक तत्वों की कमी आने लगी है. हम अनचाहे ही फास्ट फूड, चाइनीज और प्रोसेस्ड फूड का बहुत ज्यादा सेवन कर रहे हैं. इन सभी फूड आइटम्स को बनाने के लिए ज्यादातर सफेद चीजों जैसे नमक, चीनी, मैदा, अजीनोमोटो, चावल और आलू का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है.

इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा

खास बात यह है कि प्रोसेस्ड फूड में इन सभी चीजों की मात्रा बहुत ही खतरनाक स्तर तक होती है. इनका सेवन न केवल कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है, बल्कि यह व्यक्ति की उम्र को कम से कम 10 साल तक घटा सकता है. हम आपको इस लेख में, उन सफेद खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी आपकी सेहत को नुकसान पहुचा सकते हैं.

चीनी: सफेद चीनी को एम्प्टी कैलोरी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कोई पोषक तत्व नहीं होते. यह शरीर में जाकर तुरंत ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में टूट जाती है, जो लोग कम शारीरिक मेहनत करते हैं. उनके शरीर में यह फैट के रूप में जमा होकर डायबिटीज का खतरा बढ़ाती है. इसके अलावा, यह लिवर की समस्या, इंसुलिन रेजिस्टेंस, डेंटल प्रॉब्लम और कैंसर जैसी बीमारियों से भी जुड़ी है.

चावल: भारतीय घरों में सफेद चावल का खूब सेवन होता है. हालांकि, रिफाइनिंग प्रक्रिया में चावल से उसकी भूसी और रोगाणु हटा दिए जाते हैं, जिससे इसमें मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व कम हो जाते हैं. कई अध्ययनों में सफेद चावल का ज्यादा सेवन टाइप-2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ पाया गया है. अगर आप चावल के शौकीन हैं, तो सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस या रेड राइस बेहतर विकल्प हैं.

नमक: नमक शरीर के लिए जरूरी है, क्योंकि यह सोडियम और क्लोराइड की आपूर्ति करता है. लेकिन बहुत ज़्यादा नमक खाने से शरीर में पानी की मात्रा प्रभावित होती है और ब्लड वेसेल्स डैमेज हो सकती हैं. यह ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, हड्डियों को कमजोर कर सकता है और पेट के अल्सर व कैंसर का कारण भी बन सकता है।

मैदा: सफेद आटे से बने सभी खाद्य पदार्थ जैसे व्हाइट ब्रेड, केक, बिस्कुट और पेस्ट्री मैदे में आते हैं. गेहूं के आटे को रिफाइन करने की प्रक्रिया में उसके फाइबर, अच्छे फैट, विटामिन, मिनरल और फाइटोन्यूट्रिएंट्स निकल जाते हैं. यानी, गेहूं से मैदा बनने तक इसमें मौजूद सभी पोषक तत्व लगभग खत्म हो जाते हैं। मैदे से भरपूर आहार ट्राइग्लिसराइड में वृद्धि और गुड कोलेस्ट्रॉल की कमी का कारण बन सकता है. यह गर्भावस्था के दौरान इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ाता है.

सफेद आलू: आलू कई लोगों की पसंदीदा सब्जी है, वह भी अगर सही तरीके से न खाया जाए तो नुकसानदेह हो सकता है. सफेद आलू स्टार्च और कार्ब्स से भरपूर होते हैं. समस्या तब आती है जब इन्हें डीप फ्राई करके या मक्खन और क्रीम के साथ मैश करके खाया जाता है. ये दोनों ही स्थितियां खतरा पैदा कर सकती हैं

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Thai Woman Wilawan Emsawat: कौन है विलवान एम्सावत, जिसने थाईलैंड में बौद्ध भिक्षुओं के अश्लील वीडियो बनाकर किया ब्लैकमेल?

थाईलैंड में एक बड़ा सेक्स और ब्लैकमेल स्कैंडल सामने आया है जिसमें विलवान एम्सावत नाम की महिला ने कई वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं को अपने जाल में फंसाया. पुलिस ने बताया कि वह भिक्षुओं से यौन संबंध बनाकर बाद में उन्हें निजी वीडियो से ब्लैकमेल करती थी और मोटी रकम वसूलती थी.

कौन है विलवान एम्सावत?
विलवान एम्सावत 30 की उम्र के आसपास की महिला है, जिसे बैंकॉक के पास नोनथाबुरी स्थित उसके आलीशान घर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि वह सोशल मीडिया के ज़रिए भिक्षुओं से संपर्क करती थी और उन्हें फंसा लेती थी. उसके खिलाफ ब्लैकमेलिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध संपत्ति रखने के आरोप हैं.

80,000 न्यूड फाइलें
पुलिस ने बताया कि विलावन के फोन और घर से 80,000 से ज्यादा फोटो और वीडियो मिले हैं, जिनमें वह कई बौद्ध भिक्षुओं के साथ यौन संबंध बनाते हुए दिख रही है. इन वीडियो का इस्तेमाल कर वह भिक्षुओं से पैसे ऐंठती थी. रिपोर्ट के मुताबिक, तीन वर्षों में उसने लगभग 385 मिलियन थाई बाट (करीब ₹102 करोड़) की कमाई की.

महिला का दावा- एक भिक्षु से है बच्चा
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, विलावन ने दावा किया है कि उसने एक भिक्षु से बच्चा भी जन्मा है. यह मामला तब सामने आया जब बैंकॉक के एक प्रसिद्ध मंदिर ‘वाट त्राई थोसाथेप’ के मुख्य भिक्षु अचानक गायब हो गए. बाद में पता चला कि वह महिला द्वारा ब्लैकमेल किए जाने से परेशान होकर भिक्षु जीवन छोड़कर भाग निकले.

भिक्षुओं को किया गया निष्कासित
थाईलैंड की सेंट्रल इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने बताया कि इस मामले में कम से कम 9 वरिष्ठ भिक्षुओं को उनके पदों से हटा दिया गया है. कुछ ने खुद को छिपा लिया है. इस घटना से पूरे बौद्ध समुदाय में झटका लगा है.

महिला को दोष देना सही या नहीं?
थाईलैंड की प्रसिद्ध लेखिका सानितसुदा एकाचै ने बैंकॉक पोस्ट में लिखा कि यह मामला सिर्फ महिला की गलती नहीं है, बल्कि पूरे धार्मिक तंत्र की कमजोरी को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को दोषी ठहराना आसान है, लेकिन भिक्षुओं की जिम्मेदारी भी उतनी ही है.

ड्यूक बॉल की कीमत क्या होती है? इसका वजन कितना होता है? क्या इसका उपयोग सिर्फ इंग्लैंड में ही किया जाता है?

भारतीय टीम इस समय पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए इंग्लैंड दौरे पर हैं. दोनों टीमों के बीच अब तक तीन टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं. इस सीरीज में मैच ड्यूक बॉल से ही हो रहा है. ड्यूक बॉल इस समय चर्चा का विषय बनी हुई है. दोनों ही टीमों ने इस गेंद के जल्दी खराब होने की शिकायत भी की थी. इसके बाद अब गेंद को बनाने वाली कंपनी ने इसकी जांच करने के लिए कहा है. इस गेंद का इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा और भी देशों में होता है और ये गेंद काफी महंगी होती है.

ड्यूक बॉल का वजन

इंटरनेशनल क्रिकेट की बॉल का वजन नियमों के मुताबिक तय किया जाता है. बात करें ड्यूक बॉल के वजन की तो वो 155 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक होती है. गेंद का साइज और वजन आईसीसी के नियमों के मुताबिक होता है.

ड्यूक बॉल की कीमत

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गेंद के लिए चमड़ा स्कॉटलैंड से मंगाया जाता है. चमड़े की मोटाई 4 मिलीमीटर से 4.5 मिलीमीटर तक होती है. ड्यूक बॉल को ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड कंपनी बनाती है. एक गेंद को बनाने में 3 से 4 घंटे लगते हैं. इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपये के बीच में होती है.

क्या सिर्फ इंग्लैंड में होता है ड्यूक गेंद का इस्तेमाल?

इंटरनेशनल क्रिकेट में कई तरह के गेंदों का इस्तेमाल होता है, इसमें से ड्यूक बॉल एक है. टेस्ट मैचों में इंग्लैंड में इसी बॉल का इस्तेमाल होता है. ड्यूक बॉल का इस्तेमाल इंग्लैंड के अलावा दो और देशों में आता है. वेस्टइंडीज और आयरलैंड की टीम ड्यूक बॉल से ही टेस्ट मैच खेलती है.

ड्यूक गेंद की खासियत

ड्यूक बॉल की सिलाई मशीन से नहीं, बल्कि हाथों से की जाती है. ड्यूक बॉल की सीम लंबे समय तक ठीक रहती है. यह गेंद लम्बे समय तक हार्ड रहती है और इसका शेप जल्दी नहीं बदलता. तेज गेंदबाजों को इस गेंद से ज्यादा मदद मिलती है. लेकिन इसमें गेंदबाज की स्किल भी मायने रखती है.