रोहित शर्मा ने खुलासा किया कि उनके पिता गुरुनाथ शर्मा उनके टेस्ट से संन्यास लेने के फैसले से निराश थे. अपने संन्यास के बाद पहली बार खेल के सबसे लंबे प्रारूप के बारे में सार्वजनिक रूप से बोलते हुए रोहित शर्मा ने कहा, ”मेरे पिता लंबे समय से टेस्ट क्रिकेट के प्रशंसक रहे हैं और उन्हें “नए जमाने” का क्रिकेट पसंद नहीं है.”
माना जा रहा था कि इंग्लैंड दौरे पर रोहित शर्मा ही कप्तान होंगे, लेकिन इससे पहले ही 7 मई को रोहित ने टेस्ट से संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया था. इससे पहले न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था, ये दोनों सीरीज भी भारत हार गई थी. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले गए आखिरी टेस्ट से रोहित बाहर हो गए थे, जिसके बाद ही कयास जाने लगे थे कि वो रिटायरमेंट ले लेंगे. हालांकि उस समय रोहित ने कहा था कि, “वो कहीं नहीं जा रहे हैं.” और इसके बाद वो डोमेस्टिक में भी खेले थे.
मुंबई में आयोजित चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर वाइफ’ के लॉन्च के मौके पर रोहित शर्मा ने कहा, “मेरे पिता एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे. मेरे पिता ने भी हमारी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए बहुत कुछ त्याग किया. मेरे पिता हमेशा से ही टेस्ट क्रिकेट के प्रशंसक रहे हैं. यह नए दौर का क्रिकेट उन्हें पसंद नहीं है. मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैंने ODI में 264 रन बनाए थे. उन्होंने कहा था, ठीक है, अच्छा खेला. बहुत बढ़िया. उनमें ज्यादा उत्साह नहीं था. मैदान पर उतरना और यह सब करना महत्वपूर्ण है. लेकिन अगर मैं टेस्ट क्रिकेट में 30, 40 या 50 रन भी बनाता था, तो वह इसको लेकर मेरे साथ डिटेल में बात करते थे. इस गेम के लिए उनका प्यार कुछ ऐसा ही था.”
जब मैंने रिटायरमेंट लिया तो वो थोड़ा निराश थे
रोहित शर्मा ने कहा कि उन्होंने स्कूल क्रिकेट के बाद अंडर-19, रणजी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी, फिर इंडिया ए के लिए खेला. और इसके बाद ही भारतीय टीम में जगह बना पाया. मेरे पिता ने मेरे क्रिकेट सफर को देखा है.
रोहित ने कहा, “मेरे पिता ने मुझे रेड बॉल से बहुत खेलते हुए देखा है. वो रेड बॉल क्रिकेट को बहुत पसंद करते हैं, इसकी सराहना करते हैं. जाहिर है, जब मैंने टेस्ट से रिटायरमेंट की घोषणा की तो वो थोड़ा निराश थे. लेकिन साथ में खुश भी थे. वो मेरे पिता हैं और आज मैं जो कुछ भी हूं, जहां पर भी हूं, उसमे उनका बड़ा योगदान रहा है. उनकी बिना मदद के ये संभव नहीं हो पाता.”