अमेरिका के न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी प्रवासियों से बातचीत के दौरान पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भारत को लेकर एक बेहद भड़काऊ बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत वाकई आतंकवाद से निपटना चाहता है तो हमारे पास आए और ISI से सीखे. यह बयान ऐसे समय पर आया है जब दोनों देशों के बीच लंबे समय से आतंकवाद, सीमा संघर्ष और खुफिया एजेंसियों की गतिविधियों को लेकर तनाव बना हुआ है.
बिलावल ने ऐसे बेतुके बयान से खुद को आतंकवाद से लड़ने में “एक्सपर्ट” बताया है. उन्होंने भारत की खुफिया एजेंसी RAW की रणनीतियों पर सवाल खड़े करने की कोशिश की है. साथ ही बिलावल ISI को वैश्विक मंच पर वैधता देने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ISI कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में आतंकवादी संगठनों से संबंधों को लेकर संदेह के घेरे में रहा है. बता दें कि भारत ने हाल में ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को दुनिया के अलग-अलग देशों मे भेजा है, जहां वे पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने का काम कर रहे हैं. इस बीच बिलावल भुट्टो का बयान वाकई में हास्यादस्पद लगता है.
प्रतिक्रिया के बाद नरमी: सहयोग की बात या डैमेज कंट्रोल?
बिलावल को जब इस बयान पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना और भारत की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में इंटेलिजेंस सहयोग की बात रखी. उन्होंने डैमेड कंट्रोल करने की भरपूर कोशिश की और कहा कि दोनों देशों को आतंकवाद से मिलकर लड़ने की जरूरत है. ISI और RAW को साझा संवाद स्थापित करना चाहिए. आतंकवाद जैसे मुद्दे को गैर-राज्य तत्वों के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता. 1.5 से 1.7 अरब लोगों का भविष्य हिंसा पर आधारित नहीं होना चाहिए
भारत-पाकिस्तान खुफिया सहयोग: क्या वास्तव में संभव है?
भारत-पाकिस्तान के बीच 2008 के मुंबई हमलों के बाद इंटेलिजेंस संवाद लगभग बंद हो गया है. मुंबई हमले में पाकिस्तान के ISI पर लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को मदद देने के ठोस सबूत सामने आए थे. इस तरह से भारत पाकिस्तान के किसी भी दावे पर भरोसा करने से पहले ठोस कार्रवाई की अपेक्षा करता है.


































