इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार (22 जून, 2025) को कहा कि उनका देश ईरान के बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु कार्यक्रम जैसी दोहरी चुनौतियों को समाप्त करने के अपने लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुका है. नेतन्याहू ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इजरायल को एक लंबी और थकाऊ जंग में नहीं घसीटने देंगे, लेकिन ईरान के खिलाफ अभियान को समय से पहले समाप्त नहीं किया जाएगा.
उन्होंने इजरायली पत्रकारों से कहा, “हम सिर्फ उतनी ही कार्रवाई करेंगे जितनी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए जरूरी है, न ज्यादा न कम, लेकिन हम इसे जल्दबाजी में खत्म भी नहीं करेंगे. जब उद्देश्य पूरे हो जाएंगे, तब अभियान समाप्त होगा और संघर्ष थम जाएगा.”
बेंजामिन नेतन्याहू ने किया बड़ा दावा
बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि ईरान की मौजूदा सरकार इजरायल का अस्तित्व मिटाने की मंशा रखती है. इसी वजह से इजरायल ने उन दो खतरों- (परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल) को समाप्त करने के लिए यह सैन्य अभियान शुरू किया.
नेतन्याहू ने कहा, “हम इन लक्ष्यों की ओर कदम दर कदम बढ़ रहे हैं और अब हम इन्हें पूरा करने के बेहद करीब हैं.” उन्होंने आगे बताया कि बीती रात अमेरिका द्वारा गिराए गए ‘बंकर बस्टर’ बमों से ईरान का फोर्डो (Fordow) परमाणु संयंत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है. हालांकि, कितनी क्षति हुई है, इसका आकलन अभी किया जाना बाकी है. इस बीच, ईरान ने किसी भी हमले के विरुद्ध पूरी ताकत से अपना बचाव करने की चेतावनी दी है.
संवर्धित यूरेनियम को लेकर क्या बोले नेतन्याहू?
इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार ईरान के 60 प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम की गतिविधियों पर बेहद कड़ी निगरानी रखे हुए है. यह यूरेनियम परमाणु कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा माना जाता है. नेतन्याहू ने कहा, “हम इसे बहुत ध्यान से देख रहे हैं. यह अकेले परमाणु हथियार बनाने के लिए काफी नहीं है, लेकिन यह एक जरूरी हिस्सा है. हमारे पास इससे जुड़ी कुछ खास जानकारी भी है, जिसे मैं अभी सबके साथ नहीं शेयर कर सकता.”
13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के यूरेनियम संवर्धन केंद्रों पर पहले हमले से पहले, ईरान 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम तैयार कर रहा था. यह स्तर उस 90% शुद्धता के काफी करीब है, जिसे परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी माना जाता है.
यह मात्रा 2015 में हुए परमाणु समझौते में तय की गई 3.67% सीमा से कहीं ज्यादा है. ईरान ने इस समझौते का पालन तब तक किया था, जब तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में इस समझौते से बाहर नहीं निकलने का फैसला किया.