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“IIT-Delhi आत्महत्या मामले में SC का बयान : ‘किसानों से ज्यादा स्टूडेंट्स कर रहे सुसाइड’”

 शैक्षणिक संस्थानों में स्टूडेंट्स के सुसाइड की रिपोर्ट्स पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह आईआईटी-दिल्ली में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के दो छात्रों की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज करे और उसकी जांच करे। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिल आर महादेवन की बेंच ने उपायुक्त को FIR दर्ज करने और सहायक पुलिस आयुक्त रैंक के अधिकारी को जांच के लिए नियुक्त करने का निर्देश दिया। बेंच ने कहा, ‘‘हमें इस विषय में और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि किसी भी अपराध की जांच पुलिस के अधिकार क्षेत्र में है।’’ कोर्ट ने कहा कि छात्रों की आत्महत्या दर कृषि संकट से जूझ रहे किसानों के सुसाइड रेट से ज्यादा हो गई है।

‘छात्रों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संस्थान की’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विद्यार्थियों की सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हर शिक्षण संस्थान के प्रशासन के कंधों पर है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, परिसर में आत्महत्या जैसी किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में, उचित प्रशासन के पास तुरंत एफआईआर दर्ज कराना उसका स्पष्ट कर्तव्य बन जाता है।’’ बेंच ने कहा, ‘‘ऐसी कार्रवाई न केवल कानूनी बाध्यता है, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने के लिए नैतिक अनिवार्यता भी है। इसके साथ ही, पुलिस अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे बिना किसी देरी या इनकार के प्राथमिकी दर्ज कर तत्परता और जिम्मेदारी के साथ काम करें।’’

नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षण संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इन दायित्वों का सम्यक निर्वहन ऐसी त्रासदियों की पुनरावृति रोकने तथा सामाजिक संस्थानों में विश्वास बनाये रखने के लिए जरूरी है। शीर्ष अदालत ने विद्यार्थियों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए एक नेशनल टास्क फोर्स के गठन का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट इस बल का नेतृत्व करेंगे। शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘हम सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देश देते हैं कि वे अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी नोडल अधिकारी के रूप में नामित करें….।’’

क्या है मामला?

यह फैसला दो मृतक छात्रों के अभिभावकों की अपील पर आया है। इन अभिभावकों ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसमें मामले में एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया गया था। जुलाई 2023 में बीटेक छात्र आयुष आशना अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी पर लटके पाए गए थे। उसके बाद एक सितंबर 2023 को बीटेक छात्र और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी अनिल कुमार (21) संस्थान के हॉस्टल के कमरे में मृत पाए गए। कुमार ने 2019 में आईआईटी में प्रवेश लिया था। शिकायतों में उनकी मौतों को आत्महत्या नहीं बल्कि साजिश के परिणामस्वरूप हत्या बताया गया था और आईआईटी के शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा जातिगत भेदभाव किये जाने का भी आरोप लगाया गया था।

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