गुजरात के साबरकांठा ज़िले में स्थित पॉलो फॉरेस्ट (Polo Forest) प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहरों का अनूठा मिश्रण है। अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा यह वन क्षेत्र आज साहसिक पर्यटन, ट्रैकिंग, कैम्पिंग और अध्यात्म का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
पॉलो फॉरेस्ट का इतिहास
पॉलो फॉरेस्ट का नाम “पोल” शब्द से निकला है, जिसका अर्थ होता है छिपने का स्थान। माना जाता है कि यह वन क्षेत्र प्राचीन काल में शरण और साधना का स्थल था। यहाँ कई मंदिरों और खंडहरों के अवशेष पाए जाते हैं, जो 10वीं से 15वीं शताब्दी के बीच निर्मित माने जाते हैं।
सबसे प्रसिद्ध हैं—
शरणेश्वर शिव मंदिर
जैन मंदिरों के खंडहर
सन मंदिर
ये मंदिर उस समय की नागर और मर्हवाड़ा स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण हैं
प्राकृतिक सौंदर्य
पॉलो फॉरेस्ट लगभग 400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
यहाँ घना जंगल, पहाड़, नदियाँ और झरने पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
मानसून और सर्दियों में यहाँ की हरियाली और वातावरण बेहद मनोहारी हो जाता है।
यह क्षेत्र वन्यजीवों और पक्षियों के लिए भी जाना जाता है—यहाँ तेंदुआ, सियार, चीतल, मोर और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।
साहसिक गतिविधियाँ और पर्यटन
पॉलो फॉरेस्ट साहसिक पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है।
ट्रैकिंग और हाइकिंग : अरावली की पहाड़ियों में रोमांचक रास्ते।
कैम्पिंग : वन क्षेत्र में आयोजित नाइट कैम्पिंग बेहद लोकप्रिय है।
बोटिंग और साइकलिंग : नदी किनारे और जंगल के रास्तों पर साहसिक अनुभव।
फोटोग्राफी : प्राकृतिक दृश्य और प्राचीन खंडहर फोटोग्राफरों के लिए स्वर्ग समान हैं।
पॉलो फेस्टिवल
हर वर्ष गुजरात पर्यटन विभाग द्वारा यहाँ पॉलो फेस्टिवल आयोजित किया जाता है। इस दौरान यहाँ सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकनृत्य, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, साहसिक खेल और स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कैसे पहुँचे?
निकटतम हवाई अड्डा : अहमदाबाद (लगभग 150 किमी)
रेलवे स्टेशन : हिम्मतनगर (लगभग 70 किमी)
सड़क मार्ग : अहमदाबाद और गांधीनगर से पॉलो फॉरेस्ट तक नियमित बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
पॉलो फॉरेस्ट एक ऐसा स्थल है जहाँ प्रकृति की शांति और इतिहास की गहराई दोनों का अनुभव एक साथ मिलता है। यह स्थान साहसिक यात्रा, परिवार संग पिकनिक या आत्मिक सुकून की तलाश में आने वाले हर यात्री के लिए उपयुक्त है। गुजरात आने वाला हर पर्यटक इस हरे-भरे वन और प्राचीन धरोहर को ज़रूर देखना चाहिए।