
- उत्तर प्रदेश पुलिस और I4C के बीच साइबर अपराध पर अहम बैठक हुई।
- राज्य में साइबर अपराध रोकने के लिए विशेष केंद्र स्थापित करने की योजना।
- शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को डिजिटल और त्वरित बनाने पर जोर।
- पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध प्रशिक्षण देने की तैयारी।
- जन-जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को साइबर सुरक्षा से अवगत कराया जाएगा।

लखनऊ, 07 अगस्त 2025 — उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए मंगलवार को राजधानी लखनऊ के पुलिस मुख्यालय (सिग्नेचर बिल्डिंग, गोमतीनगर विस्तार) में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के पुलिस महानिदेशक श्री राजीव कृष्णा ने की, जिसमें भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के वरिष्ठ अधिकारी और अपर पुलिस महानिदेशक (साइबर क्राइम) सहित कई उच्च पदस्थ अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक का उद्देश्य राज्य और केंद्र सरकार के बीच साइबर अपराध के खिलाफ समन्वित प्रयासों को मजबूत करना, नागरिकों को राहत पहुंचाना, और साइबर अपराध की रोकथाम के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाना था।
बैठक में उठाए गए प्रमुख बिंदु
संस्थागत और प्रशासनिक पहल
- उत्तर प्रदेश में एक विशेष साइबर क्राइम नियंत्रण केंद्र की स्थापना पर सहमति बनी, जो राज्यभर में साइबर अपराधों की रोकथाम, जांच और निगरानी में अहम भूमिका निभाएगा।
- महिलाओं और बच्चों से संबंधित साइबर अपराधों की अलग से निगरानी के लिए विशेष विंग के गठन पर भी चर्चा हुई।
- नागरिकों की साइबर शिकायतों को सरल, डिजिटल और त्वरित पद्धति से दर्ज करने की प्रक्रिया विकसित करने की योजना सामने आई।
- तकनीकी रूप से दक्ष और विशेष प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की तैनाती का खाका भी तैयार किया गया।
सेवा व्यवस्था और शिकायत निवारण में सुधार
- शिकायतों की रिकॉर्डिंग, निगरानी और समाधान के लिए एक केंद्रीकृत डिजिटल व्यवस्था तैयार करने पर जोर दिया गया।
- जिलों में आने वाली शिकायतों की गुणवत्ता, गंभीरता और समयबद्ध निपटान के लिए अलग निगरानी इकाई स्थापित करने का सुझाव दिया गया।
- ठगी या धोखाधड़ी के मामलों में पीड़ितों को राहत देने हेतु त्वरित कार्रवाई और धनवापसी के लिए प्रक्रिया विकसित करने पर भी विचार हुआ।
नागरिक सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन
- प्रदेश में साइबर ठगी के अधिक प्रभावित क्षेत्रों (हॉटस्पॉट) की पहचान कर वहां विशेष सतर्कता और कार्रवाई की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
- वित्तीय ठगी के मामलों में पीड़ितों की धनवापसी सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित टीम गठित करने का प्रस्ताव सामने आया।
पुलिस प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
- प्रदेश के समस्त पुलिस बल को साइबर अपराध की पहचान, रोकथाम और वैज्ञानिक जांच पद्धतियों का प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की गई।
- यह प्रशिक्षण नए नियुक्त पुलिसकर्मियों के साथ-साथ वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों के लिए भी समान रूप से आयोजित किया जाएगा।
जन-जागरूकता और संवाद कार्यक्रम
- प्रत्येक जिले में साइबर जागरूकता अभियान शुरू करने पर सहमति बनी, जिसमें पोस्टर, वीडियो, पंचायत स्तर पर शिविर, स्कूलों और कॉलेजों में संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे साइबर सुरक्षा अभियानों से जोड़ने की दिशा में भी योजना पर विचार हुआ।
तीन स्तंभों पर आधारित साइबर रणनीति
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि साइबर अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों पर कार्य करना होगा:
- अपराध की त्वरित पहचान और तकनीकी निगरानी के माध्यम से रोकथाम
- पुलिस बल को तकनीकी रूप से तैयार और प्रशिक्षित बनाना
- नागरिकों के बीच व्यापक जागरूकता और संवाद कायम करना
राज्य और केंद्र के बीच समन्वय पर विशेष बल
राज्य और केंद्र दोनों ही पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि साइबर अपराध जैसी आधुनिक और गंभीर चुनौती से निपटने के लिए निरंतर संवाद, सूचनाओं का आदान-प्रदान और संयुक्त कार्रवाई अत्यंत आवश्यक है। यह साझेदारी न केवल उत्तर प्रदेश को साइबर अपराध नियंत्रण के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाएगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल के रूप में कार्य करेगी।
इस बैठक में I4C के CEO राजेश कुमार एवं श्रीमती रूपा.एम. IG threat analytics unit सम्मिलित हुए।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) भारत सरकार के गृह मंत्रालय की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश में साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक रूप से निपटना है।
I4C का मुख्य फोकस नागरिकों से संबंधित साइबर अपराध से जुड़े सभी पहलुओं को प्रभावी ढंग से संभालना है, जिसमें विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना, साइबर अपराध से निपटने की भारत की समग्र क्षमता को सुदृढ़ करना, तथा नागरिकों की संतुष्टि के स्तर को बढ़ाना शामिल है।
जनवरी 2020 में स्थापना के पश्चात से यह केंद्र देश की सामूहिक साइबर अपराध निवारण क्षमता को सशक्त करने तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय स्थापित करने की दिशा में सतत कार्य कर रहा है।