
- रिमोट एक्सेस एप्लिकेशन आपके मोबाइल और कंप्यूटर को दूर बैठे किसी भी व्यक्ति के कंट्रोल में दे सकता है।
- साइबर अपराधी बैंक या टेक्निकल सपोर्ट बनकर लोगों से ऐसे ऐप डाउनलोड कराते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं।
- हाल ही में फर्जी शादी के कार्ड और ऑफर के बहाने .apk फाइल भेजकर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।
- एक बार .apk इंस्टॉल होते ही ठग आपके फोन का डेटा, बैंकिंग ऐप्स और पासवर्ड तक पहुंच बना लेते हैं।
- साइबर ठगी से बचाव का एकमात्र उपाय है सतर्कता, अज्ञात लिंक या फाइल कभी डाउनलोड न करें और तुरंत शिकायत 1930 पर करें।
लखनऊ, 20 अगस्त 2025 : शिवसागर सिंह चौहान, मुख्य सम्पादक- TrueNewsUP : रिमोट एक्सेस एप्लिकेशन ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जिनकी मदद से कोई भी व्यक्ति आपके मोबाइल या कंप्यूटर को दूर बैठे ही नियंत्रित कर सकता है। आमतौर पर इन ऐप्स का उपयोग तकनीकी सहायता देने, ऑनलाइन मीटिंग करने या दूर से किसी का काम आसान बनाने के लिए किया जाता है। AnyDesk, TeamViewer और VNC जैसे ऐप इसी श्रेणी में आते हैं।
लेकिन जब यही ऐप्स गलत हाथों में चले जाते हैं तो यह खतरनाक हथियार बन जाते हैं। साइबर ठग इन ऐप्स के जरिए आपके फोन की स्क्रीन तक पहुंच जाते हैं और आपके बैंकिंग ऐप्स, पासवर्ड, फोटो, और निजी चैट भी देख सकते हैं।
साइबर ठगी में रिमोट एक्सेस एप्लिकेशन का इस्तेमाल कैसे होता है?
साइबर अपराधी अक्सर खुद को बैंक अधिकारी, टेक्निकल सपोर्ट एजेंट या फिर किसी सरकारी योजना का प्रतिनिधि बताकर फोन करते हैं। वे पीड़ित को भरोसे में लेते हैं और कहते हैं कि “आपकी मदद के लिए हमें आपके मोबाइल में एक ऐप इंस्टॉल करना होगा।” जैसे ही व्यक्ति वह ऐप डाउनलोड कर लेता है, अपराधी उसके मोबाइल पर पूरी नजर रख सकते हैं।
वे देख सकते हैं कि आप कौन-सा ऐप खोल रहे हैं, कौन-सा पासवर्ड डाल रहे हैं और किस बैंक अकाउंट से लेन-देन कर रहे हैं। धीरे-धीरे वे आपके भरोसे का फायदा उठाकर आपके अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। कई मामलों में ठगों ने पीड़ित का पूरा बैंक बैलेंस साफ कर दिया है।
.apk फाइल से क्यों बढ़ रहा है खतरा?
आजकल अपराधी एक नया तरीका अपना रहे हैं। वे लोगों को WhatsApp या ईमेल पर .apk फाइल भेजते हैं। .apk फाइल असल में एंड्रॉइड ऐप इंस्टॉलेशन फाइल होती है। सामान्य लोग यह सोचकर इसे इंस्टॉल कर लेते हैं कि इसमें शादी का कार्ड, बैंक से जुड़ा मैसेज या कोई लुभावना ऑफर है।
हाल ही में कई मामलों में देखा गया है कि अपराधियों ने फर्जी शादी का कार्ड भेजकर लोगों को फंसाया। जैसे ही व्यक्ति उस कार्ड के बहाने .apk फाइल इंस्टॉल करता है, उसका मोबाइल पूरी तरह अपराधियों के कब्जे में चला जाता है। अब ठग मोबाइल के सारे ऐप्स, फाइलें और मैसेज तक देख सकते हैं। इतना ही नहीं, वे आपके बैंक अकाउंट तक पहुंच बनाकर लाखों-करोड़ों रुपये गायब कर सकते हैं।
साइबर ठगी से बचने के लिए जरूरी सावधानियां
साइबर अपराध से बचने का सबसे पहला कदम है सतर्कता। किसी भी अनजान लिंक या अज्ञात स्रोत से मिली फाइल को कभी भी डाउनलोड नहीं करना चाहिए। खासतौर पर अगर वह .apk फाइल हो तो बिल्कुल भी इंस्टॉल न करें। ऐप हमेशा केवल Google Play Store या भरोसेमंद स्टोर से ही डाउनलोड करें।
अगर कोई व्यक्ति फोन या व्हाट्सएप पर आपसे किसी ऐप को डाउनलोड करने की बात कहे तो तुरंत इंकार कर दें। याद रखें, असली बैंक या सरकारी संस्था कभी भी आपसे ऐसा नहीं कहेगी। इसके अलावा अपने OTP, ATM PIN या UPI PIN को हमेशा गुप्त रखें। मोबाइल में एंटीवायरस जरूर रखें और समय-समय पर फोन को अपडेट करते रहें।
परिवार और समाज को कैसे सुरक्षित रखें?
साइबर ठगी से बचना केवल आपकी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि आपके परिवार और समाज की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है। अपने घर के बुजुर्गों और बच्चों को यह समझाना बहुत जरूरी है कि वे किसी भी अनजान लिंक या ऐप को कभी न खोलें।
अगर आपके रिश्तेदार या दोस्त को इस तरह का फर्जी मैसेज मिले तो तुरंत उन्हें आगाह करें। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए इस तरह की जानकारी लोगों तक पहुंचाएं। अगर दुर्भाग्यवश किसी के साथ धोखाधड़ी हो जाए तो तुरंत 1930 (National Cyber Crime Helpline) पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
निष्कर्ष
साइबर अपराधी हर दिन नए-नए तरीके अपनाते हैं। कभी वे बैंक हेल्पलाइन बनकर कॉल करते हैं, कभी फर्जी शादी का कार्ड भेजते हैं और कभी आकर्षक ऑफर दिखाकर आपको जाल में फंसाते हैं। ऐसे में केवल एक ही हथियार है जो आपको सुरक्षित रख सकता है – जागरूकता और सतर्कता।
अगर आप खुद सतर्क रहेंगे और दूसरों को भी सतर्क करेंगे, तो न केवल आप बल्कि पूरा समाज साइबर ठगी से सुरक्षित रह सकता है।