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श्रीराम कथा महोत्सव आचार, विचार और आहार का मार्गदर्शन: जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीराम कथा

श्रीराम कथा महोत्सव आचार, विचार और आहार का मार्गदर्शन: जीवन जीने की कला सिखाती है श्रीराम कथा
  • श्रीराम कथा ने जीवन जीने की कला और मानवता का महत्व सिखाया।
  • संत समाज ने रामकथा को आचार, विचार, और आहार-व्यवहार की शिक्षा बताया।
  • महाप्रसाद और सम्मान समारोह के साथ आयोजन का भव्य समापन हुआ।
  • श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव के साथ जीवन के नैतिक मूल्यों की शिक्षा मिली।
  • डॉ. अशोक बाजपेयी ने ऐसे आयोजनों को प्रतिवर्ष आयोजित करने का सुझाव दिया।

लखनऊ, 2 जनवरी 2025: मोती महल लॉन में 9 दिनों तक चलने वाले श्रीराम कथा महोत्सव का भव्य समापन आज संत सम्मेलन के साथ हुआ। यह महोत्सव श्रद्धालुओं के लिए आस्था, प्रेम, और प्रेरणा का केंद्र बना। वृन्दावन से पधारे वरिष्ठ संत एवं धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के शिष्य समर्थश्री त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने कथा के अंतिम दिवस पर कथा प्रेमियों को सम्बोधित किया। उन्होंने बताया कि श्रीराम कथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुसंस्कृत और प्रेरित करने वाली गाथा है।

त्र्यम्बकेश्वर चैतन्य जी महाराज ने कहा कि श्रीराम के जीवन में उनके पिता के प्रति आज्ञा पालन, माता के प्रति सम्मान, और सभी प्राणियों के प्रति करुणा का संदेश मिलता है। उन्होंने गीधराज जटायु का संस्कार कर यह प्रमाणित किया कि मानवता केवल मनुष्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि पशु-पक्षियों में भी प्रेम और सद्भावना का होना आवश्यक है। इस तरह की घटनाएँ हमें जीवन में संयम और करुणा का महत्व सिखाती हैं।

संतों का संदेश: रामकथा है आचार, विचार और व्यवहार की शिक्षा

कथा महोत्सव के दौरान संत समाज ने रामकथा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह कथा जीवन के हर पहलू को सुसंस्कृत करने का मार्गदर्शन देती है। दण्डी स्वामी श्री देवेन्द्रानन्द सरस्वती जी महाराज ने रामकथा को आचार-विचार और आहार-व्यवहार का मूल बताया। उन्होंने कहा कि श्रीराम ने अपने जीवन के माध्यम से प्रेम, समर्पण, और न्याय का आदर्श प्रस्तुत किया।

जगन्नाथपुरी से पधारे स्वामी प्रणवानंद, चूरू राजस्थान से पधारे स्वामी कृष्णानंद, प्रयागराज से ब्रह्मचारी ब्रजेश और ब्रह्मचारी शौनक चैतन्य जी महाराज ने संत सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए। सभी संतों ने एकमत होकर कहा कि रामकथा में निहित संदेश मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।

महाप्रसाद और सम्मान समारोह का आयोजन

आयोजन का समापन यज्ञ-हवन, आरती, और भण्डारे के साथ हुआ। डॉ. आचार्य सप्तर्षि मिश्र एवं उनके सहयोगियों ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया। महाप्रसाद के रूप में प्रसाद का वितरण किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक तृप्ति प्राप्त हुई। कथा के प्रारंभिक दिवस पर जल कलश शोभायात्रा में शामिल माताओं-बहनों को श्रीफल और पीत कलश प्रसाद स्वरूप प्रदान किए गए।

चूरू राजस्थान से आए श्रद्धालु राधेश्याम शर्मा ने सभी संतों को अंगवस्त्र, श्रीफल, और रजत दक्षिणा देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री और सांसद डॉ. अशोक बाजपेयी ने सभी संतों और आयोजनकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समाज में श्रेष्ठ प्रेरणा का संचार करते हैं और इन्हें प्रतिवर्ष आयोजित किया जाना चाहिए।

आयोजन का उद्देश्य और समर्पण

श्रीराम कथा महोत्सव के संयोजक संजीव पाण्डेय ने आयोजन की सफलता के लिए सभी श्रद्धालुओं, संत समाज, और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस कथा का उद्देश्य केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में सद्भावना, संस्कार, और नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करना है।

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