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गुरुपर्व पर डॉ. राजेश्वर सिंह ने गुरु नानक द्वार का किया शिलान्यास: 24.87 लाख की लागत से आशियाना गुरुद्वारा में बनेगा भव्य प्रवेश द्वार

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  • सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने गुरु नानक जयंती पर आशियाना गुरुद्वारे में गुरु नानक द्वार का शिलान्यास किया।
  • 24.87 लाख रुपये की लागत से इस भव्य द्वार का निर्माण विधायक निधि से किया जाएगा।
  • गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं और ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ के संदेश का उल्लेख किया गया।
  • सिख गुरुओं के महत्वपूर्ण योगदान को याद कर श्रद्धांजलि दी गई।
  • डॉ. सिंह ने सरोजनीनगर में ‘विरासत ए खालसा’ निर्माण के संकल्प की भी घोषणा की।

लखनऊ, 15 नवंबर 2024: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर शुक्रवार को सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने लखनऊ के आशियाना गुरुद्वारे में विशेष कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर उन्होंने गुरु वाणी का श्रवण किया, लंगर सेवा में भाग लिया और गुरुद्वारे के प्रवेश स्थल पर एक भव्य प्रवेश द्वार का शिलान्यास किया। इस प्रवेश द्वार का निर्माण 24.87 लाख रुपये की लागत से विधायक निधि से किया जाएगा।

कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ

गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम में विधायक डॉ. सिंह ने अपने संबोधन में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने मानवता के कल्याण के लिए अद्वितीय संदेश दिए, जिनमें ‘नाम जपो, किरत करो, वंड छको’ प्रमुख हैं। इसका अर्थ है कि व्यक्ति को ईश्वर का नाम जपना चाहिए, मेहनत और ईमानदारी से कार्य करना चाहिए और अपने भोजन और संसाधनों को दूसरों के साथ बाँटना चाहिए।

सेवा धर्म का महत्व: डॉ. सिंह ने इस मौके पर कहा कि गुरु नानक देव ने सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना था। उनकी शिक्षा ने समाज को परोपकार और दूसरों के कल्याण के प्रति समर्पित रहने का मार्ग दिखाया। उन्होंने एक ओंकार का मंत्र देकर एक ईश्वर में आस्था और समाज में एकता का संदेश दिया, जो आज भी प्रासंगिक है।

सिख गुरुओं का योगदान

डॉ. सिंह ने अपने भाषण में सिख गुरुओं के योगदान को विस्तार से बताया:

  • गुरु अंगद देव: गुरुमुखी लिपि के विकासकर्ता।
  • गुरु अमर दास: लंगर प्रथा की शुरुआत करने वाले।
  • गुरु राम दास: अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखने वाले।
  • गुरु अर्जन देव: गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन करने वाले।
  • गुरु हरगोबिंद जी: मीरी-पीरी की अवधारणा देकर भक्ति और शक्ति के समन्वयक।
  • गुरु हर राय: पर्यावरण संरक्षण के संदेशवाहक।
  • गुरु हर कृष्ण: चेचक महामारी के दौरान मानवता की सेवा में समर्पित।
  • गुरु तेग बहादुर: धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले।
  • गुरु गोबिंद सिंह: खालसा पंथ की स्थापना कर समाज में एकता और साहस की भावना विकसित करने वाले।

‘विरासत ए खालसा’ निर्माण का संकल्प

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने संबोधन में सरोजनीनगर में ‘विरासत ए खालसा’ के निर्माण के प्रयासों का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह केंद्र सिख धर्म की गौरवशाली परंपरा और इतिहास को संरक्षित करेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।

विशिष्ट अतिथि एवं समुदाय की भागीदारी

इस समारोह में कई प्रमुख सिख समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे, जिनमें जगजीत सिंह वोहरा, दलजीत सिंह बेदी, जसपाल सिंह दुगल, जे. एस. चड्ढा, डॉ. एस. एस. सलूजा, डॉ. एम. एस. छाबड़ा, सोनू सेठी, अमन वोहरा और दविंदर सिंह शामिल थे। इस आयोजन ने समुदाय के सभी वर्गों को एक साथ लाकर एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत किया।

गुरुपर्व के इस आयोजन ने सिख समुदाय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान को उजागर किया और समाज के विभिन्न वर्गों को एक मंच पर लाकर आपसी प्रेम और सौहार्द की भावना को प्रबल किया। डॉ. सिंह द्वारा उठाए गए कदम सरोजनीनगर क्षेत्र में सामुदायिक विकास और सामाजिक एकता को और मजबूत करेंगे।

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