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ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर की अंतिम इच्छा: हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार, कट्टरपंथियों से जान को खतरे के चलते वसीयतनामा जारी

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  • ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर पहले सैय्यद वसीम रिज़वी के नाम से जाने जाते थे और उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चार बार अध्यक्ष रह चुके हैं।
  • उन्होंने अपने शपथ पत्र में मृत्यु के बाद हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार और गंगा में अस्थियों के विसर्जन की इच्छा जताई।
  • अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक मिहिरध्वज जी, प्रोफेसर प्रभात सिंह सेंगर, और वरिष्ठ पत्रकार हेमेन्द्र प्रताप सिंह सेंगर को सौंपी गई है।
  • कट्टरपंथियों द्वारा जान को खतरा महसूस करते हुए उन्होंने अपने परिवार को धार्मिक दबाव से बचाने के लिए कानूनी व्यवस्था सुनिश्चित की है।
  • एक वसीयतनामा और वीडियो संदेश के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और धार्मिक बदलाव के कारणों को सार्वजनिक किया है।

लखनऊ: पूर्व में सैय्यद वसीम रिज़वी के नाम से पहचाने जाने वाले ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने अपनी मृत्यु के बाद हिंदू रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार की इच्छा जताते हुए एक वसीयतनामा जारी किया है। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चार बार अध्यक्ष रहे ठाकुर जितेंद्र ने अपने वसीयतनामा में अपने अंतिम संस्कार की विधि को लेकर विस्तृत जानकारी दी है और अपने निर्णय के पीछे के कारणों का विस्तार से उल्लेख किया है।

उन्होंने अपने जीवन के अंतिम सफर को लेकर न केवल अपनी इच्छाएं स्पष्ट की हैं, बल्कि कट्टरपंथियों से अपनी जान को खतरे की बात भी कही है। इस वसीयतनामा के अनुसार, यदि उनका आकस्मिक निधन होता है, तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए और उनकी अस्थियों का गंगा नदी में विसर्जन किया जाए।

धार्मिक यात्रा और परिवार की सहिष्णुता

ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर, जो पहले सैय्यद वसीम रिज़वी के नाम से जाने जाते थे, ने कुछ समय पहले इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था। यह निर्णय उनके जीवन में एक बड़े परिवर्तन के रूप में देखा गया। ठाकुर जितेंद्र ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि उनका परिवार आज भी इस्लाम धर्म का पालन करता है, लेकिन उनमें कोई कट्टरपंथी प्रवृत्ति नहीं है।

उन्होंने लिखा कि उनके परिवार को उनके हिंदू धर्म अपनाने से कोई समस्या नहीं है और न ही उन्हें अपने परिवार के इस्लाम धर्म मानने से कोई दिक्कत है। उनके परिवार में धार्मिक सहिष्णुता का भाव है, और उनके धर्मांतरण के फैसले को परिवार ने बिना किसी विरोध के स्वीकार किया है।

कट्टरपंथियों द्वारा जान को खतरा और संघर्ष

ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने अपने वसीयतनामा में बताया कि पिछले चार वर्षों से उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है। हिंदू धर्म अपनाने और इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने के कारण उनके जीवन को गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी उनकी जान के पीछे पड़े हैं और उन्होंने आशंका जताई कि किसी न किसी दिन ये कट्टरपंथी उन्हें मार डालेंगे।

उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण का समर्थन करने से लेकर मुग़ल काल में मंदिरों पर कब्जा कर बनाई गई मस्जिदों के विरोध तक, उन्होंने खुलकर हिंदू धार्मिक स्थलों के पक्ष में आवाज उठाई है। इन कारणों से कट्टरपंथियों के बीच उनकी छवि एक दुश्मन के रूप में बन गई है। यही कारण है कि न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के अन्य मुस्लिम समुदायों के कट्टरपंथी भी उनके खिलाफ हैं और उनकी जान को हमेशा खतरा बना रहता है।

अंतिम संस्कार की योजना: हिंदू रीति-रिवाजों से अंतिम यात्रा

ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर ने अपने वसीयतनामा में स्पष्ट किया है कि उनके निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू परंपराओं के अनुसार किया जाए। उन्होंने यह जिम्मेदारी तीन महत्वपूर्ण व्यक्तियों को सौंपी है:

1. मिहिरध्वज जी – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जो लखनऊ के नाका हिंडोला में निवास करते हैं।

2. प्रोफेसर प्रभात सिंह सेंगर – उत्तराखंड के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, जिनसे ठाकुर जितेंद्र को मार्गदर्शन और समर्थन मिला है।

3. हेमेंद्र प्रताप सिंह सेंगर – वरिष्ठ पत्रकार, जो उनके धार्मिक और वैचारिक बदलाव के सफर में उनके साथी रहे हैं।

ठाकुर जितेंद्र ने यह भी इच्छा जताई कि यदि संभव हो, तो उनकी अंतिम यात्रा में श्री रामभद्राचार्य जी की उपस्थिति हो। उनके अनुसार, श्री रामभद्राचार्य जी का आशीर्वाद उनके अंतिम संस्कार को सम्मानित और धर्मानुसार संपन्न करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

अस्थियों का गंगा में विसर्जन

ठाकुर जितेंद्र ने अपने शपथ पत्र में यह भी बताया कि उनकी अंतिम क्रिया के बाद उनकी अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित किया जाए। हिंदू परंपराओं के अनुसार गंगा में अस्थि विसर्जन को मुक्ति का मार्ग माना जाता है। यह निर्णय उनके हिंदू धर्म के प्रति गहरी आस्था और धार्मिक विश्वास को प्रकट करता है।

कानूनी और धार्मिक बाधाओं से बचाव की व्यवस्था

ठाकुर जितेंद्र ने अपने वसीयतनामा में यह स्पष्ट किया है कि किसी भी अनहोनी स्थिति में उनकी मृत देह का हिंदू रीति-रिवाज से ही अंतिम संस्कार किया जाए और इसमें किसी भी तरह की कानूनी बाधा न आए। उन्होंने यह व्यवस्था इसीलिए की है कि कट्टरपंथी उनके परिवार को दबाव में लाकर उनके शव को इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार दफनाने की कोशिश न करें। इस वसीयतनामा के जरिए उन्होंने अपने परिवार को धार्मिक कट्टरपंथियों के दबाव से बचाने का प्रयास किया है।

वसीयतनामा और वीडियो संदेश

ठाकुर जितेंद्र ने अपनी सुरक्षा और भविष्य में संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए न केवल वसीयतनामा जारी किया है, बल्कि एक वीडियो संदेश भी रिकॉर्ड किया है। इस वीडियो में उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों, धार्मिक परिवर्तनों और इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ अपनी सोच को साझा किया है। उनका कहना है कि यह संदेश उनके जीवन के अंतिम संदेश के रूप में रहेगा, ताकि उनके फैसले और धार्मिक बदलाव को लोग समझ सकें और उनके परिवार पर कोई दबाव न डाला जाए।

ठाकुर जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर का यह निर्णय उनके जीवन में आए धार्मिक परिवर्तन, वैचारिक संघर्ष और हिंदू धर्म के प्रति गहरी आस्था को प्रतिबिंबित करता है। उनके वसीयतनामा में व्यक्त किए गए प्रबंध न केवल उनकी धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं, बल्कि उनके परिवार को कट्टरपंथियों के दबाव से बचाने का प्रयास भी हैं। उनके द्वारा जारी किया गया वीडियो संदेश और वसीयतनामा उनके जीवन की चुनौतियों और उनके विचारों को समझने में सहायक सिद्ध होगा।

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