
- हनुमत सेवा समिति ने लखनऊ के लक्ष्मण मेला छठ घाट पर श्रद्धालुओं को गाय के दूध से बनी चाय वितरित की।
- समिति के अध्यक्ष विवेक पाण्डेय ने लोगों को नदियों और तटों को स्वच्छ रखने की शपथ दिलाई।
- गाय के दूध में मौजूद विटामिन बी-12, प्रोटीन कैसिइन और विटामिन-डी जैसे पोषक तत्वों के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी दी गई।
- समिति द्वारा प्रत्येक अमावस्या पर कुष्ठ रोगियों के लिए भोजन और दवाओं का वितरण भी किया जाता है।
- नि:शुल्क हनुमान चालीसा वितरण के माध्यम से समिति हनुमान चालीसा के पाठ को बढ़ावा देती है।

लखनऊ: हनुमत सेवा समिति ने छठ व्रत के पावन अवसर पर लक्ष्मण मेला छठ घाट पर श्रद्धालुओं और उनके परिवारों को विशेष रूप से गाय के दूध से बनी चाय वितरित की। यह पहल न केवल सेवा भावना का परिचायक थी, बल्कि इसके पीछे स्वास्थ्यवर्धक गुणों को लोगों तक पहुंचाने का भी उद्देश्य था। गाय के दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्व जैसे विटामिन बी-12, प्रोटीन कैसिइन और विटामिन-डी इसे अत्यंत लाभकारी बनाते हैं।
गाय के दूध के स्वास्थ्य लाभ
गाय के दूध में लगभग 80% प्रोटीन कैसिइन होता है, जो शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट को वितरित करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह पाचन में भी सहायक होता है, जिससे शरीर की संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होता है। गाय का दूध कैंसर के खतरे को कम करने में भी सहायक माना जाता है, और इसमें उच्च मात्रा में विटामिन-डी पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है।
इस चाय के वितरण के माध्यम से हनुमत सेवा समिति ने श्रद्धालुओं को व्रत पारण के बाद ऊर्जा और पोषण प्रदान किया। छठ पर्व के दौरान व्रतधारियों की थकान और ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए यह पहल बहुत कारगर साबित हुई।
समिति की निरंतर सेवा पहल
हनुमत सेवा समिति का यह प्रयास, केवल इस एक आयोजन तक सीमित नहीं है। समिति लंबे समय से सामाजिक कल्याण की दिशा में विभिन्न कार्य कर रही है। प्रत्येक अमावस्या पर समिति द्वारा कुष्ठ रोगियों के लिए भोजन और दवाओं का वितरण किया जाता है। इसके साथ ही, समिति हनुमान चालीसा के पाठ को बढ़ावा देने के लिए नि:शुल्क हनुमान चालीसा का वितरण भी करती है, जिससे लोगों में धार्मिकता और सामाजिक चेतना का प्रसार हो।
समाज और पर्यावरण की स्वच्छता का संदेश
इस आयोजन के दौरान समिति के अध्यक्ष विवेक पाण्डेय ने नदियों और तटों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को स्वच्छ रखने की शपथ दिलवाई। यह पहल न केवल धार्मिक, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया गया कि वे पूजा के बाद अपने आस-पास सफाई का ध्यान रखें और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहें। हनुमत सेवा समिति का यह कार्य न केवल सेवा भावना का प्रतीक है, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति उनकी जागरूकता को भी दर्शाता है। इस पहल ने छठ व्रतधारियों के बीच सेवा, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को मजबूती से स्थापित किया।