
लखनऊ, उत्तर प्रदेश: आगामी UP By-Election 2024 की पृष्ठभूमि में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा ट्वीट किए गए बयान पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अपने ट्वीट के माध्यम से, डॉ. सिंह ने सपा शासनकाल में पत्रकारों पर हुए हमलों के आँकड़े सामने रखते हुए अखिलेश यादव को उनके कार्यकाल के काले अध्यायों की याद दिलाई।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा, “श्रीमान अखिलेश जी, कृपया समाजवादी शासनकाल में पत्रकारों पर हुए इन हमलों को भी याद कीजिए”। उन्होंने क्रमवार तरीके से उन घटनाओं का उल्लेख किया जिनमें सपा शासन के दौरान पत्रकारों को हिंसा का सामना करना पड़ा था:
1. साल 2013 – अखिलेश यादव के गृह जनपद इटावा में पत्रकार सुरेंद्र वर्मा की गोली मारकर हत्या।
2. साल 2015 – शाहजहांपुर में सपा के एक मंत्री के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट करने के चलते वरिष्ठ पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया गया।
3. साल 2015 – चंदौली में टीवी पत्रकार हेमंत यादव को सरेआम गोली मार दी गई।
4. साल 2021 – मुरादाबाद में सपा कार्यकर्ताओं ने वरिष्ठ पत्रकार उबैद उर रहमान और फरीद शम्सी पर हमला कर उनकी पिटाई की, और ये घटना अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुई थी।
डॉ. सिंह ने कहा कि समाजवादी शासनकाल के दौरान पत्रकारों की आवाज़ दबाने के आरोप लगे और पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे थे। उन्होंने इसे “गुंडाराज” करार देते हुए कहा कि प्रदेश के लोग और मीडियाकर्मी आज भी इन घटनाओं को भूले नहीं हैं। साथ ही उन्होंने हैशटैग #नहीं_चाहिए_समाजवादी_पार्टी और #UPByElection2024 के माध्यम से जनता के बीच संदेश फैलाने का प्रयास किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया का असर
डॉ. राजेश्वर सिंह के इस बयान से आगामी उपचुनाव में भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति और तेज होती दिख रही है। भाजपा ने सपा शासनकाल में कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए सपा सरकार के कथित “गुंडाराज” को मुद्दा बनाया है, और इसे चुनाव प्रचार में प्रमुखता से उठाने की योजना बना रही है।
सपा का पक्ष

हालांकि, समाजवादी पार्टी की ओर से इन आरोपों का जवाब अभी नहीं आया है, लेकिन यह संभव है कि आने वाले दिनों में सपा नेता इसका प्रत्युत्तर देंगे।
लखनऊ के सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ.राजेश्वर सिंह के इस ट्वीट से स्पष्ट है कि UP By-Election 2024 के लिए राजनीतिक दल एक-दूसरे पर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि समाजवादी पार्टी कैसे इन आरोपों का सामना करती है और भाजपा अपने संदेश को किस प्रकार जनता तक पहुँचाती है।