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राम मंदिर का मुहूर्त देने वाले गणेश्वर शास्त्री बोले- दीपावली का सर्वोत्तम मुहूर्त 1 नवंबर को, स्वाति नक्षत्र व अमावस्या के संयोग में महालक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व

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  • पंडित गणेश्वर शास्त्री के अनुसार, दीपावली का सर्वोत्तम मुहूर्त 1 नवंबर को है।
  • पंचांगों और शास्त्रों के अध्ययन से 1 नवंबर की उदया तिथि, प्रदोष काल और अमावस्या का संयोग शुभ।
  • महालक्ष्मी पूजन का सही समय सूर्यास्त के बाद 24 मिनट तक अमावस्या के संयोग में बताया गया।
  • पांच प्रमुख पंचांगों में से तीन ने भी 1 नवंबर को दीपावली का सही समय माना है।
  • इस विशेष योग में स्वाति नक्षत्र और प्रतिपदा भी शामिल, जो पूजन के लिए विशेष शुभ माना गया है।

वाराणसी: श्रीराम मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर का मुहूर्त देने वाले प्रख्यात पंडित गणेश्वर शास्त्री द्राविड़ ने इस साल दीपावली के महालक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त 1 नवंबर बताया है। पंडित शास्त्री का कहना है कि देशभर से आए 250 से अधिक सवालों के जवाब में उन्होंने दो दिन तक विभिन्न शास्त्रों और पंचांगों का गहन अध्ययन किया। इसके बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि 1 नवंबर की उदया तिथि में प्रदोष काल और सूर्यास्त के बाद अमावस्या का संयोग बन रहा है, जो महालक्ष्मी पूजन के लिए विशेष शुभ माना गया है।

पंडित गणेश्वर शास्त्री ने बताया कि पांच प्रमुख पंचांगों में से तीन ने भी दीपावली का सही दिन 1 नवंबर माना है। शास्त्रों के अनुसार, महालक्ष्मी पूजन सूर्यास्त के तुरंत बाद प्रदोष काल में किया जाना चाहिए, और इसके लिए अमावस्या का सूर्यास्त के बाद कम से कम 24 मिनट तक रहना अनिवार्य है। यह विशेष संयोग 1 नवंबर को उदय तिथि के साथ बन रहा है, जिसमें स्वाति नक्षत्र और प्रतिपदा का शुभ योग भी शामिल है।

इन शास्त्रों और पंचांगों का किया अध्ययन:

पंडित शास्त्री ने बताया कि उन्होंने कृत्यसारसमुच्चय, जयसिंहकल्पद्रुम, शब्दकल्पद्रुम, प्रातिवार्षिक पूजा कथा संग्रह, पर्वनिर्णय और देश के पांच प्रमुख पंचांगों का अध्ययन कर इस निर्णय पर पहुंचे हैं।

पंचांगों के अनुसार 1 नवंबर को ही सही तिथि:

शास्त्री जी के अनुसार, हृषिकेश पंचांग 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने की तिथि देता है, लेकिन गणेश आपा पंचांग और म.म. श्रीमद् बापूदेवशास्त्री प्रवर्तित दृक्सिद्ध पंचांग के अनुसार 1 नवंबर को सही तिथि है। इसके साथ श्री वेंकटेश्वर शताब्दी पंचांग भी 1 नवंबर को ही अमावस्या के सही समय का संयोग बनता देख रहा है। इस प्रकार, पंचांगों की गणना के आधार पर 1 नवंबर को ही महालक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय है।

महालक्ष्मी पूजन के लिए 1 नवंबर का महत्व:

शास्त्री जी ने सुझाव दिया कि जो लोग सूर्यास्त के बाद 24 मिनट अमावस्या का समय पा सकते हैं, उन्हें 1 नवंबर को महालक्ष्मी पूजन करना चाहिए। वहीं, जिन क्षेत्रों में यह संयोग 31 अक्टूबर को बनता है, वहां उसी दिन पूजन करने का विकल्प भी रहेगा।

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