HomeDaily Newsकालीबाड़ी मंदिर: लखनऊ में कैसरबाग के घसियारी मंडी में स्थित है आस्था...

कालीबाड़ी मंदिर: लखनऊ में कैसरबाग के घसियारी मंडी में स्थित है आस्था और तंत्र साधना का 161 साल पुराना सिद्धपीठ

truenewsup
•   1863 में मधुसूदन मुखोपाध्याय ने कैसरबाग में कालीबाड़ी मंदिर की स्थापना की।
•   मंदिर में माँ काली की मिट्टी से बनी पंचमुण्डी स्वरूप की मूर्ति है।
•   पंचमुण्डी स्वरूप तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
•   दीपावली पर महास्नान के बाद अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।
•   नवरात्र में महिषासुर मर्दिनी पाठ और ढाक प्रतियोगिता होती है।
truenewsup

लखनऊ: उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के कैसरबाग स्थित कालीबाड़ी मंदिर, जिसे नगर का सबसे पुराना कालीबाड़ी मंदिर माना जाता है, अपने आप में एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है। इस मंदिर की स्थापना 1863 में बंगाल के रहने वाले साधक मधुसूदन मुखोपाध्याय द्वारा की गई थी। मंदिर का यह ऐतिहासिक सफर, उसकी प्राचीन परंपराओं और मां काली के अनूठे पंचमुण्डी स्वरूप की आराधना के साथ, श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का केंद्र बन गया है।

मंदिर का इतिहास: मधुसूदन मुखोपाध्याय का सपना

मंदिर की स्थापना का किस्सा बेहद दिलचस्प और धार्मिक महत्व से भरा है। मधुसूदन मुखोपाध्याय, जो मूल रूप से बंगाल के निवासी थे, ने इस मंदिर की नींव तब रखी, जब उन्होंने सपने में माँ काली के पंचमुण्डी स्वरूप का दर्शन किया। कहा जाता है कि सपना देखने के बाद उन्होंने माँ के आदेशानुसार मिट्टी से मूर्ति बनाई और 1863 में कैसरबाग के घसियारी मंडी इलाके में उसकी प्राण प्रतिष्ठा की।

मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह से मिट्टी की बनी हुई है और 161 साल बाद भी वैसी ही स्थिति में है। इस मूर्ति का स्वरूप पंचमुण्डी है, जिसमें माँ काली पाँच मुंडों की आधारशिला पर स्थापित हैं। पंचमुण्डी स्वरूप के तहत यहाँ पाँच जीवों—मानव, वानर, पक्षी (बादर), उल्लू, और सियार—के मुंडों का आधार है, जो देवी के तांत्रिक स्वरूप की अनूठी विशेषता को दर्शाता है।

माँ काली के पंचमुण्डी स्वरूप का महत्व

पंचमुण्डी आसन माँ काली के तांत्रिक स्वरूप का प्रतीक है। तंत्र साधना में माँ के इस स्वरूप की पूजा विशेष महत्व रखती है, जिसे आमतौर पर बंगाली परंपरा के लोग करते हैं। तंत्र साधना में, पंचमुण्डी आसन को ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। कहा जाता है कि देवी के इस स्वरूप के माध्यम से साधक तांत्रिक अनुष्ठानों को संपन्न करते हैं, जिसमें पंचभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का प्रतिनिधित्व भी सम्मिलित होता है। उत्तर प्रदेश में इस प्रकार का पंचमुण्डी आसन पर स्थापित देवी की मूर्ति अपने आप में एकमात्र अनूठी मूर्ति मानी जाती है।

पूजा विधि और विशेष अनुष्ठान

कालीबाड़ी मंदिर के पुजारी डॉ. अमित गोस्वामी जी पिछले 21 वर्षों से यहाँ नियमित पूजा-अर्चना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में माँ काली की पूजा खासतौर से दीपावली के अवसर पर विशेष महत्व रखती है। बंगाली मूल के लोग इस दिन को काली पूजा के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर पंचमुण्डी स्वरूप की मूर्ति का महास्नान (सात समुद्र के जल, 10 प्रकार के तेल और मिट्टी से स्नान) कराया जाता है।

इसके बाद, विशेष प्रकार की पूजा विधि का आयोजन होता है, जिसमें पंच उपचार, दस उपचार और 16 उपचार शामिल होते हैं। पूजा के दौरान, अन्नकूट का विशेष भोग लगाया जाता है, जिसे ‘महाप्रसाद’ के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि इस महाप्रसाद को ग्रहण करने वाले भक्तों के जीवन में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।

नवरात्रि और अन्य उत्सव

कालीबाड़ी मंदिर में शारदीय नवरात्रि के दौरान महिषासुर मर्दिनी का विशेष अनुष्ठान होता है, जिसमें माँ दुर्गा की महिषासुर का वध करने की कथा का विशेष आयोजन होता है। इसके साथ ही, ढाक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें ढाक वादकों की प्रतियोगिता होती है, जो इस पूजा को और भी रंगीन बना देती है। इस आयोजन में शहर भर के भक्त उत्साहपूर्वक हिस्सा लेते हैं और इस परंपरा को जीवंत बनाए रखते हैं।

कालीबाड़ी मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

लखनऊ का कालीबाड़ी मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ की पूजा पद्धति और अनुष्ठान बंगाली परंपराओं से गहरे जुड़े हुए हैं। यहाँ की मिट्टी की मूर्ति और पंचमुण्डी स्वरूप का विशेष महत्व, तंत्र साधना के महत्व को दर्शाता है। यह स्थान न केवल बंगाली समाज के लिए, बल्कि तंत्र साधना में विश्वास रखने वाले साधकों के लिए भी एक तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। कालीबाड़ी मंदिर का यह इतिहास और उसकी पूजा विधि एक समृद्ध परंपरा का प्रतीक है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अद्वितीय है। यहां का हर त्योहार, हर अनुष्ठान, और हर पूजा विधि भक्तों के मन में श्रद्धा और आस्था की भावना को प्रज्वलित करती है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments