
लखनऊ: केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ में आयुष मंत्रालय और केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा 100 दिनों की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस अवसर पर संस्थान के प्रभारी अधिकारी डॉ. लिपिपुष्पा देबता ने संस्थान और आयुष मंत्रालय की उपलब्धियों को विस्तार से प्रस्तुत किया। उनके साथ डॉ.अमित श्रीवास्तव, डॉ.दिव्या वर्मा, और डॉ.प्रतिभा शिवहरे भी उपस्थित थे।
संस्थान का इतिहास और विकास

डॉ. लिपिपुष्पा देबता ने बताया कि होम्योपैथिक औषधि अनुसंधान संस्थान (एचडीआरआई) की स्थापना 1972 में लखनऊ स्थित राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ड्रग प्रोविंग यूनिट के रूप में की गई थी। वर्ष 1987 में इसे एचडीआरआई में पदोन्नत किया गया और 2024 में नई इमारत का उद्घाटन माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई द्वारा किया गया। 14 सितंबर 2023 को संस्थान नए परिसर में स्थानांतरित हुआ और 18 सितंबर 2023 से ओपीडी की शुरुआत 85 मरीजों से हुई, जो अब 300 मरीज प्रतिदिन तक पहुंच चुकी है।
संस्थान की उपलब्धियां
संस्थान में क्लिनिकल रिसर्च, मौलिक अनुसंधान, और क्लिनिकल वेरिफिकेशन जैसी विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं। डॉ. अमित श्रीवास्तव ने बताया कि संस्थान में एनएबीएल और एनएबीएच मान्यता हेतु कार्यवाही जारी है। मरीजों को मुफ्त हीमोग्लोबिन जांच के अलावा स्वच्छता अभियान और अन्य स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।
आयुष मंत्रालय की 100 दिनों की प्रमुख उपलब्धियां
1. जरावस्था स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन: 100 दिनों में 14,000 से अधिक जरावस्था स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए गए, जो निर्धारित लक्ष्य से काफी अधिक थे।
2. आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM) प्रमाणन: 1005 आयुष आरोग्य मंदिरों को आयुष एंट्री लेवल सर्टिफिकेशन प्राप्त हुआ।
3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत और वियतनाम के बीच औषधीय पौधों में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए, जो पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देगा।
वैश्विक गतिविधियां और अनुसंधान परियोजनाएं
1. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सीसीआरएच ने रॉयल लंदन हॉस्पिटल और इज़राइल के शारे ज़ेडेक मेडिकल सेंटर के साथ सहयोगी अध्ययन किए।
2. वैज्ञानिक प्रकाशन और पेटेंट: 11 शोध पत्र और 17 केस रिपोर्ट्स प्रकाशित की गईं, 1 पेटेंट दायर किया गया।
संस्थान की ओपीडी सेवाएं और अनुसंधान परियोजनाएं
डॉ. दिव्या वर्मा ने बताया कि संस्थान में 6 ओपीडी चल रही हैं, जिनमें विशेष ओपीडी के अंतर्गत लाइफस्टाइल डिसऑर्डर, पेडियाट्रिक, रूमेटोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, गाइनकोलॉजी, और मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य क्लिनिक शामिल हैं। वर्तमान में 5 शोध परियोजनाएं, जैसे सर्वाइकल लिम्फ, माइग्रेन, हाइपोथायरायडिज्म, और क्लिनिकल वेरिफिकेशन पर अनुसंधान चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 7 आगामी परियोजनाओं में डायबिटीज, विटामिन डी की कमी, और अन्य बीमारियों पर ध्यान दिया जा रहा है।
प्रयोगशाला और फार्मेसी सेवाएं
संस्थान में हेमेटोलॉजी, पैथोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री और सीरोलॉजी जैसी उन्नत प्रयोगशाला सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही, सभी सामान्य और आवश्यक दवाएं जीएमपी प्रमाणित कंपनियों से खरीदी जाती हैं।
संस्थान का विस्तार और भविष्य की योजनाएं
संस्थान में 50 बिस्तरों वाला अनुसंधान अस्पताल भी है, जिसमें पुरुष, महिला और बाल चिकित्सा वार्ड शामिल हैं। यह अस्पताल भविष्य में पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगा।
कुल मिलाकर, केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी), लखनऊ ने 100 दिनों के भीतर अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जो आयुष मंत्रालय और केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद की प्रमुख पहल का हिस्सा है।