
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने सरोजनीनगर के सभी 14 आरबीएस केंद्रों पर NEET-JEE की डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराने की घोषणा की।
- सभी आरबीएस केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर लगेंगे और जरूरतमंदों, खासकर बुजुर्गों को निःशुल्क चश्मे दिए जाएंगे।
- तेज किशनखेड़ा में बच्चों को क्रिकेट किट और प्रोत्साहन राशि देकर खेल और प्रतिभा को बढ़ावा दिया गया।
- खुर्रमपुर व तेज किशनखेड़ा में सांस्कृतिक स्थलों, छोटे व्यवसायों और गौशालाओं के विकास के लिए कदम उठाए गए।
- शोकग्रस्त परिवारों से मिलकर डॉ. सिंह ने शिक्षा, पेंशन और रोजगार जैसी मदद का भरोसा दिलाया।

लखनऊ : सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का जीवन मंत्र है—सपनों को साकार करने की राह में बाधाएं नहीं, अवसर पैदा करना। शुक्रवार को उनके कार्यक्रमों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच्चा नेतृत्व वह होता है, जो युवाओं को मेडिकल और इंजीनियरिंग की ऊंचाइयों तक पहुंचाए, बुजुर्गों की आंखों को जीवन की रोशनी दे और बच्चों की मुस्कान को नए अवसरों से जोड़ दे।
युवा सशक्तिकरण: NEET-JEE ट्रेनिंग और डिजिटल शिक्षा

बरकताबाद के रण बहादुर सिंह (आरबीएस) डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र पर डॉ. सिंह ने युवाओं से संवाद किया। उन्होंने घोषणा की कि सरोजनीनगर के सभी 14 आरबीएस केंद्रों पर NEET और JEE की डिजिटल सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। इस पहल से ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को बड़े शहरों की कोचिंग पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और उन्हें समान अवसर मिलेगा।
यही नहीं, इन केंद्रों पर साइबर सिक्योरिटी जैसे आधुनिक कोर्स भी शुरू होंगे, ताकि ग्रामीण युवा डिजिटल युग में पीछे न छूटें। डॉ. सिंह ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हर युवा को अवसर मिले और वह अपनी मेहनत से देश का भविष्य बने।”
स्वास्थ्य शिविर और निःशुल्क चश्मे: बुजुर्गों के लिए नई उम्मीद
डॉ. सिंह ने सरोजनीनगर के सभी आरबीएस केंद्रों पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने की घोषणा की। यहां नेत्र परीक्षण किए जाएंगे और जरूरतमंदों, खासकर बुजुर्गों को निःशुल्क चश्मे उपलब्ध कराए जाएंगे।
बेहटा निवासी पूरण गौतम और उनकी पत्नी रामराखन को जल्द ही नए चश्मे मिलेंगे, जबकि नारायणपुर की 100 वर्षीय राम चंद्री देवी को वृद्धावस्था पेंशन और उनके पौत्र-पौत्रियों के लिए बाल सेवा योजना का लाभ दिलाने का भरोसा दिया गया। यह कदम बुजुर्गों को सम्मान और आत्मनिर्भरता देता है और युवा पीढ़ी को अपने दायित्व निभाने की प्रेरणा भी।
बच्चों के सपनों को मंच: खेल और प्रोत्साहन

तेज किशनखेड़ा में डॉ. सिंह बच्चों के साथ क्रिकेट खेलते नजर आए। उनकी चमकती आंखों और उत्साह को देखकर वे खुद मैदान में चौके-छक्के लगाने लगे। बाद में उन्होंने बच्चों को क्रिकेट किट और प्रोत्साहन राशि भी दी।
उन्होंने कहा, “खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि अनुशासन और आत्मविश्वास की सीख है।” इस पहल से ग्रामीण बच्चों को खेलों में अपनी प्रतिभा साबित करने का अवसर मिलेगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक संरक्षण

डॉ. सिंह ने बेहटा में विष्णु कुमार यादव के ट्रैक्टर से खेत जोतकर ग्रामीण जीवन की मिट्टी से जुड़ाव का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “मिट्टी से जुड़ाव ही जीवन का असली सुख है।”
खुर्रमपुर के बाबा प्रेमदास स्वीट हाउस पर जलपान करते हुए उन्होंने छोटे व्यवसायों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया और इसके सौंदर्यीकरण के लिए ₹50,000 की सहायता दी।
संत प्रेमदास बाबा आश्रम में आशीर्वाद लेकर इंटरलॉकिंग और दो हाई मास्ट लाइट की व्यवस्था का वादा किया, जबकि तेज किशनखेड़ा गौशाला में गायों को केला-गुड़ खिलाकर वहां की सुविधाओं को और बेहतर बनाने का संकल्प दोहराया।
डिजिटल सशक्तिकरण और बुनियादी विकास
घुरघुरी तालाब चौराहा पर दुकानदारों से संवाद के दौरान डॉ. सिंह ने डिजिटल सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अमावा के गांधी आदर्श विद्यालय को 5 कंप्यूटर और 1 लैपटॉप दिया। इसके अलावा बूथ अध्यक्ष बाबूलाल पाल को साइकिल प्रदान करने का भरोसा दिया।
गौरी विहार में जल निकासी, सड़क और नाले की समस्याओं का शीघ्र समाधान कराने का वादा किया गया। यह सब उनके उस विज़न को दिखाता है जिसमें विकास केवल शहर तक सीमित नहीं, बल्कि गांव-गांव तक पहुंचे।
शोक के क्षणों में संवेदना


डॉ. सिंह ने अपने कार्यक्रमों के बीच दुखी परिवारों से भी मुलाकात की। गौरी विहार में आशीष तिवारी के पिता परशुराम नाथ तिवारी, नारायणपुर में शिव मोहन सिंह, बेहटा में सावित्री देवी और सरजू प्रताप सरोज, बरकताबाद में अमरजीत सिंह तथा बदबदाखेड़ा में कृष्ण रावत के निधन पर उन्होंने शोक संवेदना व्यक्त की। साथ ही, परिवारों को शिक्षा, पेंशन, रोजगार और बाल सेवा योजना जैसी मदद का भरोसा दिया।

उन्होंने कहा, “हर दुख में हम साथ हैं और हर परिवार को सहारा देना हमारा कर्तव्य है।”