
- अमेरिकी अदालत ने टैरिफ हटाने का दिया आदेश।
- ट्रंप ने कहा – टैरिफ हटे तो अमेरिका कमजोर हो जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की उम्मीद जताई।
- लेबर डे पर “मेड इन अमेरिका” उत्पादों को बढ़ावा देने की अपील।
- राष्ट्रपति चुनाव से पहले टैरिफ विवाद ने बढ़ाया सियासी तापमान।
वॉशिंगटन : अमेरिका में व्यापार नीति और टैरिफ को लेकर एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। शुक्रवार को एक अपीलीय अदालत ने मौजूदा टैरिफ व्यवस्था को हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले को “बेहद पक्षपातपूर्ण और राष्ट्रविरोधी” बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी। ट्रंप ने साफ कहा कि अगर ये टैरिफ हटा दिए गए तो इसका सीधा असर अमेरिकी किसानों, उद्योगपतियों और श्रमिकों पर पड़ेगा और देश “आर्थिक रूप से बर्बाद” हो जाएगा।
ट्रंप का बयान – “टैरिफ ही हैं अमेरिका की मजबूती का आधार”
ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का सबसे बड़ा साधन हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी देश चाहे मित्र हों या शत्रु, वे लंबे समय से अमेरिका पर अनुचित व्यापारिक दबाव बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारी-भरकम ट्रेड डेफिसिट (व्यापार घाटा) और अनुचित टैरिफ ने अमेरिकी कंपनियों को कमजोर कर दिया था।
ट्रंप ने कहा – “आज अदालत ने गलत निर्णय दिया है, लेकिन अमेरिका अंततः जीतेगा। अगर टैरिफ हटा दिए गए, तो यह हमारी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर देगा और हमें विदेशी दबावों के सामने झुका देगा।”
“सुप्रीम कोर्ट करेगा हस्तक्षेप”
पूर्व राष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल देगा और देश के हितों की रक्षा करेगा। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में पहली बार अमेरिका ने टैरिफ का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया था और इसी से लाखों नौकरियाँ सुरक्षित हुईं।
ट्रंप ने कहा कि टैरिफ हटने पर अमेरिकी विनिर्माण उद्योग (Manufacturing Sector), कृषि क्षेत्र और छोटे व्यवसाय सीधे प्रभावित होंगे। उनका कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
लेबर डे वीकेंड पर जनता से अपील
लेबर डे वीकेंड की शुरुआत पर ट्रंप ने अमेरिकी जनता से “मेड इन अमेरिका” उत्पादों का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि टैरिफ न केवल स्थानीय कंपनियों को मजबूती देते हैं बल्कि श्रमिकों के हितों की रक्षा भी करते हैं।
उन्होंने कहा – “कई वर्षों तक हमारे नासमझ और लापरवाह राजनेताओं ने टैरिफ को हमारे खिलाफ इस्तेमाल होने दिया। लेकिन अब अमेरिका अपने ही हित में टैरिफ का इस्तेमाल करेगा और दुनिया को दिखाएगा कि हम अपने उद्योगों और श्रमिकों के लिए खड़े हैं।”
कब और क्यों लगाए गए थे टैरिफ
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल (2017–2021) के दौरान चीन और अन्य देशों से आयातित उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे। उनका मकसद बढ़ते व्यापार घाटे को कम करना, अमेरिकी उद्योगों को बचाना और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं के अनुचित व्यापारिक व्यवहार का जवाब देना था।
हालांकि इन टैरिफ को लेकर कई आलोचनाएँ भी हुईं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ता है और महंगाई तेज होती है। वहीं, अदालत ने हाल ही में कहा कि कुछ टैरिफ “कानूनी दायरे से बाहर” और “असंवैधानिक” हैं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचने की पूरी संभावना है।
आने वाले समय की तस्वीर
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में टैरिफ का मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है। ट्रंप इस मामले को जनता से जोड़ते हुए “मेड इन अमेरिका” कैंपेन को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि विपक्षी दल इस पर दोहरी मार का आरोप लगा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है और अमेरिकी व्यापार नीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।