
एपेक्स एक्यूपंक्चर सेंटर एंड पैन क्लीनिक द्वारा आयोजित एक दिवसीय एक्यूपंक्चर जागरूकता प्रशिक्षण कार्यशाला आज विकास नगर में संपन्न हुआ। कार्यशाला में अलीगंज, कपूरथला, बालागंज तथा रहीम नगर में कार्यरत आशा बहनों ने प्रतिभाग किया। एपेक्स एक्यूपंक्चर सेंटर के निदेशक डॉ०जी.पार्थ प्रतिम ने बताया कि आशा बहने समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वस्थ जागरूकता पैदा करने हेतु अथक परिश्रम करते हैं इसलिए उन्हें एक्यूपंक्चर चिकित्सा विज्ञान जिसमे ना कोई दवा दी जाती है ना ही कोई दुष्प्रभाव की संभावना होती है, इसकी जानकारी होगी तो समाज में विभिन्न जटिल बीमारियों से पीड़ित रोगियों को मदद कर सकते हैं।

कार्यशाला का श्रृंखला एपेक्स एक्यूपंक्चर सेंटर पिछले कुछ समय से संचालित कर रही हैं। कार्यशाला में डॉ ०जी.पार्थ प्रतिम द्वारा आशा बहनों को एक्यूपंक्चर, इलेक्ट्रो एक्यूपंक्चर, मोक्षाबुस्न, कपिंग, बीसीएम एवं पीएनसीटी आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्हें वार्ड में चिकिस्तारत कई मरीजों को भी दिखाया गया। कार्यशाला में १७ आशा बहनों ने भाग लिया। एपेक्स एक्यूपंक्चर सेंटर से नजमा, अब्दुल कादेर, पल्लवी, रेनू, सौरभ तथा सामाजिक कार्यकर्ता आफरीन सिद्दीकी एवं शहनाज उपस्थित रही।
क्या है एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति
एक्यूपंक्चर चिकित्सा पद्धति एक प्राचीन और जटिल प्रणाली है जो हजारों वर्षों से चीन में विकसित हुई है और अब दुनिया भर में उपयोग की जाती है। यह पद्धति पारंपरिक चीनी चिकित्सा (टीसीएम) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और शरीर के भीतर ऊर्जा के प्रवाह (जिसे “ची” या “Qi” कहा जाता है) को संतुलित करने पर आधारित है।
एक्यूपंक्चर का सिद्धांत
एक्यूपंक्चर के सिद्धांत के अनुसार, शरीर में ऊर्जा की अदृश्य नदियाँ या मार्ग होते हैं जिन्हें “मेरिडियन” कहा जाता है। ये मेरिडियन शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों से जुड़े होते हैं। जब इन मेरिडियन में ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जाता है, तो शरीर में अस्वस्थता, दर्द, या अन्य बीमारियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।उपचार का तरीका:एक्यूपंक्चर में, सूक्ष्म और पतली सुइयों को शरीर के विशिष्ट बिंदुओं (एक्यूपॉइंट्स) में चुभाया जाता है। यह माना जाता है कि ये सुइयाँ ऊर्जा प्रवाह को पुनर्संतुलित करने, अवरोधों को दूर करने, और शरीर के आत्म-चिकित्सा तंत्र को उत्तेजित करने में मदद करती हैं।