
- आरटीई के अंतर्गत 6-14 आयु वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समावेशी शिक्षा का प्रबंध
- 1,65,544 गरीब बच्चों को गैर-सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त विद्यालयों में सीटें आवंटित
- ₹1200 प्रति छात्र डीबीटी के माध्यम से कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों को निःशुल्क यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग और स्टेशनरी उपलब्ध कराया गया
- शिक्षा के प्रति जागरूकता और सहभागिता को बढ़ावा देने के लिए आमजन के लिए जागरूकता कार्यक्रम
- केजीबीवी का उच्चीकरण, डिजिटल लर्निंग के विस्तार, दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रावधान और खेलकूद को बढ़ावा देने के कदम

लखनऊ, 30 दिसंबर 2024: उत्तर प्रदेश सरकार ने 2024 में बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किए हैं, जो बच्चों की शिक्षा के लिए एक नया युग शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, प्रदेश ने निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत 6-14 आयु वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इस पहल के तहत 1,65,544 गरीब बच्चों को गैर-सहायता प्राप्त विद्यालयों में सीटें आवंटित की गईं और उन्हें ₹1200 प्रति छात्र की राशि डीबीटी के माध्यम से दी गई, ताकि वे निःशुल्क यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग और स्टेशनरी प्राप्त कर सकें।
इसके अलावा, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का उच्चीकरण, डिजिटल लर्निंग का विस्तार, दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रावधान और खेलकूद को बढ़ावा देने जैसे कदमों ने प्रदेश में बेसिक शिक्षा को नई दिशा दी है।
इस बार, सरकार ने परिषदीय विद्यालयों में बच्चों के समग्र विकास के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें शारदा कार्यक्रम, निपुण आकलन परीक्षण, स्मार्ट क्लासेस और डिजिटल शिक्षा के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया गया है। इसके साथ ही, दिव्यांग बच्चों के लिए ‘समर्थ’ ऐप और विशेष सहायक उपकरणों का वितरण किया गया है।
इन प्रयासों से शिक्षा के प्रति समाज में जागरूकता और सहभागिता को बढ़ावा मिला है और सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी वर्ग से हो, अपनी शिक्षा पूरी कर सके और उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर हो।
सरकार की यह पहल परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के भविष्य को सुदृढ़ बनाने में सहायक है। इसके साथ ही, समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता और सहभागिता को भी बढ़ावा दिया गया है। योगी सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ-साथ स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट क्लास, शिक्षक प्रशिक्षण और डिजिटल साधनों के माध्यम से बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए ठोस प्रयास किए हैं।
आइए, जानते हैं कि 2024 में योगी सरकार के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा में कैसे मील के पत्थर स्थापित किए गए।
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (RTE)
- निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा की व्यवस्था।
- शैक्षिक सत्र 2024-25 में निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(ग) के अंतर्गत 1,65,544 बच्चों को गैर-सहायित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में सीट आवंटित किए गए।
- समस्त राजकीय, परिषदीय एवं सहायतित विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1-8 तक समस्त बालक/बालिकाओं को निःशुल्क पाठ्यपुस्तक एवं कार्यपुस्तिका वितरण किया गया।
शैक्षिक सामग्रियां और सुविधाएं
- राजकीय, परिषदीय एवं सहायतित विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1-8 तक के समस्त छात्र-छात्राओं को निःशुल्क यूनिफार्म, जूता मोजा, स्वेटर, स्कूल बैग एवं स्टेशनरी क्रय करने हेतु उनके अभिभावकों के खाते में धनराशि ₹1200/- डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित किए गए।
- बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु खेलकूद गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रति प्राथमिक विद्यालय ₹5000/- और प्रति उच्च प्राथमिक विद्यालय ₹10,000/- की दर से खेलकूद सामग्री क्रय करने हेतु धनराशि का प्रावधान किया गया।
- प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सभी शिक्षकों एवं शिक्षा मित्रों का हिंदी एवं गणित तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का डिजिटल लिटरेसी एवं अंग्रेजी विषय पर आधारित शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन।
विशेष कार्यक्रम और योजनाएं
- प्रदेश में शारदा कार्यक्रम के अंतर्गत/हाउसहोल्ड सर्वे के माध्यम से चिन्हित एवं नामांकित आउट-ऑफ-स्कूल बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था।
- प्रदेश में समग्र शिक्षा के अंतर्गत 1772 पायलट फेज के 60 उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट विद्यालयों और पीएम श्री योजना के अंतर्गत 570 उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट विद्यालयों में लर्निंग बाई डूइंग कार्यक्रम संचालित करने हेतु 04 दिवसीय अध्यापक प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
- परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों का निपुण लक्ष्य/लर्निंग आउटकम पर आधारित निपुण आकलन परीक्षण का आयोजन हुआ।
सुविधाएं और आधारभूत संरचना
- 1350 नए अतिरिक्त कक्षाकक्षों की व्यवस्था हुई।
- 123 जर्जर उच्च प्राथमिक विद्यालयों का पुनर्निर्माण गतिमान है।
- 354 विद्यालयों में वृहद मरम्मत का कार्य किया गया।
- 145 ब्लॉक/नगर संसाधन केंद्रों की वृहद मरम्मत हेतु वित्त पोषण।
- 09 ब्लॉक/नगर संसाधन केंद्रों के पुनर्निर्माण हेतु वित्त पोषण।
- 746 आवासीय कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में बालिकाओं हेतु निःशुल्क आवासीय शिक्षा की व्यवस्था।
- 680 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को कक्षा 6 से 12 तक उच्चीकरण।
शिक्षक प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन
- सभी परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों/प्रभारी प्रधानाध्यापकों को दिव्यांगता विषय पर प्रशिक्षण का आयोजन।
- प्रत्येक माह न्याय पंचायत स्तर पर एजेंडा आधारित बैठकें।
- शिक्षकों की क्षमता संवर्धन एवं पीयर लर्निंग हेतु प्रत्येक माह न्याय पंचायत स्तर पर एजेंडा आधारित बैठकें।
- 880 विकासखंडों में आईसीटी लैब की स्थापना।
समावेशी शिक्षा और दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रबंध
- 6-14 आयु वर्ग के समस्त दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापरक समावेशी शिक्षा के लिए ‘समर्थ‘ मोबाइल बेस्ड ऐप एवं पोर्टल के माध्यम से अनुश्रवण की व्यवस्था।
- दिव्यांग बच्चों के लिए ब्रेल पाठ्यपुस्तकें, विस्तारित पाठ्यपुस्तकें, एस्कॉर्ट अलाउंस, स्टाइपेंड, सहायक उपस्कर/उपकरणों का वितरण।
- दिव्यांग बच्चों का शैक्षिक भ्रमण एवं अभिभावकों की ब्लॉक स्तर पर काउंसलिंग का आयोजन।
डिजिटल लर्निंग और शिक्षक संसाधन
- दीक्षा एवं रीड एलांग ऐप के माध्यम से बच्चों, शिक्षकों एवं अभिभावकों के उपयोगार्थ डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा दिया।
- 16,000 से अधिक डिजिटल शैक्षणिक सामग्री विभाग द्वारा अपलोड कराई गई।
- परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के 2,09,863 शिक्षकों को टैबलेट उपलब्ध कराए गए।
- 18,381 परिषदीय उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट एवं कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्मार्ट क्लास स्थापित किए गए।
सामुदायिक सहभागिता और प्रगति
- प्रदेश के समस्त विद्यालयों में अभिभावक-अध्यापक बैठकों का संचालन।
- प्रदेश के समस्त विकास खंडों में ग्राम प्रधानों एवं स्थानीय प्राधिकारी सदस्यों का 01 दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
आधिकारिक एवं प्रशासनिक निगरानी
- प्रदेश के कुल विद्यालयों के 20 प्रतिशत विद्यालयों के सोशल ऑडिट हेतु 05 विश्वविद्यालयों को आबद्ध किया गया।
- निपुण भारत मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन एवं विभिन्न गतिविधियों/कार्यक्रमों का डेटा आधारित अनुश्रवण किए जाने के लिए विद्या समीक्षा केंद्र की स्थापना की गई।