
- स्वतंत्रता दिवस पर यूपी पुलिस ने ध्वजारोहण कर राज्यभर में उपलब्धियाँ गिनाईं।
- डीजीपी ने महिला सुरक्षा, साइबर अपराध नियंत्रण और सौहार्द को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
- 2017 से अब तक 91 अपराधियों का एनकाउंटर, 1 लाख से अधिक आरोपियों को दोषसिद्धि मिली।
- UP-112 हेल्पलाइन ने 1090, 181, 108, 1930 को मिलाकर 1,257 लोगों की जान बचाई।
- यूपी पुलिस को 2047 तक आधुनिक, संवादशील और संवेदनशील फोर्स बनाने का विज़न पेश किया गया।

लखनऊ : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। इस दौरान डीजीपी ने अधिकारियों और कर्मचारियों को शुभकामनाएँ दीं और पुलिस बल की उपलब्धियाँ साझा कीं।

डीजीपी ने कहा कि “पुलिस केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि नागरिकों के विश्वास और सुरक्षा की गारंटी भी है।” उन्होंने महिला सुरक्षा, साइबर अपराध नियंत्रण और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने को पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता बताया।
उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए बताया गया कि इस वर्ष 17 पुलिसकर्मियों को राष्ट्रपति पदक, 6 को विशेष सेवा पदक और 72 को सराहनीय सेवा पदक प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा 763 कर्मियों को उत्कृष्ट सेवा पदक और 486 को विशिष्ट सेवा सम्मान मिला।
डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस की “Zero Tolerance Policy” ने अपराधियों के हौसले पस्त किए हैं। STF, ATS और ANTF के साथ जिला पुलिस ने मिलकर संगठित अपराध के खिलाफ बड़ी सफलताएँ अर्जित की हैं।
पिछले तीन वर्षों में यूपी पुलिस भर्ती प्रक्रिया में बड़ा बदलाव आया है। अब नए भर्ती जवानों को केवल शारीरिक प्रशिक्षण और कानून की जानकारी ही नहीं, बल्कि हाईब्रिड मोड से तकनीकी स्किल, साइबर अपराध की जांच, संवाद कौशल और त्वरित निर्णय क्षमता पर भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
पुलिस ने आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2017 से अब तक 34 मुठभेड़ों में 91 अपराधियों का सफाया हुआ, जिनमें 2 की मौत भी शामिल है। जबकि 1 लाख से अधिक आरोपियों को दोषसिद्धि कराई गई, जिनमें 70 को मौत की सजा और 8,785 को आजीवन कारावास मिला।
UP-112 हेल्पलाइन को देश की सबसे भरोसेमंद सेवा बताया गया। अब इसमें 1090, 181, 108, 1930 जैसे सभी हेल्पलाइन नंबर एकीकृत कर दिए गए हैं। मोबाइल और मॉड्यूल आधारित गश्त से पुलिस अब घटनास्थल पर तेज़ प्रतिक्रिया दे रही है।
सोशल मीडिया के जरिये भी पुलिस की सक्रियता बढ़ी है। 1 जनवरी 2023 से 12 अगस्त 2025 तक, पुलिस के सोशल मीडिया सेल की मदद से 1,257 लोगों की जान बचाई गई। इसे “ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिस” का दर्जा भी मिला है।
यूपी पुलिस केवल “लॉ एंड ऑर्डर फोर्स” नहीं, बल्कि “फ्रेंडली और ट्रांसपेरेंट फोर्स” बनने की दिशा में काम कर रही है। वर्ष 2047 तक आधुनिक, संवादशील और संवेदनशील पुलिसिंग को लक्ष्य बनाया गया है।