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वेस्ट पाम बीच: कनाडा और पनामा नहर के बाद अब ट्रंप ने ग्रीनलैंड पर दिखाई दिलचस्पी, क्या बोले ट्रंप

 अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए डोनाल्ड ट्रंप ने डेनमार्क से ग्रीनलैंड खरीदने के अपने आह्वान को एक बार फिर दोहराया है। अपने पहले कार्यकाल में भी उन्होंने कुछ ऐसा करने की कोशिश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली थी। अब मित्र देशों की सूची में डेनमार्क भी शामिल हो गया है, जिनके साथ ट्रंप 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने से पहले ही टकराव का रुख अख्तियार कर रहे हैं। रविवार को डेनमार्क में अपने राजदूत के नाम की घोषणा करते हुए ट्रंप ने लिखा, ‘‘पूरी दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वतंत्रता के उद्देश्य से, अमेरिका को लगता है कि ग्रीनलैंड का स्वामित्व और नियंत्रण एक परम आवश्यकता है।’’

पनामा नहर और कनाडा को लेकर क्या बोले ट्रंप

ट्रंप ने फिर से ग्रीनलैंड पर योजना बनाई है। इससे पहले उन्होंने बीते सप्ताह सुझाव दिया था कि यदि अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाले पनामा जलमार्ग का उपयोग करने के लिए आवश्यक बढ़ती पोत परिवहन लागत को कम करने के लिए कुछ नहीं किया जाता है, तो उनका देश पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण कर सकता है। वह कनाडा को 51वां अमेरिकी राज्य बनाने और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को ‘ग्रेट स्टेट ऑफ कनाडा’ का ‘गवर्नर’ बनाने का सुझाव भी दे रहे हैं।

ग्रीनलैंड में है अमेरिकी सैन्य अड्डा

बता दें कि, ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है जो अटलांटिक और आर्कटिक महासागरों के बीच स्थित है। यह 80 प्रतिशत बर्फ की चादर से ढका हुआ है और यहां एक बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा है। ग्रीनलैंड स्वायत्त शासन वाला देश है। हालांकि, यह अभी भी डेनमार्क साम्राज्य का हिस्सा है। यानी परोक्ष रूप से यहां यूरोपीय देश डेनमार्क का ही शासन है। ग्रीनलैंड की घरेलू गतिविधियों को वहां की सरकार ही देखती है। यह सरकार गृह मामलों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, प्राकृतिक संसाधानों और कानून-प्रवर्तन के मामले देखती है। इसकी राजधानी न्युक है, जहां से प्रशासन के सारे काम देखे जाते हैं।

‘हम बिक्री के लिए तैयार नहीं’

इस बीच डेनमार्क के शासनाध्यक्ष म्यूटे बोरुप एगेडे ने कहा है कि ग्रीनलैंड पर अमेरिकी नियंत्रण की ट्रंप की नवीनतम अपील उनके पहले कार्यकाल की तरह ही निरर्थक रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ग्रीनलैंड हमारा है। हम बिक्री के लिए तैयार नहीं हैं और कभी भी बिक्री नहीं करेंगे। हमें स्वतंत्रता के लिए अपनी वर्षों पुरानी लड़ाई नहीं हारनी चाहिए।”

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