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विद्यालयों को कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने को योगी सरकार कर रही है शिक्षकों को प्रशिक्षित

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  • उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट, पीएमश्री विद्यालयों और पायलट प्रोजेक्ट से चयनित विज्ञान और गणित के 2402 शिक्षकों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
  • विद्यार्थियों को व्यावसायिक कौशल और व्यवहारिक अनुभव के माध्यम से सिखाने पर है जोर
  • लखनऊ स्थित दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान में दिया जा रहा है प्रशिक्षण
  • विद्यार्थियों के शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में सहायक साबित होगा यह कार्यक्रम: संदीप सिंह

लखनऊ: विद्यालयों को कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की कोशिशें अब परवान चढ़ने लगी हैं। प्रदेश के उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट और पीएमश्री विद्यालयों में पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से चयनित विज्ञान और गणित के 2402 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाने लगा है। बता दें कि यह कार्यक्रम ‘लर्निंग बाई डूइंग’ के सिद्धांत पर आधारित है और इसमें विज्ञान आश्रम एवं यूनिसेफ का सहयोग मिल रहा है, जो 25 अक्टूबर तक चलता रहेगा।

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लखनऊ स्थित दीन दयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान में चल रहे इस प्रशिक्षण में 1772 उच्च प्राथमिक व कम्पोजिट, 570 पीएमश्री विद्यालयों और 60 पायलट प्रोजेक्ट से चयनित विज्ञान और गणित शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यहाँ प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षक, विद्यार्थियों को व्यावसायिक कौशल और व्यवहारिक अनुभव के माध्यम से सिखाने का प्रयास करेंगे। इस पहल से विद्यार्थियों के शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में सहायता मिलने की उम्मीद है।

योगी सरकार के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में, बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश के इन विद्यालयों को कौशल केंद्र के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से इस चार दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण में शिक्षकों को अनेक विधाओं में पारंगत किया जा रहा है।इस संबंध में उनका कहना है कि इस पायलट प्रोजेक्ट के लागू होने से न केवल विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति में वृद्धि हुई, बल्कि उनके विज्ञान और गणित के अधिगम स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया। विद्यार्थियों ने व्यावसायिक और तकनीकी कौशलों को सीखते हुए विषयों की गहरी समझ विकसित की, जो अब उनके शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में सहायक साबित हो रही है।

विद्यार्थियों के हित में यह प्रयास, वर्ष 2022 में लागू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित जैसे जटिल विषयों को समझाने के साथ-साथ उन्हें व्यावसायिक कौशलों से भी परिचित कराना है। विद्यार्थियों के समग्र विकास को बढ़ावा देना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। इस प्रयास का मकसद उन्हें सिर्फ शिक्षाविद बनाना नहीं है, बल्कि व्यावहारिक जीवन में उनके कौशलों को विकसित करने का अवसर प्रदान करना भी है। वर्ष 2022 में इस कार्यक्रम का पायलट प्रोजेक्ट 15 जनपदों के 60 विद्यालयों में लागू किया गया था। इसके अंतर्गत विद्यार्थियों ने चार प्रमुख ट्रेड्स (इंजीनियरिंग एंड वर्कशॉप, एनर्जी एंड एनवायरनमेंट, एग्रीकल्चर, नर्सरी एंड गार्डनिंग और होम एंड हेल्थ केयर) के माध्यम से 60 से अधिक गतिविधियों में कौशल सीखा था। इस पहल से छात्रों में विषयों की व्यवहारिक समझ और रुचि दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई थी।

अपर मुख्य सचिव परिवहन एल. वेंकटेश्वर लू. बोले

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए अपर मुख्य सचिव परिवहन एल. वेंकटेश्वर लू और विशिष्ट अतिथि सुश्री एकता सिंह (IAS) ने कहा कि यह पहल विद्यार्थियों के कौशल विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इसके जरिए न केवल छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी कौशल का विकास होगा, बल्कि यह उन्हें भविष्य में आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक व्यावसायिक क्षमताओं से भी सशक्त करेगा। विद्यालयों में व्यावहारिक शिक्षा का यह प्रयास प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को एक नई दिशा प्रदान करेगा और छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करने में सहायक होगा। इस मौके पर मुख्य रूप से माधव जी तिवारी, वरिष्ठ विशेषज्ञ सामुदायिक सहभागिता समग्र शिक्षा, बी. चौधरी अपर निदेशक संस्थान, मोहित यादव संकाय अधिकारी, विज्ञान आश्रम एवं यूनिसेफ की टीम के अलावा रजीत सिंह एवं डॉ. फैजान, राज्य सलाहकार सामुदायिक सहभागिता आदि उपस्थित थे।

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