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लखनऊ: योगी सरकार की कार्यशैली में सवाल उठाता भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव और उसके गुर्गे “श्री हनुमान टेकरी धाम” मंदिर पर अनाधिकृत कब्जे के लिए पुनः हुए सक्रिय, गुण्डा एक्ट की कार्रवाई अब भी लंबित

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इन धार्मिक स्थलों में से एक है श्री हनुमान टेकरी धाम, जो पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ के उत्तरी ज़ोन के सैरपुर थाना क्षेत्र के फ़रूख़ाबाद ग्राम पंचायत के सैदापुर गाँव में स्थित है। हाल ही में इस प्राचीन मंदिर को लेकर एक बार फिर विवाद सामने आया है। भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव और उसके गुर्गों ने मंदिर की भूमि पर अनाधिकृत कब्जे की मंशा से गतिविधियों को फिर से तेज कर दिया है। यह मामला वर्षों से विवादित है और अब भी इसमें कई कानूनी प्रक्रिया लंबित हैं।

भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव: लगातार विवादों में

अमरेन्द्र यादव, जो सैरपुर थाना क्षेत्र के उम्मरभारी गाँव का निवासी है, पहले भी श्री हनुमान टेकरी मंदिर की भूमि पर कब्जे के कई प्रयास कर चुका है। वर्ष 2023 में भी, इसने मंदिर में आयोजित भंडारे में अनधिकृत रूप से अपने बैनर-पोस्टर लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। यादव ने मंदिर की भूमि पर कब्जा करने के लिए अपने पियक्कड़ साथियों के साथ भंडारा आयोजित करने की योजना बनाई थी। हालांकि, स्थानीय प्रशासन की तत्परता के कारण इस घटना को समय पर रोक दिया गया था। तब यादव और उसके गुर्गों ने लगभग 10 दिनों तक मंदिर परिसर में डेरा डाले रखा था।

श्री हनुमान टेकरी धाम मंदिर: ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

श्री हनुमान टेकरी धाम न केवल एक प्राचीन मंदिर है, बल्कि यह स्थानीय जनता की आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र भी है। मंदिर की भूमि, जो सरकारी स्वामित्व में है, सदियों से धार्मिक गतिविधियों और जनकल्याण के लिए उपयोग होती आई है। इस स्थान पर नियमित रूप से धार्मिक आयोजन होते हैं और यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।

हालांकि, मंदिर की भूमि को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। इनमें से सबसे प्रमुख मामला भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव का है, जिसने इस भूमि पर कब्जा करने के लिए कई बार अवैध प्रयास किए हैं और लगातार प्रयासरत भी है।

मंदिर के महंत रामेश्वर दास जी की अपील

मंदिर के महंत, श्री रामेश्वर दास जी महाराज, ने भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव और उसके गुर्गों से मंदिर परिसर के साथ-साथ स्वयं को भी बचाने के लिए शासन-प्रशासन से गुहार लगाई है। महंत जी का कहना है कि भूमाफ़िया और उसके सहयोगी बार-बार मंदिर की भूमि पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं, जिससे मंदिर की सुरक्षा और धार्मिक आस्थाएं खतरे में पड़ गई हैं। उनका यह भी आरोप है कि अमरेन्द्र यादव के इरादे केवल भूमि हथियाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वह मंदिर की धार्मिक पहचान को भी धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं।

भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव के कब्जे की कोशिशें

ये तस्वीर बीते साल मंदिर परिसर में हुए भंडारे की है, जहां पर अमरेन्द्र यादव के पियक्कड़ गुर्गों द्वारा भंडारे के समय मंदिर परिसर में शराब पीकर विवाद किया, जिसके बाद शिकायत पर पहुँची सैरपुर थाने की पुलिस ने समझाने की कोशिश की तो उनसे भी उलझने की कोशिस लेता हुआ अमरेन्द्र यादव का गुर्गा यह अमित यादव है। आपको बता दें कि बीते पाँच-सात वर्षों में, भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव ने कई बार मंदिर की जमीन पर कब्जा करने के प्रयास किए हैं। इनमें से एक सबसे विवादित घटना तब हुई जब बीकेटी तहसील की जमीन को सदर एसडीएम ने एक मुस्लिम परिवार के नाम कर दिया था। यह कदम बिना किसी उचित प्रक्रिया के कूटनीतिक दस्तावेजों के माध्यम से उठाया गया था, जिसे बाद में उत्तर प्रदेश सरकार के हस्तक्षेप से निरस्त कर दिया गया।

मुख्यमंत्री कार्यालय के संज्ञान लेने के बाद तत्कालीन ज़िलाधिकारी लखनऊ अभिषेक प्रकाश ने इस आदेश को रद्द कर दिया और जमीन को ग्राम सभा के स्वामित्व में वापस सौंपा। इस मामले के बाद स्थानीय लेखपाल, बीकेटी एसडीएम और सदर एसडीएम को हटा दिया गया था और विभागीय जांच शुरू हुई थी। हालांकि, आज तक यह जांच रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाई है, जिसके कारण मामला अब भी लंबित है।

गुण्डा एक्ट के तहत कार्रवाई और जेसीपी कार्यालय में लंबित मामला

जब मंदिर में कब्जे के प्रयास बढ़ने लगे, तो स्थानीय पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। सैरपुर थाने की पुलिस ने भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव और उसके गुर्गों को मंदिर परिसर से बाहर का रास्ता दिखाया और उनके खिलाफ गुण्डा एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। हालांकि, यह मामला अभी तक जेसीपी (जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस) कार्यालय में लंबित है, जिसके कारण अमरेन्द्र यादव और उसके सहयोगी अब भी सक्रिय हैं। ग़ौरतलब है भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव ने बीकेटी तहसील के मुबारकपुर, पल्हरी व अपने गाँव उम्मरभारी के आसपास कई सरकारी ज़मीनें भी बेंच डाली हैं।

शासन-प्रशासन की ढिलाई या प्रभाव?

मंदिर की भूमि को लेकर भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव के प्रयास और प्रशासनिक ढिलाई के चलते यह मामला वर्षों से विवादों में बना हुआ है। उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद भी, आज तक जांच रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाई है, जिससे यह साफ होता है कि मामले में कुछ बड़े लोगों का प्रभाव है। विभागीय जांच की धीमी गति और सरकारी कार्रवाई की कमी के कारण भूमाफ़िया और उसके गुर्गों की मंशा आज भी मंदिर की जमीन हड़पने की बनी हुई है। इससे साफ होता है कि प्रशासनिक तंत्र में कहीं न कहीं खामी है, जिसके कारण इस विवाद का निपटारा नहीं हो पा रहा है।

स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

मंदिर की भूमि को लेकर हो रही इस तरह की गतिविधियों से स्थानीय जनता भी परेशान है। क्षेत्र के लोग मानते हैं कि यह मंदिर उनकी धार्मिक आस्था का केंद्र है और भूमाफ़िया द्वारा किए जा रहे प्रयास उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं।

लोगों का मानना है कि यदि प्रशासन समय पर कठोर कदम उठाए, तो इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकती हैं। वे यह भी उम्मीद करते हैं कि सरकार इस मामले में सख्त कदम उठाएगी और मंदिर की भूमि को सुरक्षित रखने के लिए उचित कार्रवाई करेगी।

उत्तर प्रदेश सरकार का रुख

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूमाफ़ियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का दावा किया गया है, लेकिन इस मामले में प्रशासन की ओर से अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भूमाफ़िया मुक्त उत्तर प्रदेश का नारा दिया था, लेकिन श्री हनुमान टेकरी धाम के मामले में यह दावा कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है।

यह मामला मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुका है और जनता को उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी। यदि सरकार समय रहते कार्रवाई नहीं करती, तो यह मामला और भी गंभीर हो सकता है।

मंदिर की सुरक्षा और प्रशासन की जिम्मेदारी

श्री हनुमान टेकरी धाम, लखनऊ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जिसकी भूमि को लेकर लगातार विवाद बना हुआ है। भूमाफ़िया अमरेन्द्र यादव और उसके गुर्गों के अनाधिकृत कब्जे की कोशिशें और प्रशासनिक कार्रवाई की कमी ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। मंदिर की भूमि की सुरक्षा और धार्मिक आस्था की रक्षा प्रशासन की जिम्मेदारी है। जनता को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इस मामले में जल्द ही उचित कदम उठाएंगे, जिससे मंदिर की भूमि सुरक्षित रहे और धार्मिक आस्था को कोई ठेस न पहुंचे। आशा है कि प्रशासनिक तंत्र और सरकार इस मामले को गंभीरता से लेंगे और मंदिर की भूमि को अवैध कब्जे से बचाने के लिए उचित कदम उठाएंगे।

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