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लखनऊ में “गुरु उत्सव” का भव्य आयोजन : “पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन साहब को दी गई संगीतमय श्रद्धांजलि

लखनऊ में “गुरु उत्सव” का भव्य आयोजन : "प्रख्यात तबलावादक उस्ताद जाकिर हुसैन को दी गई संगीतमय श्रद्धांजलि
  • लखनऊ में 10 अगस्त को गुरु उत्सव का भव्य आयोजन हुआ।
  • कार्यक्रम पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन को समर्पित था।
  • दीप प्रज्वलन के साथ गुरुओं को श्रद्धांजलि दी गई।
  • संगीत, तबला, भजन और ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुतियाँ हुईं।
  • गायिका सुनीता झींगरण को सम्मान और पुस्तक विमोचन भी हुआ।

लखनऊ : भारतीय संगीत महाविद्यालय लखनऊ एवं उन्नाव द्वारा पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन को समर्पित वार्षिक कार्यक्रम “गुरु उत्सव” का आयोजन आज डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के विशाल सभागार में किया गया। इस सांगीतिक समारोह में तबला, शास्त्रीय गायन, भजन, ग़ज़ल, ठुमरी, दादरा और लोकगीत के माध्यम से गुरुओं को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

सभागार के बाहर और अंदर दोनों जगह उत्सव जैसा माहौल था। दीवारों पर उस्ताद जाकिर हुसैन और अन्य महान गुरुओं के चित्र सजाए गए थे। मंच पर पुष्पमालाओं और रंग-बिरंगे पर्दों से सजी पृष्ठभूमि में विशाल दीप प्रज्ज्वलन स्थल बना था।

दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुआ शुभारंभ

सुबह 10 बजे कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. अरविंद सिंह, डॉ. संजीव सिंह, डॉ. विभोर महेंद्रु, डॉ. सत्या, रंजना मिश्रा, कुसुम वर्मा, सुनील विश्वकर्मा और अविनाश शर्मा ने मिलकर दीप प्रज्वलित किया। साथ ही उस्ताद जाकिर हुसैन के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया गया। सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया गया।

मुख्य अतिथि का संबोधन

डॉ. विक्रम सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा-
“गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की आत्मा है। संगीत जैसे अमूल्य धरोहर को संजोने और अगली पीढ़ी तक पहुँचाने के लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है। हमें भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक स्तर पर और अधिक पहचान दिलाने का प्रयास करना चाहिए।”

विशेष सम्मान समारोह

संस्था ने इस अवसर पर सुप्रसिद्ध शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायिका श्रीमती सुनीता झींगरण को पुष्पगुच्छ, पारंपरिक शॉल और ₹5001 की धनराशि भेंटकर सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया।

मंच प्रस्तुतियाँ – संगीत और भाव का संगम

1. गुरु वंदना और सामूहिक गायन

  • राग अहीर भैरव में “गुरु चरणन नित गान करिए” ने शुरुआत में ही वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
  • इसके बाद राग खमाज में छोटा ख़याल “नमन करूं मैं गुरु चरण” और भजन “हे दुख भंजन मारुति नंदन” प्रस्तुत किया गया।

2. तबला युगलबंदी

  • दिव्यांशी और सिराज अहमद ने रूपक ताल में मनमोहक युगलबंदी प्रस्तुत कर दर्शकों से खूब सराहना पाई।

3. शास्त्रीय गायन

  • अनुज महेंद्रु ने राग मियां मल्हार में बड़ा ख़याल “बादल बरसे” और छोटा ख़याल “गर्जन बरसन लगे बदरा” गाकर सावन के मौसम का अद्भुत अनुभव मंच पर जगा दिया।

4. भजन

  • कृष्णा एवं त्रयंबकेश यादव द्वारा “कभी राम बनके, कभी श्याम बनके” और
  • आरुषि एवं आदित्य द्वारा “पायो जी मैंने राम रतन धन” प्रस्तुत किया गया।

5. वाद्य प्रस्तुतियाँ

  • कमल गुप्ता और विजय यादव ने तीन ताल में तबला वादन से माहौल को ऊर्जावान बनाया।
  • निशि ने सावन गीत “नन्ही नन्ही बुंदिया रे” गाकर श्रोताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दी।

6. ग़ज़ल और लोकगीत

  • डॉ. संजीत सिंह ने “तुमको देखा तो ख़याल आया” और अंश ने “लोग कहते हैं अजनबी हो तुम” गाकर ग़ज़ल प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • अंशिका ने “गोदना गोदे गोदन हारि” जैसे पारंपरिक लोकगीत को पूरे रंग-रस के साथ प्रस्तुत किया।

7. भक्ति संगीत

  • मनीष अवस्थी ने “चदरिया झीनी रे झीनी” भजन से गहरी आध्यात्मिक अनुभूति करवाई।

8. वरिष्ठ कलाकार की प्रस्तुति

  • कार्यक्रम का चरम बिंदु तब आया जब वरिष्ठ गायिका श्रीमती सुनीता झींगरण ने ठुमरी, दादरा और भजन प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। उनकी प्रस्तुति पर श्रोताओं ने लंबे समय तक तालियां बजाईं।

वाद्य संगत कलाकारों का योगदान

  • गिटार: सम्राट राजकुमार
  • तबला: अरुण मिश्रा
  • सिंथेसाइज़र: मयंक सिंह
  • नाल: प्रखर प्रताप सिंह
  • बांसुरी: सौरभ सोनवानी
  • क्लैरियोनेट: देवी प्रसाद
  • हारमोनियम: आरिफ़ ख़ान

इन सभी कलाकारों ने अपनी संगत से मुख्य प्रस्तुतियों की गरिमा और भी बढ़ा दी।

पुस्तक विमोचन – ‘संगीत का अन्य विषयों से सह-संबंध’

इस अवसर पर डॉ. मोनिका सिंह की पुस्तक “संगीत का अन्य विषयों से सह-संबंध” का विमोचन भी किया गया, जिसमें संगीत और अन्य विषयों के परस्पर जुड़ाव पर विस्तृत शोध प्रस्तुत किया गया है।

समापन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम का संचालन श्री राजेंद्र विश्वकर्मा ने किया। उन्होंने उस्ताद जाकिर हुसैन के जीवन, संगीत साधना और गुरु-शिष्य परंपरा में उनके योगदान के बारे में कई रोचक जानकारियां साझा कीं। अंत में उस्ताद के प्रमुख शिष्य शेख मोहम्मद इब्राहिम ने सभी अतिथियों, कलाकारों, शिष्यों और दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

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