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लखनऊ बनेगा उत्तर भारत की स्वास्थ्य राजधानी : डॉ. राजेश्वर सिंह का ₹15,812 करोड़ का प्रस्ताव, 5,000 नए अस्पताल बेड का विज़न

लखनऊ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए डॉ. राजेश्वर सिंह ने सीएम योगी को ₹15,812 करोड़ का रोडमैप सौंपा। 5,000 नए अस्पताल बेड, एआई-सक्षम अस्पताल, मेडिकल टूरिज़्म और 15,000 रोजगार का लक्ष्य।

लखनऊ: स्वास्थ्य सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल

राजधानी लखनऊ की स्वास्थ्य व्यवस्था को नई पहचान दिलाने के लिए सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य आने वाले वर्षों में लखनऊ को उत्तर भारत का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र बनाना है। इसके लिए डॉ. सिंह ने 5,000 अतिरिक्त अस्पताल बेड की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए 2030 तक लखनऊ को “उत्तर भारत की स्वास्थ्य राजधानी” के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।

बढ़ती आबादी और अस्पतालों पर बढ़ता दबाव

लखनऊ की प्रमुख स्वास्थ्य संस्थाएं—किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), संजय गांधी पीजीआई (एसजीपीजीआई), डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल), सिविल और लोक बंधु अस्पताल—अपनी निर्धारित क्षमता से कहीं अधिक मरीजों का उपचार कर रही हैं। राजधानी की आबादी 45 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है और शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है। ऐसे में अस्पतालों की मौजूदा संरचना आने वाले समय में स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर दबाव डाल सकती है। कोविड-19 महामारी के दौरान बेड्स, आईसीयू और ऑक्सीजन की कमी ने इस खाई को और स्पष्ट कर दिया था, जिससे यह साबित हुआ कि लखनऊ को भविष्य की आपात परिस्थितियों के लिए बेहतर तैयारी की आवश्यकता है।

5,000 अतिरिक्त बेड्स का चरणबद्ध विस्तार

डॉ. सिंह के प्रस्ताव में अगले तीन से पाँच वर्षों के भीतर लखनऊ के अस्पतालों में 5,000 नए बेड्स जोड़ने का खाका शामिल है। इसके तहत एसजीपीजीआई और केजीएमयू में 500-500 अतिरिक्त बेड्स की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, आरएमएल, सिविल और लोक बंधु अस्पतालों को 250-250 बेड्स की क्षमता से मजबूत किया जाएगा। बाकी बेड्स जिला अस्पतालों और अन्य सरकारी संस्थानों में वितरित किए जाएंगे। यह विस्तार न केवल भीड़भाड़ वाले वार्डों में राहत देगा बल्कि मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने में भी सहायक होगा।

स्वास्थ्य सुधार की व्यापक रणनीति

यह योजना सिर्फ बेड्स की संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि लखनऊ की संपूर्ण स्वास्थ्य प्रणाली को बदलने की परिकल्पना भी करती है। प्रस्ताव में रियल-टाइम बेड ट्रैकिंग सिस्टम और रेफरल लिंक की व्यवस्था की बात कही गई है, ताकि मरीजों को तत्काल सही अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। बाहरी लखनऊ में एसजीपीजीआई और केजीएमयू के उपकेंद्र खोलकर सैटेलाइट यूनिट्स स्थापित करने का विचार भी रखा गया है। इसके साथ ही आपातकालीन और सुपर-स्पेशियल्टी इकाइयाँ विकसित करने की योजना बनाई गई है, ताकि सामान्य वार्डों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
प्रस्ताव में तकनीकी सुधारों पर भी विशेष बल दिया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सेवाओं को लागू करके मरीजों की प्राथमिकता तय करने, टेली-आईसीयू और ई-ओपीडी जैसी सुविधाओं को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा “लखनऊ हेल्थ सिटी” का निर्माण प्रस्तावित है, जिसमें अस्पतालों के साथ रिसर्च सेंटर और बायोटेक हब भी शामिल होंगे।

वित्तीय खाका और निवेश योजना

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने के लिए लगभग ₹15,812.5 करोड़ की आवश्यकता होगी। वित्तीय खाके के अनुसार, राज्य सरकार इस पर ₹6,325 करोड़ खर्च करेगी, जबकि केंद्र सरकार का योगदान लगभग ₹4,743.75 करोड़ रहेगा। इसके अलावा सीएसआर और पीपीपी मॉडल के तहत ₹2,371.87 करोड़ जुटाए जाएंगे। विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से भी बराबर की राशि प्राप्त करने की योजना है। इस बहुआयामी फंडिंग मॉडल से यह सुनिश्चित होगा कि परियोजना सिर्फ कागज पर न रहकर ज़मीन पर भी उतरे।

मेडिकल टूरिज़्म और रोजगार सृजन की संभावना

डॉ. सिंह के इस प्रस्ताव से लखनऊ न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे उत्तर भारत का मेडिकल हब बनेगा। आधुनिक चिकित्सा सेवाओं और एआई-सक्षम अस्पतालों के साथ लखनऊ को पड़ोसी देशों और अफ्रीकी राष्ट्रों तक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने लायक बनाया जाएगा। इससे मेडिकल टूरिज़्म को भी नई दिशा मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिलेगी। साथ ही इस परियोजना से 15,000 से अधिक नए रोजगार सृजित होंगे, जिससे युवाओं को व्यापक अवसर मिलेंगे।

विज़न 2030: लखनऊ की नई पहचान

डॉ. राजेश्वर सिंह का स्पष्ट विज़न है कि 2030 तक लखनऊ की पहचान सिर्फ़ एक राजनीतिक राजधानी के रूप में नहीं बल्कि एक “स्वास्थ्य राजधानी” के रूप में भी हो। आधुनिक अवसंरचना, सुपर-स्पेशियल्टी सेवाएं, वैश्विक रिसर्च सहयोग और मेडिकल टूरिज़्म इस शहर को विश्व स्तर पर स्थापित करेंगे। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो लखनऊ आने वाले समय में उत्तर भारत ही नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा चिकित्सा केंद्र बन सकता है।

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