
लखनऊ के मलिहाबाद में स्थित गोपेश्वर महादेव मंदिर और गोशाला की अद्भुत परंपराएं
- मलिहाबाद में श्री गोपेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में दिन्नीशाह द्वारा किया गया।
- गोपेश्वर गोशाला में लगभग 400 निराश्रित गायों की सेवा की जाती है।
- इसके साथ ही यहाँ पर हाल ही में बेटी के जन्मदिवस पर पूजन और आरती की परंपरा शुरू की गई है।
- गौशाला परिसर में विवाह वर्षगांठ पर भी अलग प्रकार का आयोजन कराया जाता है।
- हाल ही में गौशाला परिसर के दिन्नीशाह सरोवर और सत्संग भवन का जीर्णोद्धार किया गया है।

लखनऊ, 26 नवम्बर 2024: उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ के मलिहाबाद स्थित 18वीं शताब्दी के श्री गोपेश्वर महादेव मंदिर को आध्यात्मिक और सामाजिक सेवा का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर धार्मिक गतिविधियों और गो सेवा के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन सरोवर और हनुमान मंदिर भी है, जो इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाते हैं।
मंदिर का निर्माण और विकास

वर्तमान समय में गौशाला परिवार के प्रमुख उमाकांत गुप्ता बताते हैं कि यह मंदिर 18वीं शताब्दी में धर्मप्रेमी वैश्य दिन्नीशाह द्वारा बनवाया गया था। 2001 में हुए श्रीराम महायज्ञ के बाद इस मंदिर का आध्यात्मिक महत्व और बढ़ गया। महायज्ञ के दौरान विभिन्न मठों और संप्रदायों के संतों का यहां आगमन हुआ। इसके बाद व्यापारियों और स्थानीय लोगों ने मिलकर गोपेश्वर गोशाला की स्थापना की।
गोपेश्वर गोशाला: सेवा का केंद्र

गोपेश्वर गोशाला ने शुरुआत में कसाइयों के कब्जे से छुड़ाई गई असहाय गायों को आश्रय देना शुरू किया। धीरे-धीरे यह सेवा केंद्र बन गया, जहां वर्तमान में लगभग 400 निराश्रित गोवंशों की देखभाल की जाती है। गायों के खाने, इलाज और रहने की उत्तम व्यवस्था यहां की जाती है।
श्रावण मास में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
श्रावण मास के दौरान बाबा गोपेश्वर महादेव के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं। यह मंदिर अब एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है, जहां सत्संग भवन, संत निवास और नए मंदिर भवन का निर्माण कार्य जारी है।

गौशाला परिवार ने धार्मिक और सामाजिक सेवा को नई ऊंचाई दी है। बेटी के जन्मदिवस को पूजन और आरती के साथ मनाने की परंपरा यहां शुरू की गई है। परिवार अपनी पुत्रियों को देवी के रूप में प्रतिष्ठित कर समाज में बेटी के महत्व को दर्शाने का प्रयास कर रहा है।
मंदिर और गौशाला की प्रमुख बातें:

• 18वीं शताब्दी में धर्मप्रेमी दिन्नीशाह ने गोपेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कराया।
• 2001 के श्रीराम महायज्ञ के बाद से यह मंदिर आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है।
• गोपेश्वर गोशाला में लगभग 400 निराश्रित गायों की सेवा की जाती है।
• बेटी के जन्मदिवस पर पूजन और आरती की परंपरा शुरू की गई है।
• गरीब कन्याओं के विवाह जैसे सामाजिक कार्य यहां नियमित रूप से किए जाते हैं।
गोपेश्वर गोशाला की नई परंपराएं

गौशाला परिवार ने न केवल गायों की सेवा की परंपरा को बल दिया है, बल्कि भारतीय संस्कृति में बेटियों के महत्व को भी बढ़ावा दिया है। परिवार के अंशुल और स्वाति गुप्ता ने अपनी पुत्री के जन्मदिवस को पूजन और आरती के माध्यम से मनाने की नई परंपरा शुरू की है। बेटी को देवी के समान सम्मान देने के इस प्रयास को समाज में सराहा जा रहा है।
गौशाला परिवार के हर्ष और सोनम गुप्ता ने अपनी शादी की वर्षगांठ पर दो गरीब कन्याओं का विवाह करवाने की परंपरा शुरू की। यह परंपरा पांच वर्षों से जारी है। यह पहल समाज में विवाह जैसे आयोजनों को सेवा के माध्यम से जोड़ने का अनूठा प्रयास है।
आध्यात्मिक केंद्र के रूप में हो रहा विकास

मंदिर परिसर में दिन्नीशाह सरोवर की सीढ़ियों का पुनर्निर्माण किया गया है। साथ ही, यहां सत्संग भवन, संत निवास और नए मंदिर भवन का निर्माण कार्य भी चल रहा है। श्री चिंताहरण हनुमान मंदिर की स्थापना से भक्तों की आस्था और बढ़ी है।
श्री गोपेश्वर महादेव मंदिर न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक सेवा का भी प्रतीक बन गया है। गोशाला परिवार द्वारा की जा रही गतिविधियां भारतीय संस्कृति और सेवा की भावना को बढ़ावा देती हैं। बेटी के जन्मदिवस, गरीब कन्याओं के विवाह और गायों की सेवा जैसी परंपराओं से यह मंदिर समाज में एक नई दिशा स्थापित कर रहा है।