
लखनऊ: लखनऊ के एक निजी होटल में 19 से 21 अक्टूबर तक आयोजित राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना (एनपीईपी) की तीन दिवसीय मध्यावधि समीक्षा बैठक का सफल समापन हुआ। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य किशोरों में टीम वर्क, मूल्य संवर्धन और भारतीय ज्ञान परंपरा की समझ विकसित करना था, ताकि उनके समग्र विकास को और अधिक प्रभावी ढंग से सुनिश्चित किया जा सके। कार्यक्रम के दौरान किशोरों से जुड़ी नीतियों पर गहन विचार-विमर्श और मंथन हुआ, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया।
बैठक के मुख्य उद्देश्य और चर्चाएँ

बैठक में मुख्य रूप से किशोरों में भारतीय ज्ञान परंपरा, टीम वर्क और मूल्य संवर्धन के महत्व पर जोर दिया गया। इसके अलावा, किशोरों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर विशेष चर्चा की गई। किशोरों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने, और समाज में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने के उपायों पर भी विस्तार से बात की गई।
34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों की भागीदारी

इस महत्वपूर्ण बैठक में देशभर के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ 5 क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों से लगभग 70 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इन प्रतिनिधियों ने किशोरों के स्वास्थ्य, शिक्षा और समाज में उनकी सकारात्मक भागीदारी से जुड़े विषयों पर चर्चा की।
प्रमुख मुद्दों पर विशेष मंथन: एनपीईपी का उद्देश्य एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) का संदर्भ

बैठक में किशोरों की कुछ गंभीर समस्याओं, जैसे कि कम उम्र में विवाह, मादक द्रव्यों का सेवन, और हिंसा, पर भी गहन चर्चा हुई। विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में इन समस्याओं की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन क्षेत्रों में किशोरों की चुनौतियों और उनके विकास के लिए उठाए जा रहे कदमों पर भी विचार-विमर्श हुआ। शिक्षा नीतियों में सुधार और नए पाठ्यक्रमों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया, ताकि किशोरों की समस्याओं को अधिक प्रभावी ढंग से सुलझाया जा सके।
राष्ट्रीय जनसंख्या शिक्षा परियोजना (एनपीईपी) का उद्देश्य किशोरों को जनसंख्या, विकास और स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर जागरूक करना और उन्हें इन मुद्दों पर सशक्त बनाना है। इस वर्ष एनपीईपी की गतिविधियों को आयुष्मान भारत के अंतर्गत चल रहे स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम की नीतियों के साथ समायोजित किया गया है, जिसमें किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता दी जा रही है।
बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) के तहत किशोरों के बीच टीम वर्क, मूल्य संवर्धन और भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से उठाया गया। इस नीति के तहत शिक्षा के महत्व को समझते हुए किशोरों के समग्र विकास के लिए कई नई पहल की जा रही हैं। विशेष रूप से, किशोरों को आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाने के लिए उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं से अवगत कराना अनिवार्य माना गया।
प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति

समापन समारोह में एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रो. श्रीधर श्रीवास्तव, प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डॉ. विजय कुमार मलिक, एससीईआरटी के निदेशक गणेश कुमार, और अन्य प्रमुख प्रतिनिधि शामिल रहे। सभी वरिष्ठ अधिकारियों ने किशोरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए नई योजनाओं और उपायों पर मंथन किया, ताकि उनकी शिक्षा और जीवन के अन्य क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके।
बैठक के प्रमुख निष्कर्ष

- किशोरों में टीम वर्क और मूल्य संवर्धन: किशोरों के बीच सामूहिक कार्यों के महत्व और नैतिक मूल्यों की शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
- भारतीय ज्ञान परंपरा: किशोरों को भारतीय संस्कृति, योग, ध्यान और अन्य परंपरागत ज्ञान से जोड़ने के लिए नीतियों में सुधार की आवश्यकता को समझा गया।
- स्वास्थ्य और कल्याण: किशोरों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने के लिए आयुष्मान भारत योजना के तहत विशेष कार्यक्रमों को लागू करने पर विचार किया गया।
- समस्याओं पर चर्चा: कम उम्र में विवाह, मादक द्रव्यों का सेवन, और हिंसा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार और नए पाठ्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया गया।
इस बैठक के माध्यम से, किशोरों के हित में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें सामने आईं, जो उनके समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होंगी। एनपीईपी द्वारा किए जा रहे प्रयासों का उद्देश्य किशोरों को न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी सशक्त बनाना है।