
- राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के विशेषांक ‘विकसित भारत’ का विमोचन समारोह आयोजित।
- स्वान्तरंजन ने विकसित भारत के लिए “पंच परिवर्तन” की आवश्यकता पर जोर दिया।
- 2013-14 से 2022-23 के बीच 25 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से बाहर आए।
- उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति ने ‘राष्ट्रधर्म’ को ज्ञान, स्वच्छता और समरसता का वाहक बताया।
- कार्यक्रम में राष्ट्रधर्म संपादक मंडल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया।

लखनऊ, 23 दिसम्बर 2024: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन ने कैसरबाग स्थित कला मण्डपम् में आयोजित राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका के विशेषांक ‘विकसित भारत’ के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विकसित भारत का निर्माण तभी संभव है जब हम सबको साथ लेकर चलें। इस दिशा में समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। ‘स्व’ के प्रति जागरूकता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाहरी आक्रमणों ने हमारे देश पर गहरा प्रभाव डाला और समाज आत्मकेंद्रित व असंगठित हो गया। हालांकि, संघ के 100 वर्षों के अथक प्रयासों के कारण समाज जागरूक और संगठित हो रहा है। राम मंदिर आंदोलन को इसी जागरूकता का प्रतीक बताया गया।

स्वान्त रंजन ने 2013-14 से 2022-23 के बीच 25 करोड़ भारतीयों के गरीबी रेखा से बाहर आने का उल्लेख करते हुए कहा कि राष्ट्र जागरण का यह आंदोलन केवल राम मंदिर तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य समाज का समग्र उत्थान करना था। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना भी इसी प्रयास का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत का विकास दूसरों को पीछे छोड़कर नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने से होगा। साथ ही उन्होंने समग्र विकास के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी पर बल दिया।
विकसित भारत के लिए “पंच परिवर्तन” की अहम भूमिका
स्वान्त रंजन ने भारत को विकसित करने के लिए पंच परिवर्तनों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने ‘स्व’ पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने मूल को पहचानना होगा। नागरिक कर्तव्यों के बारे में बात करते हुए उन्होंने आत्मानुशासन का पालन करने और समाज निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने की अपील की।
परिवार की भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने कुटुंब प्रबोधन की बात की, जिसमें परिवार के सदस्यों के बीच एकता और मिलजुल कर रहने की परंपरा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रथा आज खतरे में है, लेकिन इसे बचाए रखना हमारी संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए अनिवार्य है।
पर्यावरण संरक्षण को अनिवार्य बताते हुए उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक के त्याग और कुंभ मेले में पॉलीथीन का प्रयोग न करने जैसे कदमों पर जोर दिया। उन्होंने समाज में समरसता को बढ़ावा देने की अपील की और बताया कि संघ इन विषयों पर गॉंव-गॉंव जाकर जागरूकता फैलाएगा। यह पंच परिवर्तन – ‘स्व’, ‘नागरिक कर्तव्य’, ‘कुटुंब प्रबोधन’, ‘पर्यावरण संरक्षण’ और ‘सामाजिक समरसता’ – विकसित भारत के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
पत्रिका जन-जन तक पहुंचनी चाहिए
कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने की। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी साकार होगा जब यह ज्ञान, ध्यान, सुरक्षा और स्वच्छता के क्षेत्रों में अग्रणी बनेगा। ‘राष्ट्रधर्म’ का यह विशेषांक इस दिशा में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करेगा। उन्होंने लैंगिक और जातीय भेदभाव को खत्म करने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सबकी पहुंच सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह पत्रिका समाज के हर वर्ग तक पहुंचनी चाहिए ताकि यह राष्ट्र निर्माण के विचारों को और अधिक व्यापक रूप में फैला सके।
राष्ट्रधर्म पत्रिका के संपादक प्रो. ओमप्रकाश पांडेय ने कहा कि पत्रिका का दायित्व है कि समाज के घटनाक्रम को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने बताया कि ‘राष्ट्रधर्म’ हमेशा से देश के मुद्दों और राष्ट्रीय हितों के विमर्श पर कार्य करती आ रही है। वहीं, राष्ट्रधर्म प्रकाशन लिमिटेड के प्रबंधक डॉ. पवनपुत्र बादल ने कहा कि पत्रिका 1947 से देशहित और राष्ट्रहित के विमर्श पर कार्य करती आ रही है। उन्होंने यह भी बताया कि इस विशेषांक का उद्देश्य भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को सशक्त करना है।
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रधर्म संपादक मंडल के सदस्यों, कहानीकार नीलम राकेश, मदनमोहन पांडेय और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन निदेशक डॉ. ओमप्रकाश सिंह ने किया। इस अवसर पर साहित्यकार, पत्रकार और विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में प्रमुख उपस्थित व्यक्तित्व:
इस कार्यक्रम में राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक मनोजकांत, प्रभारी निदेशक सर्वेशचन्द्र द्विवेदी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, डॉ. अशोक दुबे, अभिनव भार्गव, रामजी भाई, विश्व हिन्दू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री विजय प्रताप सहित साहित्यकार, पत्रकार और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।