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राजधानी लखनऊ की सड़कों और ड्रेनेज व्यवस्था पर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री से की उच्च स्तरीय समीक्षा की मांग : उन्होंने कहा- जलभराव, टूटी सड़कों और नालों की समस्या पर जनहित में उठाई आवाज – राजधानी के लिए आधुनिक फ्लड मैनेजमेंट प्लान की जरूरत

  • विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने राजधानी लखनऊ की सड़कों और ड्रेनेज व्यवस्था पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा।
  • मानसून में जलभराव और टूटी सड़कों की समस्या के स्थायी समाधान हेतु उच्च स्तरीय समीक्षा की मांग की।
  • आलमबाग, चारबाग, राजाजीपुरम, इन्दिरानगर, गोमतीनगर विस्तार, हजरतगंज और सरोजनीनगर जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष कार्ययोजना सुझाई।
  • नालों की वैज्ञानिक सफाई, सड़कों की गुणवत्ता पर निगरानी और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने पर जोर दिया।
  • राजधानी के लिए आधुनिक फ्लड मैनेजमेंट प्लान और स्वतंत्र मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने का सुझाव दिया।

लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हर साल मानसून आते ही जलभराव और टूटी-फूटी सड़कों की समस्या सुर्खियों में आ जाती है। आलमबाग से लेकर चारबाग, हजरतगंज से लेकर इन्दिरानगर और सरोजनीनगर तक, कई क्षेत्रों में नालों का पानी भरने से नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी गंभीर मुद्दे को लेकर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर राजधानी की सड़कों और ड्रेनेज व्यवस्था की उच्च स्तरीय समीक्षा कराने की मांग की है।

जनता की पीड़ा को रखा मुख्यमंत्री के सामने

डॉ. सिंह ने पत्र में लिखा कि राजधानी के नागरिकों को बरसात के मौसम में घंटों ट्रैफिक जाम, घरों और दुकानों में घुसते गंदे पानी, सड़कों पर गड्ढों और टूटी सड़क पर यात्रा की कठिनाइयों से जूझना पड़ता है।

  • जन स्वास्थ्य खतरे में – जलभराव से डेंगू, मलेरिया और अन्य जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यापार पर असर – बाजार और दुकानें पानी में डूबने से व्यापारी व छोटे कारोबारी आर्थिक नुकसान झेलते हैं।
  • ट्रैफिक और सुरक्षा – पानी भरे गड्ढों से सड़क हादसों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि राजधानी की यह स्थिति पूरे प्रदेश की छवि को धूमिल करती है, जबकि लखनऊ को राज्य की पहचान और गौरव का प्रतीक होना चाहिए।

पत्र में सुझाए गए सुधारात्मक कदम

डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कई दीर्घकालिक और ठोस उपाय सुझाए हैं –

  • नालों की नियमित सफाई:
  • वैज्ञानिक पद्धति से नालों की सफाई हो।
  • बारिश से पहले प्री-मानसून सफाई अनिवार्य रूप से कराई जाए।
  • सड़क निर्माण की गुणवत्ता:
  • नई बनी सड़कों की गुणवत्ता पर निगरानी तंत्र हो।
  • गारंटी अवधि में खराब हुई सड़कों की जिम्मेदारी ठेकेदार पर तय हो।
  • संवेदनशील क्षेत्रों के लिए विशेष कार्ययोजना:
  • आलमबाग, राजाजीपुरम, चारबाग, इन्दिरानगर, गोमतीनगर विस्तार, हजरतगंज और सरोजनीनगर जैसे क्षेत्रों में जलभराव रोकने के लिए विशेष परियोजनाएं तैयार की जाएं।
  • अधिकारियों और अभियंताओं की जवाबदेही:
  • जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।
  • लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित हो।
  • आधुनिक फ्लड मैनेजमेंट प्लान:
  • राजधानी के लिए दीर्घकालिक फ्लड मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाए।
  • इसमें GIS Mapping, Storm Water Drainage, आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक और वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग किया जाए।

स्वतंत्र मॉनिटरिंग कमेटी का सुझाव

डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि राजधानी की परियोजनाओं पर सिर्फ सरकारी विभागों पर निर्भर न रहकर एक स्वतंत्र मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाए। इसमें तकनीकी विशेषज्ञ, नगर योजनाकार और सिविल इंजीनियर शामिल हों। यह कमेटी कार्यों की गुणवत्ता, समय-सीमा और पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

राजधानी की छवि सुधारना जरूरी

डॉ. सिंह ने अपने पत्र में लिखा—
“लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है और यहां की स्थिति पूरे राज्य की छवि का प्रतिनिधित्व करती है। राजधानी का शहरी ढांचा मजबूत, आधुनिक और दीर्घकालिक दृष्टि से योजनाबद्ध होना चाहिए। जलभराव और जर्जर सड़कों से निजात दिलाना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।”

पिछले अनुभव और भविष्य की जरूरत

लखनऊ में हर साल बारिश के दौरान जलभराव की तस्वीरें सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों की सुर्खियां बनती हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन, हजरतगंज, आलमबाग और अन्य इलाकों में पानी भरने से यातायात ठप हो जाता है। पिछले वर्षों में कई बार आम जनता ने प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।

डॉ. राजेश्वर सिंह का यह कदम न केवल जनता की पीड़ा को आवाज देने वाला है बल्कि राजधानी को एक स्मार्ट और सस्टेनेबल सिटी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल भी है।

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