
- 12 से 24 दिसंबर, 2024 तक स्कूली वाहनों के लिए विशेष चेकिंग अभियान चलाने का आदेश।
- बिना फिटनेस प्रमाणपत्र और अनपंजीकृत वाहनों पर विशेष निगरानी।
- विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति को अभिभावकों और प्रशासन के साथ मिलकर कार्रवाई करने का निर्देश।
- मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री के निर्देश: अनफिट वाहनों का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित।
- लापरवाही करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की चेतावनी।
लखनऊ, 06 दिसंबर, 2024: उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने प्रदेश में स्कूली वाहनों की सुरक्षा और मानकों को सुनिश्चित करने के लिए 12 दिसंबर से 24 दिसंबर, 2024 तक विशेष चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य उन स्कूल वाहनों की जांच करना है, जो फिटनेस मानकों का पालन नहीं करते या बिना पंजीकरण और अनुबंध के चल रहे हैं। परिवहन आयुक्त ने बताया कि कई जनपदों में ऐसे वाहन संचालन में हैं जो छात्रों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
स्कूली वाहनों की सख्त जांच के निर्देश
आयुक्त ने स्पष्ट किया कि कई ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्कूल प्रबंधन अभिभावकों की सहमति से मारुति वैन, मैजिक, ऑटो, और ई-रिक्शा जैसे वाहनों का उपयोग कर रहे हैं। ये वाहन अक्सर मानकों के अनुरूप नहीं होते। उन्होंने विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति को सक्रिय भूमिका निभाने का निर्देश दिया है, जिससे अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन, और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री की सख्त हिदायत
मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने इस संबंध में सख्त हिदायत दी है कि किसी भी हालत में अनफिट वाहनों का उपयोग बच्चों के परिवहन के लिए न किया जाए। अभियान के दौरान मुख्यालय स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी, और यदि किसी अधिकारी की लापरवाही पाई जाती है, तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास
इस अभियान के अंतर्गत विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति को नियमित बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच संवाद स्थापित कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी वाहनों का फिटनेस प्रमाणपत्र हो और वे सुरक्षा मानकों का पालन करें।
चेकिंग अभियान का व्यापक असर
यह अभियान छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम है। इसकी सफलता से न केवल मानकों का पालन किया जाएगा, बल्कि स्कूलों और अभिभावकों के बीच सुरक्षा को लेकर विश्वास भी बढ़ेगा।